23 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा यान
13 दिनों तक चांद की कक्षा में रहेगा
48 दिन में छुएगा चांद की सतह
यान के तीन हिस्से: ऑर्बिटर, विक्रम और प्रज्ञान होंगे
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने
23 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा यान
13 दिनों तक चांद की कक्षा में रहेगा
48 दिन में छुएगा चांद की सतह
यान के तीन हिस्से: ऑर्बिटर, विक्रम और प्रज्ञान होंगे
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 को सोमवार दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली जीएसएलवी मार्क-3 एम1 रॉकेट से सफलतापूर्वक लॉन्च कर नया इतिहास रच दिया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होने के 16 मिनट बाद ही चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का यह सफर चंद्रयान 48 दिन में पूरा करेगा। तय कार्यक्रम के मुताबिक यह 6-7 सितंबर को चांद की सतह चूम लेगा। इसरो प्रमुख के. सिवन ने सफल लॉन्चिंग की घोषणा करते हुए कहा, इस मिशन की सोच से बेहतर शुरुआत हुई है। चंद्रयान-2 की इस शानदार कामयाबी पर पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। यह 10 साल में चांद पर जाने वाला भारत का दूसरा मिशन है। चंद्रयान-2 अपने सफर पर तब निकला है, जब, अमरीकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग के चंद्रमा पर कदम रखने की 50वीं सालगिरह मनाई जा रही है। गौरतलब है कि 20 जुलाई 1969 को आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर पहला कदम रखा था।
चंद्रयान 2 में तीन हिस्से हैं। आर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर, ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। रोवर ‘प्रज्ञान’, जो चांद जानकारियां एकत्रित करेगा। अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से 13 अगस्त तक पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा। 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। 19 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा। 13 दिन यानी 31 अगस्त तक चांद के चक्कर लगाएगा। एक सितंबर को विक्रम ऑर्बिटर से अलग होगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा। 5 दिन बाद 6-7 सितंबर को विक्रम दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। लैंडिंग के 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर उतरेगा।
नए टाइमलाइन के मुताबिक, चंद्रयान-2 23 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चांद की तरफ बढ़ेगा पहले इसे यहां 17 दिन ही रहना था। इस दौरान चंद्रयान की अधिकतम गति 10 किलोमीटर/प्रति सेकंड और न्यूनतम गति 3 किलोमीटर/प्रति सेकंड होगी।
प्रक्षेपण के 30वें दिन चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की कक्षा में पहुंचेगा। यहां यह 13 दिनों तक रहेगा। पहले इसे यहां पर इसे 28 दिनों तक रहना था। इस दौरान उसकी गति 10 किलोमीटर प्रति सेकंड और 4 किलोमीटर प्रति सेकंड रहेगी। इसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
ऑर्बिटर: एक वर्ष की परिक्रमा
चंद्रमा की कक्षा में ऑर्बिटर एक वर्ष परिक्रमा करेगा। यह 2,379 किलो वजनी है और सूर्य की किरणों से हजार वॉट बिजली पैदा कर सकता है। चंद्रमा पर अपने अध्ययन और विभिन्न उपकरणों द्वारा भेजी गई सूचनाओं को ऑर्बिटर बेंगलूरु में मौजूद इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) में भेजेगा।
लैंडर विक्रम: जिसका एक दिन का काम हमारे 14 के बराबर
लैंडर विक्रम को यह नाम भारतीय खगोल कार्यक्रम के पितामह कहे जाने वाले डॉ. विक्त्रस्म साराभाई पर मिला है। यह पूरे एक चंद्र दिवस काम करेगा, जो हमारे 14 दिन के बराबर हैं। इसमें भी आईडीएसएन से सीधे संपर्क करने की क्षमता है। और ऑर्बिटर और रोवर दोनों को भी सीधे सूचनाएं भेजेगा।
रोवर - प्रज्ञान करेगा चंद्रमा पर 500 मीटर सैर
प्रज्ञान यानी बुद्धिमत्ता, चंद्रयान का चंद्रमा पर उतरने जा रहा यह 27 किलो का रोवर मौके पर ही प्रयोग करेगा। इसमें 500 मीटर तक चलने की क्षमता है। इसके लिए यह सौर ऊर्जा का उपयोग करेगा। 27 किलो का यह रोवर 50 वॉट बिजली पैदा करेगा, जिसका उपयोग चंद्रमा पर मिले तत्वों का एक्सरे और लेजर से विश्लेषण करेगा।
अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो वह 6 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करता। मगर सोमवार की लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में 48 दिन ही लगेंगे। यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही पहुंचेगा। इसके लिए अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाएगा। इसके अलावा चांद की कक्षा में भी चंद्रयान-2 28 दिन के बजाय अब 13 दिन ही रहेगा।
गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड इजाफा
चंद्रयान-2 की अब अंतरिक्ष में इसकी गति 10305.78 मीटर प्रति सेकंड होगी, जबकि, अगर यह 15 जुलाई को लॉन्च होता तो यह 10,304.66 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की तरफ जाता।. यानी इसकी गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है।
इसरो ने कहा है, हम वहां की चट्टानों को देख कर उनमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिज तत्वों को खोजने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही वहां पानी होने के संकेतों की भी तलाश करेंगे और चांद की बाहरी परत की भी जांच करेंगे।
चंद्रयान-2 : अब आगे क्या
• पृथ्वी के चरण 22वें दिन तक : चंद्रयान-2 पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए अपने परिक्रमा पथ को चंद्रमा की ओर बढ़ाएगा।
• 23वें दिन : मिशन के 23वें दिन ट्रांस लूनर इंजेक्शन (टीएलआई) होगा, इसका मतलब है कि यान चंद्रमा की ओर रुख करेगा।
• लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री : यह प्रक्षेपण के 23वें दिन से 30वें दिन तक चलेगी।
• लूनर ऑर्बिट इंसर्शन : 30वें दिन यान चंद्रमा के परिक्रमा पथ में प्रवेश कर जाएगा।
• लूनर बाउंड फेस : 30वें ही दिन चंद्रमा की परिक्रमा का चरण शुरू होगा जो 42वें दिन तक यानी कुल 13 दिन चलेगा।
• लैंडर-ऑर्बिटर अलग होंगे : मिशन के 43वें दिन विक्रम और ऑर्बिटर अलग हो जाएंगे। विक्रम अपने भीतर प्रज्ञान को लेकर चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ेगा और ऑर्बिटर अगले एक वर्ष के लिए चंद्रमा की परिक्रमा करेगा।
• डी-बूस्टिंग : विक्रम की डी-बूस्टिंग होगी, जिसमें उसकी चंद्रमा पर उतरने की गति को घटाया जाएगा और सतह के 30 किमी करीब पहुंचाया जाएगा।
• नियंत्रित लैडिंग शुरू : 48वें दिन नियंत्रित ढंग से विक्रम को चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। 30 किमी की दूरी विक्रम करीब 15 मिनट में पूरी करेगा।
• और लैंडिंग : 48वें दिन विक्रम लैंडर चंद्र सतह पर उतरेगा। अगले 14 दिन (चंद्रमा का एक दिन) विभिन्न शोध व अध्ययन करेगा। विक्रम के भीतर से उतर कर रोवर प्रज्ञान भी चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर की दूरी तक अपने छह पहियों पर चलकर प्रयोग व अध्ययन करेगा। सोमवार दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली जीएसएलवी मार्क-3 एम1 रॉकेट से सफलतापूर्वक लॉन्च कर नया इतिहास रच दिया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होने के 16 मिनट बाद ही चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का यह सफर चंद्रयान 48 दिन में पूरा करेगा। तय कार्यक्रम के मुताबिक यह 6-7 सितंबर को चांद की सतह चूम लेगा। इसरो प्रमुख के. सिवन ने सफल लॉन्चिंग की घोषणा करते हुए कहा, इस मिशन की सोच से बेहतर शुरुआत हुई है। चंद्रयान-2 की इस शानदार कामयाबी पर पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। यह 10 साल में चांद पर जाने वाला भारत का दूसरा मिशन है। चंद्रयान-2 अपने सफर पर तब निकला है, जब, अमरीकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग के चंद्रमा पर कदम रखने की 50वीं सालगिरह मनाई जा रही है। गौरतलब है कि 20 जुलाई 1969 को आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर पहला कदम रखा था।
चंद्रयान 2 में तीन हिस्से हैं। आर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर, ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। रोवर ‘प्रज्ञान’, जो चांद जानकारियां एकत्रित करेगा। अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से 13 अगस्त तक पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा। 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। 19 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा। 13 दिन यानी 31 अगस्त तक चांद के चक्कर लगाएगा। एक सितंबर को विक्रम ऑर्बिटर से अलग होगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा। 5 दिन बाद 6-7 सितंबर को विक्रम दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। लैंडिंग के 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर उतरेगा।
नए टाइमलाइन के मुताबिक, चंद्रयान-2 23 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चांद की तरफ बढ़ेगा पहले इसे यहां 17 दिन ही रहना था। इस दौरान चंद्रयान की अधिकतम गति 10 किलोमीटर/प्रति सेकंड और न्यूनतम गति 3 किलोमीटर/प्रति सेकंड होगी।
