प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि हर युग में कुछ न कुछ चुनौतियां आती हैं और ये चुनौतियां हमारी ताकत को परखने के लिए होती है। कोविड-19 भी इसी तरह की एक चुनौती है।
पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग निष्क्रियता को सबसे सुविधाजनक कार्रवाई मानते हैं। लेकिन हमारे लिए, सुशासन का विकास और वितरण सुविधा की बात नहीं है, बल्कि यह हमारा विश्वास है। उन्होंने कहा कि यथास्थिति को तोड़ना हमारा दृढ़ विश्वास है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सरकार के नए नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने जैसे फैसलों की आलोचना करने वालों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि 'सही बात करने वाले आज उन लोगों से चिढ़ते हैं जो 'सही चीजें' करने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनियाभर के शरणार्थियों के लिए अधिकारों की बात करने वाला यही गैंग आज पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के भारत के कदम का विरोध कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह गैंग संविधान की बात करता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के अस्थायी प्रावधान को समाप्त करने और भारतीय संविधान को पूरी तरह से अमल में लाने का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि सही चीजों को लेकर बात करना गलत नहीं है, लेकिन इन लोगों के मन में उनके लिए खास जरी कि चिढ़ है जो सही चीजें कर रहे हैं। ऐसे में जब यथास्थिति को समाप्त कर उसमें बदलाव लाया जाता है तो उन्हें इसमें गड़बड़ी दिखती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का विकास और कामकाज का संचालन सुविधा का विषय नहीं है, यह दृढ़ निश्चय की बात है। उन्होंने कहा, ''हमें सही चीज करने को लेकर दृढ़ विश्वास है। हम यथा स्थिति को दूर करने को लेकर दृढ़ प्रतिज्ञ हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी सब्सिडी के लाभार्थियों के खातों में सीधे अंतरण से हजारों करोड़ रुपये की बचत हुई है।
इसी तरह रेरा कानून से रीयल एस्टेट क्षेत्र को कालेधन से बचाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि हमने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाकर यथास्थिति को तोड़ा है। इससे हमारे सैन्य बलों की सहक्रियता और तालमेल बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि भारत सतत वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। अपनी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि राजमार्गों के निर्माण की रफ्तार को बढ़ाकर प्रतिदिन 30 किलोमीटर किया गया है। पहले यह 12 किलोमीटर प्रतिदिन था।
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