अपने रास्ते से भटक गया है योगी जी का जनसुनवाई पोर्टल
जनसुनवाई पोर्टल जाॅच अधिकारियो के जेब भरने का सिर्फ साधन
लाल फीताशाही के मकडजाल मे फस गया है जनसुनवाई पोर्टल
प्रमोद श्रीवास्तव
लखनऊ- सफेद हाथी बनकर रह गया है योगी जी का जनसुनवाई पोर्टल। जी हाॅ हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश मुख्यमन्त्री के उस महत्वकाॅक्षी योजना जनसुनवाई पोर्टल का जिसको लेकर दावा किया गया था कि धर बैठकर एक क्लिक पर किसी परेशानी से पीडित व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान पा सकता है। मगर एैसा नही है। जनसुनवाई पोर्टल के जाल मे जो एक बार फसा वह न धर का हुआ ना धाट का।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के हजारो लोग रोजाना इस पोर्टल पर अपनी शिकायत इस भरोसे से करते है कि उनके समस्याओ का जल्द समाधान हो जायेगा पर दावो पर गौर करे तो शिकायत करने वाला कोई भी शख्स इस पोर्टल की कार्यवाही से खुश नही है। यह पोर्टल सिर्फ जाॅच अधिकारियो के जेब भरने का साधन हो गया है।
जनसुनवाई पोर्टल- समाजवादी पार्टी की सरकार मे 26 जनवरी 2016 को प्रदेश की जनता को पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने ऑन लाइन जनसुनवाई पोर्टल का एक सौगात दिया जिसमे कहा गया कि की किसी भी समस्याआ के समाधान के लिये अब लोगो को इधर उधर भटकना नही पडेगा। एक क्लिक पर लोग अपनी समस्या सीएम, डीएम और एसपी तक पहुंचा कर उसका हल जान सकेगे। इस तरह के दावे करते हुए अखिलेश यादव सरकार ने ऑन लाइन जनसुनवाई पोर्टल शुरू किया था। लेकिन लाल फीताशाही की लापरवाही की वजह से आम जनता की उम्मीदों पर इस पोर्टल ने उस समय भी पानी फेरा और आज भी हालात वही है।
बाद मे बडे बडे दावो के साथ भाजपा सरकार द्वारा शुरू किया गया यह जनसुनवाई पोर्टल आज भी सफेद हाथी बन कर रह गया है।
अखिलेश सरकार मे भी पीडितो को न्याय नही मिला और इस समय भी नही मिल रहा है। एक एक शिकायत को दस दस बार पोर्टल पर दर्ज करने के बाद भी जाॅच अधिकारी रटा रटाया जबाब लिखकर कि—
{ मामला उसके विभाग का नही और ना उसके विभाग का इससे कोई समबन्ध है लिखकर मामले को निस्तारित कर दे रहा है। }
सबसे खास बात यह कि जाॅच अधिकारी शिकायत को निस्तारित करने से पूर्व एक बार भी शिकायतकर्ता से न तो रूबरू होकर या न मोबाइल पर बातचीत करके कुछ जानने की कोशिश करता है और न शिकायकर्ता की भावना पहचानने की। कुछ दिन के बाद शिकायतकर्ता के मोबाइल पर एक मैसेज आता है कि आपका मामला निस्तारित हो गया है पर होता वही ढाक के तीन पात जो पहले की सरकारो मे होता था।
बडे आरजू और तमन्ना लिये शिकायतकर्ता जो परेशानी अखिलेश जी को बताता था वही वह 2017 के बाद योगी जी को बता रहा है। फिर समाजवादी पार्टी ओर भारतीय जनता पार्टी मे फर्क क्या रहा ?
भाजपा सरकार द्वारा कहा गया जीरो टालरेन्स की बात भी अब बेईमानी जैसी लगने लगी है। क्योकि शिकायतकर्ता की शिकायत जस की तस बनी हुई है। जबकि जुलाई माह मे लोकभवन मे एक बैठक कर जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतो के समय सीमा के अन्दर और सही निस्तारण ना करने को लेकर मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियो के पेंच भी कसे थे पर अधिकारियो को कोई फर्क नही पडा।
इस जनसुनवाई पोर्टल की खामियो पर हमारी विस्तृत रिर्पोट अभी आगे भी जारी रहेगी।
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