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देश मे आज धूमधाम से मनायी जा रही है महाशिवरात्री

देश मे आज धूमधाम से मनायी जा रही है महाशिवरात्री

2020-02-21 15:38:38
 देश मे आज धूमधाम से मनायी जा रही है महाशिवरात्री

आध्यात्म की दृष्टि से भारत दुनिया भर में शानदार देश है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा और भी कई ऐसे तीर्थस्थल हैं, जहां भगवान भोलेनाथ के भव्य मंदिर हैं और कई विशेष अवसरों पर देश-दुनिया से शिवभक्तों की भीड़ जुटती है। खासकर महाशिवरात्रि के अवसर पर देशभर के असंख्य शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हैं। हर ओर भक्तिमय माहौल होता है ।
मनोकामना पूर्ति हेतु हमेशा से चली आ रही भक्ति विधि से भगवान शिव की भक्ति करते हैं। शिवलिंग की पूजा का यह पर्व पूरे भारत में लगभग सभी जगह मनाया जाता है जिसमें विशेष सामग्री जैसे दूध, बेलपत्र, फूल, फल आदि, शिव अभिषेक करके शिव लिंग पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव को इष्ट देव के रूप में मानने वाली भक्त आत्माएं इस उत्सव या व्रत को बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
महाशिवरात्रि क्या है?
महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) को हिंदू धर्म में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। इसे माता पार्वती और भगवान शिव के भक्तों के लिए पर्व का उत्सव भी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव को आराध्य मानने वाले भक्तों में उमंग रहती है। वे अपने अनुसार भगवान शिव की भक्ति करते हैं तथा उनको खुश करने के लिए उनके शिवलिंग की पूजा आराधना करते हैं। इसी दिन भगवान शिव नीलकंठ नाम से प्रसिद्ध हुए थे, इसी दिन की रात में भगवान शिव को रातभर जगाने के लिए देवताओं ने एक उत्सव का आयोजन किया था। जिससे खुश होकर भगवान शिव ने देवताओ को शुभ आशीर्वाद दिया तभी से यह रात शिवरात्रि के नाम से प्रचलित है। जिसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
समुद्र मंथन, अमर अमृत का उत्पादन करने के लिए निश्चित था, लेकिन इसके साथ ही हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ था। हलाहल विष में पूरे संसार को नष्ट करने की क्षमता थी और इसलिए केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे। भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था। जहर इतना ज्वलनशील था कि भगवान शिव दर्द से पीड़ित थे और उनके गले का रंग नीला हो गया था। इस कारण से भगवान शिव ‘नीलकंठ‘ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
उपचार के लिए, चिकित्सकों मुनियों ने देवताओं को भगवान शिव को रात भर जागते रहने की सलाह दी। इस प्रकार, देवतागण ने भगवान शिव के चिंतन में एक प्रयोजन रखा तथा भगवान शिव का ध्यान हटाने और रातभर जगाने के लिए उन्होंने अलग-अलग नृत्य और संगीत बजाए। जैसे ही सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया। शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया। तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है।
महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष किस दिन मनायी जाती है?
■ महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में प्रचलित उत्सव में एक है। हिंदू देवताओ में एक भगवान शिव की उपासना के लिए मनाया जाता है। इसे शिव पार्वती का व्रत भी कहा जाता है, क्योंकि यह उत्सव शिव पार्वती से संबंधित है। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। यह भारत के कोने कोने में बड़े धूमधाम से मनाए जाने वाला उत्सव है। इस उत्सव के दिन भारत के लगभग सभी शिव मंदिर में भगवान शिव की पूजा उपासना होता है।
महाशिवरात्रि को शिव पार्वती का दिन भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि के बारे में कई बातें प्रचलित है जैसे कि इसी दिन सृष्टि की उत्पत्ति हुआ थी, इसी दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था आदि-2। हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2020 में भी महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्थी को ही मनाया जाएगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार में 21 फरवरी 2020 को मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि का व्रत-एक अनोखा उत्सव है जिसमें लगभग सभी हिन्दू धर्म के व्यक्ति भाग लेते हैं। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सब इस व्रत को करते हैं। इस व्रत को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग विधि से मनाया जाता है जिनमें से एक विधि नीचे बताई गई है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति सुबह से लेकर अगली सुबह तक किसी प्रकार के आहार का सेवन नहीं करते। भगवान शिव की कथा सुनते हैं। भगवान शिव के शिवलिंग पर कच्चा दूध,बेलपत्र,फुल,फल आदि चढ़ाकर अपना व्रत पूरा करते है। जिससे उनको क्षणिक लाभ मिल जाते हैं।
• भगवान से पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें अपने शास्त्र के अनुसार भक्ति करनी होगी जिससे हमें जीवन पर्यंत मिलने वाले लाभ प्राप्त हो सकते है। महाशिवरात्रि के व्रत को करने से मिलने वाले लाभ का क्षणिक होने का कारण यह है कि यह हमारे शास्त्रों में जो भक्ति विधि लिखी है उनके विरुद्ध है।
• हमारे शास्त्रों में लिखा है कि हमें किसी भी प्रकार के व्रत नहीं करना चाहिए। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है कि जो व्यक्ति शास्त्रोंविधि को छोड़ कर मनमानी पूजा करते हैं उनको मोक्ष प्राप्त नहीं होता है.
• गीता अध्याय 6 श्लोक 16 मैं लिखा है कि योग व भक्ति विधि ना तो बहुत अधिक खाने वाले की और ना ही बिलकुल ना खाने वाले की अर्थात उपवास व्रत करने की सिद्ध हो सकती है अर्थात व्रत करना सख्त मना है। फिर भी हम व्रत करते हैं जिसे हमें केवल क्षणिक लाभ मिलता है। इससे न तो हमारा मोक्ष होता है और न ही हमें जीवन पर्यंत लाभ मिलता है।
शिव जी कौन है?
अगर सृष्टि की रचना से देखा जाए तो वहां लिखा गया है कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव यह तीनों भाई हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश को तीन गुण के नाम से भी जाना जाता है जिसमें ब्रह्मा को रजोगुण, विष्णु को सत्वोगुण तथा शिवजी को तमोगुण कहा जाता है। जिसकी माता मां अष्टांगी जिसे माता दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है तथा पिता ब्रह्म है जिसे निरंजन भी कहा जाता है।
शिवजी के सामर्थ्य की एक अन्य कथा
एक समय की बात है एक भस्मागिरी नाम का शिवभक्त था, जो अपनी इच्छाफल हेतु भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता था। भस्मागिरी अपने ज्ञान के अनुसार भगवान शिव की भक्ति (हठयोग) करने लगा, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव उन्हें इच्छावर देने के लिए तैयार हो गए। इच्छावर में भस्मागिरी ने भगवान शिव से उनके भस्मकड़ा प्राप्त करने की इच्छा जाहिर की। भगवान शिव ने सोचा कि यह एक साधु संत है, किसी के भय के कारण अपनी सुरक्षा हेतु भस्मकड़ा प्राप्त करने की इच्छा जाहिर कर रहा है। भगवान शिव ने भस्मागिरी की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपना भस्मकड़ा इच्छावर के रूप में प्रदान किया।

 


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