अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में क़ानून मंत्री रहे राम जेठमलानी का 95 साल की उम्र में रविवार सुबह निधन हो गया. जेठमलानी बार काउंसिल के चेयमैन भी रहे थे.जेठमलानी ने कई हाई प्रोफ़ाइल आपराधिक मुक़दमों को लड़ा था और इस मामले में उनकी काफ़ी प्रतिष्ठा भी रही है. जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर, 1923 में हुआ था. 1
17 साल की उम्र में जेठमलानी ने क़ानून की डिग्री ले ली थी. इनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था लेकिन विभाजन के वक़्त भारत में आ गए थे.1959 में ही नानावती केस में जेठमलानी ने अपनी पहचान बना ली थी. इसके बाद से वो क्रिमिनल लॉ प्रैक्टिस के दिग्गज चेहरा बन गए. जेठमलानी के दो बेटे और दो बेटियां हैं. इनमें से महेश जेठमलानी और रानी जेठमलानी भी जाने-माने वकील हैं.
2014 में आम चुनाव से पहले जेठमलानी ने नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने का समर्थन किया था. हालांकि मोदी के पीएम बनने के बाद जल्द ही वो ख़िलाफ़ हो गए थे. 2015 में अरुण जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मानहानि का मुक़दमा दर्ज किया तो जेठमलानी ने केजरीवाल की पैरवी की थी. जेठमलानी के हाई-प्रोफ़ाइल केस में इंदिरा गांधी हत्या, हर्षद मेहता स्टॉक घपला, केतन पारेख, एलके आडवाणी हवाला, जयललिता की अघोषित संपत्ति, टू-जी में कनिमोई का बचाव, जेसिका लाल मर्डर में मनु शर्मा का बचाव, चारा घोटाला में लालू प्रसाद यादव, खनन घोटाला में येदियुरप्पा का केस, संसद पर हमले में अफज़ल गुरु का केस, सहारा सेबी केस में सुब्रतो रॉय का बचाव और रामलीला मैदान वाक़ये में बाबा रामदेव का बचाव अहम हैं.
2017 में राम जेठमलानी ने क़ानूनी पेशे से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी. जेठमलानी 1988 में राज्यसभा सांसद बने थे. इसके बाद से वो मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय रहे. 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जेठमलानी क़ानून मंत्री बने.
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें शहरी विकास मंत्रालय दिया गया. 1999 में एक बार फिर से क़ानून मंत्री बने लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस एएस आनंद और अटॉर्नी जनरल से मतभेद के कारण प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा देने को कह दिया था. तब अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राम जेठमलानी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. मोदी ने ट्वीट कर कहा, ''राम जेठमलानी के निधन से भारत ने एक असाधारण वकील और प्रतिष्ठित हस्ती को खो दिया है, जिसका योगदान अदालत और संसद दोनों में था. वो विलक्षण, साहसी और किसी भी विषय पर खुलकर बोलने से नहीं डरने वाले व्यक्ति थे. उनका सबसे अच्छा पहलू यह था कि वो अपने मन की बोलने की क्षमता रखते थे. वो डरते नहीं थे. आपातकाल के दौरान भी जेठमलानी ने लोगों की लड़ाई लड़ी थी. ज़रूरतमंदों की मदद करना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था. मैं ख़ुद को भाग्यशाली मानता हूं कि कई मौक़ों पर उनसे बात करने का मौक़ा मिला. इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है. वो अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका काम ज़िंदा रहेगा. ओम शांति.
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