परिवहन विभाग प्राप्त शिकायतों का समयबद्ध व गुणवत्तापूर्वक निस्तारण को प्राथमिकता दे
Lucknow-उत्तर प्रदेश सरकार ने इंटीग्रेटेड ग्रीवन्स रिड्रेसल सिस्टम (आई0जी0आर0 एस0-समन्वित शिकायत प्रणाली) के तहत प्राप्त प्रकरणों/संदर्भों के निस्तारण में जीरो डिफाॅल्टर नीति अपनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्राप्त होने वाले संदर्भों पर अब एक माह में उसका गुणवत्ता युक्त निस्तारण सुनिश्चित किया जायेगा, ताकि कोई भी प्रकरण डिफाॅल्टर ना बन पाये।
यह जानकारी प्रमुख सचिव परिवहन अरविन्द कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि लोक शिकायतों का निस्तारण समयबद्ध रूप से होने से जहां आम जन में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा, वहीं एक संवेदनशील शासकीय एवं प्रशासनिक व्यवस्था के अन्तर्गत लोगों की समस्याओं का समाधान समय से हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विभागीय कमियों, त्रुटियों और अनियमितताओं को दूर करके प्रभावी प्रशासनिक तंत्र को स्थापित करने में भी इससे मदद मिलेगी।
प्रमुख सचिव ने परिवहन आयुक्त और उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से अपेक्षा की है कि आई0जी0आर0एस0 के अन्तर्गत शिकायतों के समयबद्ध और गुणवत्ता पूर्वक निस्तारण को प्राथमिकता दी जाये, इसके साथ ही नियमित अनुश्रवण करके इस प्रणाली को और प्रभावी बनाया जाये। उन्होंने कहा कि आई0जी0आर0एस0 की समीक्षा में पाया गया कि पर्याप्त पर्यवेक्षण के अभाव में कई बार अनेक शिकायतें/संदर्भ अनावश्यक रूप से अनिस्तारित रह जाते हैं। एक माह से अधिक अवधि तक लम्बित रहने के कारण इन संदर्भों का वर्गीकरण डिफाॅल्टर श्रेणी में हो जाता है। इस विलम्ब से जहां आमजन को असुविधा होती है, वहीं विभाग की छवि धूमिल होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। यह स्थिति उचित नहीं है, उन्होंने बताया कि आई0जी0आर0एस0 के तहत प्राप्त होने वाली लोकशिकायतों/संदर्भों का निस्तारण एक माह में कराना प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किया जाये।
श्री कुमार ने परिवहन आयुक्त और प्रबंध निदेशक से अपेक्षा की है कि वे अपने अधीनस्थों को इस मामले में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें। साथ ही अधीनस्थों द्वारा अपने स्तर से प्रकरणों के प्रभावी एवं समयबद्ध अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाये, जिससे वांछित संदर्भ डिफाॅल्टर न हो सके। उन्होंने बताया कि यदि अपरिहार्य कारणों से किसी लंबित प्रकरण का समयबद्ध निस्तारण नहीं हो पा रहा हो, तो उसकी गहन समीक्षा कर प्राथमिकता से कार्यवाहीं करके उसका शीघ्र निस्तारण कराया जाये। डिफाल्टर रहने की अंतरिम अवधि में डिफाॅल्टर होने के कारणों एवं की गई कार्यवाही के विवरण समेत अपनी सुस्पष्ट आख्या शासन को प्रत्येक सप्ताह उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये। ऐसे मामलों को अग्राह्य स्थिति मानते हुए इसे किसी भी स्थिति में अनावश्यक रूप से लंबित नहीं रखा जाये।
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