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भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के लिए रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया जाये - डाॅ0 महेन्द्र सिंह

भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के लिए रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया जाये - डाॅ0 महेन्द्र सिंह

2019-08-27 23:52:46
भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के लिए रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया जाये - डाॅ0 महेन्द्र सिंह

जल शक्ति विभाग मंत्री ने की भूगर्भ जल एवं लघु सिंचाई की समीक्षा
अधिकारी पूरी ईमानदारी, निष्ठा एवं लगन से कार्य करें- डाॅ0 महेन्द्र सिंह
लखनऊ:-उत्तर प्रदेश के जल शक्ति विभाग मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने आज विधान परिषद के समिति कक्ष में भूगर्भ जल विभाग एवं लघु सिंचाई विभाग के क्रिया-कलापों की योजनावार गहन समीक्षा की। श्री सिंह ने अधिकारियों को समीक्षा के दौरान निर्देश देते हुए कहा कि विभाग द्वारा संचालित योजनाएं निर्धारित समयसीमा में पूर्ण की जायें। उन्होंने कहा कि पूरी निष्ठा, ईमानदारी एवं लगन के साथ काम करके इस विभाग को पूरे देश में नं0 1 की स्थिति में लायें। डाॅ0 सिंह ने कहा कि कराये जा रहे कार्यों की माॅनीटरिंग प्रत्येक स्तर पर सुनिश्चित की जाये।
डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने भूगर्भ जल स्तर की समीक्षा करते हुए कहा कि रेन वाॅटर हारवेस्टिंग सिस्टम को शहर एवं गांवों में पूर्ण रूप से लागू किया जाये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के दृढ़ संकल्प को हर हाल में पूरा किया जाये। डाॅ0 सिंह ने कहा कि नियम बनाकर निर्माणाधीन सरकारी एवं निजी भवनों में रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया जाये। ऐसा न करने वालों पर बड़ा जुर्माना एवं कड़ी सजा का प्राविधान किया जाये।
जल शक्ति मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बिना अनुमति के अब कोई भी बोरिंग/समरसेबिल नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समरसेबिल का रजिस्टेªशन एवं मीटर लगाना अनिवार्य किया जाये। डाॅ0 सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को रेन वाॅटर हारवेस्टिंग सिस्टम को बनवाये बिना समरसेबिल कराने का लाइसेन्स नहीं मिलना चाहिए चाहे वह सरकारी/ प्राइवेट बिल्डिंग ही क्यों न हो। उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक दशा में पानी के दुरूपयोग को रोकना होगा। साथ ही अगले साल की बारिश का पूरा पानी जमीन के अंदर ले जाकर जल स्तर ऊपर उठाने हेतु समुचित प्रयास सुनिश्चित किये जायें। जल शक्ति मंत्री ने मथुरा, आगरा की यमुना बेसिन में भूगर्भ जल स्तर को ऊपर उठाने के लिए कराये जा रहे प्रोजेक्ट का विस्तृत विवरण भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।
जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जितने भी तालाब विभाग द्वारा बनाये गये हैं, उनके किनारे वृक्ष को निर्धारित मानक एवं दूरी पर लगाया जाये। उन्होंने कहा कि नये बनाये जा रहे तालाब की गहराई निर्धारित मानक के अनुसार होना चाहिए। डाॅ0 सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अब तक कितने तालाबों में पानी भरा जा चुका है अथवा बारिश से भर गये हैं एवं कितने तालाबों के किनारे वृक्ष लगाये जा चुके हैं उसका पूरा विवरण उपलब्ध करायें।
डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भारत सरकार द्वारा दी गयी किसी भी धनराशि का समय से पहले नियमानुसार उपभोग सुनिश्चित किया जाये तथा उसका सर्टिफिकेट भारत सरकार को भेजकर अतिरिक्त धनराशि की मांग की जाये। जल शक्ति विभाग मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह विभाग में अधिकारियों की अत्यधिक कमी के दृष्टिगत पदों को संविदा के आधार पर भरने का अनुमोदन मा0 मंत्रीपरिषद द्वारा किया जा चुका है। इस क्रम में मंत्री द्वारा विभाग को निर्देशित किया गया कि नियमानुसार कार्यवाही करते हुए तत्काल योग्य व्यक्तियों का चयन करने की कार्यवाही की जाए। साथ ही यह भी निर्देश दिये कि एक्ट हेतु नियमावली तथा वेब-पोर्टल इस प्रकार विकसित किये जाय, जिससे कि पूर्ण पारदर्शी व्यवस्था बनाई जा सके। मंत्री द्वारा अंत में विभागीय अधिकारियों को जनोन्मुखी तथा पारदर्शी कार्य संस्कृति अपनाये जाने के निर्देश दिये गये।
प्रमुख सचिव अनीता सिंह द्वारा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह अवगत कराया गया कि प्रदेश में समग्र भूजल प्रबन्धन के उद्देश्य से राज्य भूजल संरक्षण मिशन, भूगर्भ जल सर्वेक्षण का विकास, आंकलन एवं सुदृढ़ीकरण, शासकीय भवनों पर रूफटाॅप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना, भूजल जन-जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार की योजनाएं इस विभाग द्वारा वर्तमान में संचालित की जा रही है। विभाग ने यह भी अवगत कराया कि विकास कार्यों के फलस्वरूप प्रदेश के भूजल संसाधन कई स्थानों पर प्रदूषित हुए है। भूजल गुणवत्ता के अनुश्रवण एवं मैपिंग के कार्यो हेतु देश के सर्वोच्च तकनीकी संस्थान, भारतीय विष-विज्ञान अनुसंधान संस्थान (प्प्ज्त्) के साथ विभाग ने एमओयू हस्ताक्षरित किया है। संस्थान द्वारा इस वर्ष हिंडन बेसिन के भूजल नमूनों का परीक्षण/अध्ययन किया जा रहा है। विभाग द्वारा यह भी संज्ञान में लाया गया कि विभागीय योजनाओं के साथ-साथ विश्व बैंक पोषित 02 महत्वकांक्षी योजनाओं क्रमशः ‘‘उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग परियोजना-द्वितीय चरण’’ तथा ‘‘नेशनल हाइड्रलाॅजी प्रोजेक्ट’’ का संचालन भी यिका जा रहा है। विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि प्रदेश में भूजल प्रबन्धन एवं नियमन के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश भूजल (प्रबन्धन एवं नियमन) एक्ट-2019 लाया जा रहा है। एक्ट के ड्राफ्ट को मा0 राज्यपाल महोदय द्वारा हस्ताक्षरित भी किया जा चुका है।
बैठक में मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार के0वी0 राजू प्रमुख सचिव अनीता सिंह, विशेष सचिव जुहेर बिन सागीर, निदेशक भू-गर्भ जल वी0के0 उपाध्याय, मुख्य अभियन्ता डी0एन0 शुक्ला तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

 


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