इस्लाम, पवित्र कुरान तथा हजरत मोहम्मद साहब ने हमेषा ही सहिश्णुता की हिमायत की है। इस्लाम के मानने वाले को इसे अपनाने की सख्ती से हिदायत और सीख दी ताकि समाज में षांति और सौहार्द बना रहे। अक्सर धर्म, जाति, वित्तीय स्थिति, संस्कृति, रंग और खान-पान की आदतों में विभिन्नता समाज को टुकड़ों में बांट देती है, जिसकी वजह से उस वर्ग में असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती हैं। यहाँ तक कि जानवर और पंछी भी अपनी जाति के अन्य साथियों के साथ पूर्ण सौहार्द की भावना के साथ रहते हैं और वे मानव जाति को सहिश्णुता और परस्पर निर्भरता का संदेष देते हैं।
इसके कई उदाहरण खुद मोहम्मद साहब ने अपने व्यवहार के माध्यम से दिया है। मसलन एक वाकया, एक दफा हजरत मोहम्मद साहब असर की नमाज के बाद मस्जिद-ए-नवबी म़दीना में अपने अनुयायियों के साथ बातचीत में मषगूल थे कि अचानक 50-60 ईसाइयों का एक समूह, जिनकी अगुयायी एक पादरी कर रहा था, वहाँ आया और बिना किसी की इजाजत लिए मस्जिद में दाखिल हो गया और वे सब ईसाई धर्म की पद्वति के अनुसार पूजा-आचरण करने लगे। इसे देखकर वहाँ मौजूद मोहम्मद के अनुयायी गुस्से में आ गए और उन्होंने उस ईसाई-समूह को मस्जिद के अंदर इबादत करने से रोकने की कोषिष की। किन्तु हजरत मोहम्मद साहब ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और उन ईसाइयों को बेरोकटोक मस्जिद के अंदर इबादत करने की इजाजत दे दी। उनकी पूजा के बाद हजरत साहब ने उनके साथ बड़े ही सौहार्दपूर्ण ढंग से बातचीत की। हजरत ने अपने अनुयायियों को यह निर्देष दिया कि वे उन ईसाइयों के किसी भी गिरजाघर को तवाह नहीं करेंगे। इसके साथ-साथ उन्होंने ईसाईयों को अपने धर्म का अनुपालन करने की भी आज्ञा दी। हजरत साहब के द्वारा दिखाई गयी आपसी समझ, सहयोग, सहिश्णुता और भाईचारे की ऐसी भावना की अभी बहुत जरूरत हैं।
दुनिया भर की मस्जिदें ऐसा स्थान बन गई हैं जहाँ मुसलमान इस्लामी, षिक्षाओं का ज्ञानार्जन करते हैंैं। मस्जिदों को स्वयं को मजबूत करते हुए प्रतिबंधित तत्वों द्वारा देष के नौजवानों के दिमाग में घुसने की कोषिषें को रोकने व कट्टरवाद के फैलाव को रोकने के लिए आगे आना होगा ताकि इनके द्वारा फैलाई जाने वाली हिंसा और घृणा को रोका जा सके। ये मस्जिदें मुस्लिम समुदाय की षिक्षा-दर को भी बढ़ा सकती है और उनमें सहिश्णु तथा आधुनिक षिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। इन मस्जिदों के प्रबंधकों को भी चाहिए कि वे ताजातरीन और सम-सामयिक मुद्दों पर तकरीरों/उपदेषों के केन्द्रित करे और इनका मुस्लिम नौजवानों में प्रचार व प्रसार आधुनिक माध्यमों से करे।
हजरत मोहम्मद साहब ने सामाजिक सौहार्द की षिक्षाएं दी है। हमें साहब की षिक्षा की जरूर जानना चाहिए। मसलन साहत कहते हैंः इमान वाले को किसी मजहब की आलोचना नहीं करनी चाहिए। सही रास्ते के बारे में सोचना और उस पर चलना एक अच्छे इंसान के गुण हैं। गरीब और जरूरतमंद की चुपके-से सहायता करिए इस तरह के नेक कार्यो का प्रचार करने की जरूरत नहीं है।
UP Rains: मौसम विभाग की नई भविष्यवाणी, अगले 48 घंटे में...
राहुल गांधी रायबरेली से लड़ेंगे चुनाव, अमेठी से...
Lok Sabha Election 2024: स्टैंड अप कॉमेडियन श्याम रंगीला पीएम...
।लोकसभा चुनाव: स्मृति ईरानी और राजनाथ सिंह आज भरेंगे...
लोकसभा चुनाव 2024: 13 राज्यों की 88 सीटों पर मतदान, मैदान...
जनता के बीच चुनावी मैदान में नजर आईं अखिलेश की...