प्रक्षेपण के 30वें दिन चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की कक्षा में पहुंचेगा। यहां यह 13 दिनों तक रहेगा। पहले इसे यहां पर इसे 28 दिनों तक रहना था। इस दौरान उसकी गति 10 किलोमीटर प्रति सेकंड और 4 किलोमीटर प्रति सेकंड रहेगी। इसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
ऑर्बिटर: एक वर्ष की परिक्रमा
चंद्रमा की कक्षा में ऑर्बिटर एक वर्ष परिक्रमा करेगा। यह 2,379 किलो वजनी है और सूर्य की किरणों से हजार वॉट बिजली पैदा कर सकता है। चंद्रमा पर अपने अध्ययन और विभिन्न उपकरणों द्वारा भेजी गई सूचनाओं को ऑर्बिटर बेंगलूरु में मौजूद इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) में भेजेगा।
लैंडर विक्रम: जिसका एक दिन का काम हमारे 14 के बराबर
लैंडर विक्रम को यह नाम भारतीय खगोल कार्यक्रम के पितामह कहे जाने वाले डॉ. विक्त्रस्म साराभाई पर मिला है। यह पूरे एक चंद्र दिवस काम करेगा, जो हमारे 14 दिन के बराबर हैं। इसमें भी आईडीएसएन से सीधे संपर्क करने की क्षमता है। और ऑर्बिटर और रोवर दोनों को भी सीधे सूचनाएं भेजेगा।
रोवर - प्रज्ञान करेगा चंद्रमा पर 500 मीटर सैर
प्रज्ञान यानी बुद्धिमत्ता, चंद्रयान का चंद्रमा पर उतरने जा रहा यह 27 किलो का रोवर मौके पर ही प्रयोग करेगा। इसमें 500 मीटर तक चलने की क्षमता है। इसके लिए यह सौर ऊर्जा का उपयोग करेगा। 27 किलो का यह रोवर 50 वॉट बिजली पैदा करेगा, जिसका उपयोग चंद्रमा पर मिले तत्वों का एक्सरे और लेजर से विश्लेषण करेगा।
अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो वह 6 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करता। मगर सोमवार की लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में 48 दिन ही लगेंगे। यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही पहुंचेगा। इसके लिए अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाएगा। इसके अलावा चांद की कक्षा में भी चंद्रयान-2 28 दिन के बजाय अब 13 दिन ही रहेगा।
गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड इजाफा
चंद्रयान-2 की अब अंतरिक्ष में इसकी गति 10305.78 मीटर प्रति सेकंड होगी, जबकि, अगर यह 15 जुलाई को लॉन्च होता तो यह 10,304.66 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की तरफ जाता।. यानी इसकी गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है।
इसरो ने कहा है, हम वहां की चट्टानों को देख कर उनमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिज तत्वों को खोजने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही वहां पानी होने के संकेतों की भी तलाश करेंगे और चांद की बाहरी परत की भी जांच करेंगे।
चंद्रयान-2 : अब आगे क्या
• पृथ्वी के चरण 22वें दिन तक : चंद्रयान-2 पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए अपने परिक्रमा पथ को चंद्रमा की ओर बढ़ाएगा।
• 23वें दिन : मिशन के 23वें दिन ट्रांस लूनर इंजेक्शन (टीएलआई) होगा, इसका मतलब है कि यान चंद्रमा की ओर रुख करेगा।
• लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री : यह प्रक्षेपण के 23वें दिन से 30वें दिन तक चलेगी।
• लूनर ऑर्बिट इंसर्शन : 30वें दिन यान चंद्रमा के परिक्रमा पथ में प्रवेश कर जाएगा।
• लूनर बाउंड फेस : 30वें ही दिन चंद्रमा की परिक्रमा का चरण शुरू होगा जो 42वें दिन तक यानी कुल 13 दिन चलेगा।
• लैंडर-ऑर्बिटर अलग होंगे : मिशन के 43वें दिन विक्रम और ऑर्बिटर अलग हो जाएंगे। विक्रम अपने भीतर प्रज्ञान को लेकर चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ेगा और ऑर्बिटर अगले एक वर्ष के लिए चंद्रमा की परिक्रमा करेगा।
• डी-बूस्टिंग : विक्रम की डी-बूस्टिंग होगी, जिसमें उसकी चंद्रमा पर उतरने की गति को घटाया जाएगा और सतह के 30 किमी करीब पहुंचाया जाएगा।
• नियंत्रित लैडिंग शुरू : 48वें दिन नियंत्रित ढंग से विक्रम को चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। 30 किमी की दूरी विक्रम करीब 15 मिनट में पूरी करेगा।
• और लैंडिंग : 48वें दिन विक्रम लैंडर चंद्र सतह पर उतरेगा। अगले 14 दिन (चंद्रमा का एक दिन) विभिन्न शोध व अध्ययन करेगा। विक्रम के भीतर से उतर कर रोवर प्रज्ञान भी चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर की दूरी तक अपने छह पहियों पर चलकर प्रयोग व अध्ययन करेगा।
झांसी में हुआ हादसा खिड़की तोड़कर बाहर निकाले...
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में पूर्व मंत्री आशुतोष...
वाराणसी में 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र...
Lucknow: दरिंदगी, कट्टरता और अराजकता के खिलाफ शहर में...
यूपी में ठंड की आहट…आज भी इन 26 जिलों में बारिश का...
UP में फिर तबादले; योगी सरकार ने 8 जिलों के पुलिस कप्तान...