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नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर एतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने आज राज्यसभा में कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश कर दिया है। जिसके तहत धारा 370 का खात्मा किया जाएगा। गृह मंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के सिवा इस अनुच्छेद के सारे खंडों को रद्द करने की सिफारिश की। वहीं विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तैया हैं। बिल के पेश होने के बाद से ही विपक्षी नेता सदन में हंगामा कर रहे हैं। जिसके बाज सदन को थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा।
अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प पेश किया।
नए संशोधन के तहत अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। इसका केवल खंड एक रहेगा।
जम्मू कश्मीर से अलग हुआ लद्दाख। लद्दाख को भी केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
जम्मू-कश्मीर अब नहीं रहा राज्य। उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया है।
सरकार ने विधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश 2019 जारी किया।अनुच्छेद 370 में अब सिर्फ खंड एक रहेगा।
स्थगन के बाद फिर शुरू हुई राज्यसभा की कार्रवाई। विपक्षी दलों का हंगामा जारी है।
शाह ने कश्मीर से धारा 370 हटाने की सिफारिश की। जिसके बाद से राज्यसभा में विपक्षी दल काफी हंगामा कर रहे हैं।
शाह ने कहा कि जिस दिन राष्ट्रपति इस विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे उस दिन से धारा 370 के सभी खंड जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगें।
गुलाम नबी आजाद ने संसद में कहा, 'पूरी घाटी में इस समय कर्फ्यू है। राजनेता जिसमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं वह इस समय घर में नजरबंद हैं। राज्य में युद्ध जैसी स्थिति है। इसलिए इस पर प्राथमिकता से चर्चा होनी चाहिए।
गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर के नेताओं के नजरबंद होने का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने इसपर काफी हंगामा किया। जिसके बाद गृहमंत्री ने कहा कि मैं सभी मुद्दों पर जवाब देने के लिए तैयार हूं। जम्मू काश्मीर राज्य के नागरिको को मिलने वाली दोहरी नागरिकता खत्म
बसपा ने इस बिल का समर्थन किया।
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