पहली बार हो रही थी दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश
चांद के फलक पर हमारे कदमों के निशां और लहराता तिरंगा देखने का 130 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात चांद की दहलीज तक पहुंच गया था। इस मिशन के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह आठ बजे देश को संबोधित किया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ के उतरने की सारी प्रक्रिया सामान्य थी। 35 किमी ऊपर से सतह पर उतरने की प्रक्रिया का काउंटडाउन 1:38 बजे शुरू हुआ। 13 मिनट 48 सेकंड तक सब कुछ सही चला। तालियां भी गूंजी, मगर आखिरी के डेढ़ मिनट पहले जब विक्रम 2.1 किमी ऊपर था, तभी करीब 1:55 बजे उसका इसरो से संपर्क टूट गया।
यह स्थिति करीब 12 मिनट तक रही। करीब 2:07 बजे वैज्ञानिकों ने बताया कि संपर्क बहाल करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, 2.18 बजे इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया, विक्रम से संपर्क टूट गया है। हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिवन और उनकी टीम का हौसला बढ़ाते हुए कहा, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हिम्मत रखिए।
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले ही बताया था कि लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट सबसे जटिल होंगे। बहुत तेज गति से चल रहे विक्रम को चांद की सतह तक सफलतापूर्वक उतारना सबसे बड़ी चुनौती थी। विक्रम ने आखिरी वक्त में अपनी दिशा बदल दी, जिसके बाद उससे संपर्क टूट गया।
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