भारत ने रूस को एस-400 मिसाइल सिस्टम की पहली खेप अगले साल मिल जाएगी। इसके लिए भारत ने रूस को अग्रिम भुगतान कर दिया है। अब अगले छह वर्षों के दौरान यानी 2025 तक रूस भारत को सभी डिफेंस सिस्टम सौंप देगा।
रूसी न्यूज एजेंसी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। बता दें कि भारत ने पिछले साल अक्टूबर में रूस के साथ 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से S-400 मिसाइल सिस्टम के एक बैच की खरीद के लिए समझौता किया था।
कुछ दिनों पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस यात्रा के बाद यह जानकारी सामने आई है। इस दौरे में जयशंकर अपने रूसी समकक्ष सर्गेइ लवरोव से मिले थे। रूस की फेडरल सर्विस की ओर से जारी बयान के अनुसार, भारत के साथ एस-400 के अग्रिम भुगतान का मसला सुलझ गया है। हालांकि, इस बयान में परियोजना की तकनीकी जानकारियों के बारे में नहीं बताया गया।
रूस की रक्षा सहयोग एजेंसी के डिप्टी डायरेक्टर व्लादिमीर द्रोझझोव ने जुलाई में कहा था कि अगर रूस को 2019 के आखिर तक अग्रिम भुगतान मिल जाती है, तो 2020 तक भारत को पहला मिसाइल डिफेंस सिस्टम सौंप दिया जाएगा। पूरी डिलिवरी 2025 तक हो जाएगी।
एस-400 मिसाइल प्रणाली 'एस-300' का एक उन्नत संस्करण है। इसे रूस की अल्माज केंद्रीय डिजाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित किया गया था। यह मिसाइल प्रणाली रूस में 2007 से ही सेवा में है और इसे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।
इस मिसाइल प्रणाली की सबसे बड़ी खासियत है कि यह करीब 400 किलोमीटर के क्षेत्र में दुश्मन के विमान, मिसाइल और यहां तक कि ड्रोन को भी नष्ट करने में सक्षम है। इसे सतह से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है। इस मिसाइल प्रणाली की क्षमता का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह अमेरिका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35 को भी गिराने की काबिलियत रखता है।
इस रक्षा प्रणाली से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों और जमीनी लक्ष्यों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसके अलावा इसकी खासियत है कि इस मिसाइल प्रणाली में एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं और इसके प्रत्येक चरण में 72 मिसाइलें शामिल हैं, जो 36 लक्ष्यों पर सटीकता से मार करने में सक्षम हैं।
एस-400 मिसाइल सिस्टम अमेरिका के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान एफ-35 को भी गिरा सकता है। वहीं, 36 परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों को एकसाथ नष्ट कर सकता है। चीन के बाद इस डिफेंस सिस्टम को खरीदने वाला भारत दूसरा देश है।
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