चंद्रयान 2 की लांचिंग के वक्त हादसे का शिकार हुए विक्रम लैंडर के मलबे को आखिर ढूंढ निकाला गया है। करीब तीन महीने बाद विक्रम लैंडर का मलबा चांद की सतह पर मिला है। इसे ढूंढने में सबसे बड़ी भूमिका चेन्नई के एक इंजीनियर ने निभाई है। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम ने नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए विक्रम लैंडर के मलबे को ढूंढ निकालने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कई दिनों तक नासा की तस्वीरों का अध्ययन किया और आखिर में कामयाबी भी मिली। बता दें कि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद से विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूट गया था।
अपनी इस खास उपलब्धि पर शनमुग ने कहा कि मुझे चांद की सतह पर कुछ अलग सा दिखा, मुझे लगा कि ये विक्रम लैंडर का मलबा ही होगा। फिर आज नासा ने भी इसकी पुष्टि कर दी। उन्होंने कहा, मैंने 4-5 दिन तक रोजाना 7-8 घंटे इसमें लगाए। सही जानकारी के साथ इसे कोई भी कर सकता था। इससे कई लोग प्रेरित होंगे। शनमुग ने बताया कि सात सितंबर से अक्टूबर की शुरुआत तक मैंने रोजाना करीब 7 से 8 घंटे तस्वीरों का अध्ययन किया। मुझे लैंडिंग साइट से करीब साढ़े सात सौ मीटर दूर एक सफेद बिंदु दिखा जो लैंडिंग से पहले की तस्वीर में नहीं दिख रहा था। उसकी चमक भी ज्यादा थी। तब मैंने अंदाजा लगाया कि यह विक्रम लैंडर का ही टुकड़ा है। तब मैंने ट्वीट किया कि शायद इसी जगह पर विक्रम चंद्रमा की मिट्टी में धंसकर दफन हो गया है।
शनमुग ने बताया कि उनकी रुचि इसमें इसलिए बढ़ गई क्योंकि विक्रम लैंडर ठीक से लैंडिग ही नहीं कर पाया। नासा ने 17 दिसंबर को इस जगह की तस्वीर जारी की। इसे डाउनलोड करने के बाद मैंने इसे बीच बीच से छानना शुरू किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद मैंने इसरो के लाइव टेलीमेट्री डेटा के मुताबिक विक्रम लैंडर की आखिरी गति और स्थिति के अनुसार लगभग दो गुणा दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की पिक्सेल स्कैनिंग की।
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