भारत के मून लैंडर विक्रम के भविष्य और उसकी स्थिति के बारे में भले ही कोई जानकारी नहीं है कि यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया या उसका संपर्क टूट गया, लेकिन 978 करोड़ रुपये लागत वाला चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ खत्म नहीं हुआ है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ आईएएनएस को बताया, “मिशन का सिर्फ पांच प्रतिशत -लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर- नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत -चंद्रयान-2 ऑर्बिटर- अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।”
एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिससे उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है।चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान में तीन खंड हैं -ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोट) और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड)। विक्रम दो सितंबर को आर्बिटर से अलग हो गया था।
चंद्रयान-2 को इसके पहले 22 जुलाई को भारत के हेवी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) के जरिए अंतरिक्ष में लांच किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने संपर्क टूटने की घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का प्रदर्शन योजना के अनुरूप था। उन्होंने कहा कि उसके बाद उसका संपर्क टूट गया।इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह मिशन कंट्रोल सेंटर है। विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।”
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