चंद्रयान-2 को लेकर एक बार फिर से अपडेट आया है। भले ही चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से अब तक संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है, मगर इसरो ने अब तक उम्मीदें नहीं छोड़ी है। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की तलाश और उससे संपर्क साधने की कोशिश में जुटा नासा ने कहा है कि अब तक विक्रम लैंडर से कोई डाटा प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि, इसरो ने कहा है कि लूनर सरफेस का अध्ययन करने के लिए उसका पेलोड बेहतर काम कर रहा है। चंद्रयान 2 के लैंडर और रोवर से चंद्र सतह की फिजिकल ऑबजर्वेशन के डेटा के अभाव में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि सोडियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहे जैसे तत्वों का पता लगाने के लिए पेलोड को जैसे काम करना चाहिए, वैसे काम कर रहा है। इतना ही नहीं, इसरो को यह भी उम्मीद है कि चंद्रमा की सतह पर जैसे ही दिन होगा, एक बार फिर से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश तेज कर दी जाएगी।
गौरतलब है कि बीते सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' से कुछ मिनट पहले 'विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। इसके बाद से ही बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए ''हरसंभव कोशिशें कर रही है, लेकिन चंद्रमा पर रात शुरू होने के कारण 10 दिन पहले इन कोशिशों को स्थगित कर दिया गया था। हालांकि, बाद में नासा के ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें जारी की थी, उसमें उसने कहा था कि विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई है।
मंगलवार को इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि 'अभी यह संभव नहीं है, वहां रात हो रही है। शायद इसके बाद हम इसे शुरू करेंगे। हमारे लैंडिंग स्थल पर भी रात का समय हो रहा है। चंद्रमा पर रात होने का मतलब है कि लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है। उन्होंने कहा, ''चंद्रमा पर दिन होने के बाद हम प्रयास करेंगे।
चंद्रयान-2 काफी जटिल मिशन था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से की खोज करने के लिए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया था।
इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा। कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है। इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ''मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्रमा पर रात के समय अत्यधिक ठंड में लैंडर दुरुस्त स्थिति में रह सकता है, अधिकारी ने कहा, ''सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है। इस बीच, सिवन ने कहा कि ऑर्बिटर ठीक है।
झांसी में हुआ हादसा खिड़की तोड़कर बाहर निकाले...
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में पूर्व मंत्री आशुतोष...
वाराणसी में 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र...
Lucknow: दरिंदगी, कट्टरता और अराजकता के खिलाफ शहर में...
यूपी में ठंड की आहट…आज भी इन 26 जिलों में बारिश का...
UP में फिर तबादले; योगी सरकार ने 8 जिलों के पुलिस कप्तान...