लखनऊ:-बरसात के मौसम के दृटिगत उपभोग की जाने वाली सब्जियों में अत्यधिक कीटनााकों व खनिज तेलों के प्रयोग से उन्हें चमकाने एवं कृत्रिम रूप से रंगे जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। इनमें कुछ प्रकरणों में हैवी मैटल, पेस्टीसाईड होने की सम्भावना होती है। डंसंबीपजम ळतममद बीमउपबंस सब्जी में अन्दर तक चला जाता है तथा लीवर, किडनी और आँत पर कुप्रभाव डालता है। इसकी रोकथाम के दृटिगत डा0 अनिता भटनागर जैन, अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औाधि प्राासन के निर्देशानुसार विभाग द्वारा अगस्त माह में प्रदेश के समस्त जनपदों में विशेष अभियान चलाया गया था। अभियान के अन्तर्गत अफ सीजन की सब्जियों को कृत्रिम रूप से रंगे जाने की रोकथाम हेतु प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही कराते हुए सूचना उसी दिन शासन को उपलब्ध कराये जाने के निर्देश भी दिये गये।
चलाये गये अभियान के परिणाम स्वरूप प्रदेा में हरी सब्जियों (विशेषकर हरीमटर, धनिया, मेथी, पालक, परवल, करेला, तोरई, अदरख, टिन्डा तथा बैंगन) के 600 नमूने लिये गये, जिनका विशलेषण प्रदेश की 6 प्रयोगाालाओं में किया गया, जिसके अन्तर्गत केवल 32 नमूने (5.3ः) असुरक्षित, 04 (0.5ः) मिथ्या छाप तथा 1 अस्वीकृत (0.17ः) तथा 564 (94.2ः) मानक के अनुरूप पाये गये।
प्रदेश के 18 जिलों इटावा, सम्भल, मुरादाबाद, आगरा, कानपुर देहात, जालौन, हाथरस, हरदोई, कासगंज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, औरैया, रामपुर, झांसी, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, सिद्धार्थनगर तथा गाजियाबाद में सबसे अधिक हरीमटर तथा उसके पश्चात परवल तथा अदरख के नमूने असुरक्षित पाये गये। अपर मुख्य सचिव द्वारा इन असुरक्षित पाये गये नमूनों के सम्बन्ध में कठोर कार्यवाही करते हुये इन जिलों में पुनः अभियान चलाये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
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