इमरान खान ने कबूल किया है कि उनके मुल्क ने ही आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया था, लेकिन वे आतंकवादी नहीं जेहादी थे। इमरान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार को कहा कि सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिए जाने के बाद उनके मुल्क ने अमेरिकी जासूसी एजेंसी की मदद से जेहादियों को प्रशिक्षण दिया था। इसके दस साल बाद अमेरिका वहां पहुंचा, और जब उन्हें लंबे संघर्ष के बाद भी कामयाबी हासिल नहीं हो पाई, तो जेहादियों को आतंकवादी करार दिया गया और हमें दोषी ठहराया जा रहा है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक साक्षात्कार में कहा, 80 के दशक में हम इन मुजाहिदीन को सोवियत यूनियन के खिलाफ जेहाद के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे, जब उन्होंने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इन लोगों को पाकिस्तान ने प्रशिक्षण दिया है, और इन्हें अमेरिका की जासूसी एजेंसी सीआईए ने मदद मुहैया करवाई।
उन्होंने कहा, इसके एक दशक के बाद जब अमेरिकन अफगानिस्तान में आए, तो वे सभी गुट जो पाकिस्तान में हैं वे कह रहे हैं कि चूंकि अमेरिकन वहां (अफगानिस्तान में) आ गए हैं, तो अब यह जेहाद नहीं, आतंकवाद बताया जा रहा है। यह बड़ा विरोधाभासी है, और मुझे लगता है कि पाकिस्तान को तटस्थ रहना चाहिए था। क्योंकि इनमें शामिल होने की वजह से यही मुजाहिदीन गुट हमारे खिलाफ हो गए हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा, हमने भी अपने 70,000 लोग खोए हैं, हमने अपनी अर्थव्यवस्था से 100 अरब डॉलर से ज्यादा गंवा दिए। अंत में हमें ही अफगानिस्तान में अमेरिका के कामयाब नहीं होने के लिए दोषी करार दिया गया। मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान के साथ बहुत नाइंसाफी है।
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