लखनऊ से संवाददाता प्रमोद श्रीवास्तव
बिजनौर जिला प्रशासन के नाक नीचे बिना लैंड यूज चेन्ज करवाये जमीन बेच कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाने का मामला अब मुख्यमन्त्री दरबार मे पहुॅच चुका है। सरकार के संज्ञान मे मामला आने के बाद इसके गहन जाॅच की बात होने लगी है।
बाग की जमीन को आवासीय समझ कर खरीद कर ठगी का शिकार हुये बिजनौर के कुछ पीडित लखनऊ आये थे। जिनका एक प्रतिनिधी मन्डल लखनऊ के पत्रकारो से मिलकर बिजनौर जिला प्रशासन,बाग स्वामी और बाग की जमीन को कालोनी बनाकर बेचने वालो की शिकायत कर बताया कि कैसे बिजनौर जिला प्रशासन से मिलकर लगभग 14 करोड रूपये का चूना सरकार को लगाया जा रहा है। इस मसले को कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारो ने उपरोक्त मामले को कैबिनेट ब्रीफिग मे भी उठाया।
ज्ञात हो कि बिजनौर में स्टेट बैंक के सामने नजीबाबाद रोड पर बाग के भू स्वामी द्वारा बाग की जमीन को बगैर लैंड यूज बदलवाए बेचा जा रहा है। जबकि भू स्वामी द्वारा अगर यह जमीन लैंड यूज बदलवा कर बेची जाती तो उनको इस लैड यूज चेन्ज के बदले सरकार को कम से कम 14 करोड रूपये राजस्व का जमा करवाना पडता। इसी 14 करोड को बचाने के लिये भू स्वामी ने जिला प्रशासन की नोटिस के बाद भी सारी जमीनो को लगभग बेच दी है।
सदियों पुरानी कहावत है ष्जब बाढ़ ही खेत को खाये तो खेत को कौन बचाएष् यह कहावत बिजनौर के जिला प्रशासन के ऊपर सटीक बैठ रही है क्योंकि यहां पर भू माफियाओं से गठजोड़ कर सरकार को करोड़ों के नुकसान के साथ खुलेआम चुनौती दी जा रही है।
बिजनौर शहर की प्राइम लोकेशन पर स्थित जैन फार्म के बाग में काटी जा रही वर्धमान कॉलोनी का न तो मानचित्र ले आउट प्लान ही पास है और न ही कॉलोनी ,उसके बाबजूद धडल्ले से कॉलोनी के प्लॉट्स बेचने का काम जारी है।
जबकि उपरोक्त जमीन बाग मे दर्ज है। उक्त बेशकीमती जमीन को अगर आवासीय भूखण्ड बनाकर भू स्वामी को बेचना ही है तो पहले उपरोक्त बाग की जमीन को नियमानुसार लैंड यूज बदलवाना चाहिए। जैसा कि भू स्वामी न कर जैसे तैसे बाग की जमीन को बेच रहा है। भू स्वामी के एैसा करने से प्रदेश सरकार को लगभग 14 करोड़ रुपये राजस्व की हानि हो रही है।
सवाल यह उठता है कि क्या भू माफियाओं को बिजनौर के प्रशासानिक अधिकारियों का सरंक्षण प्राप्त है ? आखिर कैसे बगैर 14 करोड़ रुपये राजस्व जमा किये जमीन की खरीद फरोख्त जारी है।
आपको बता दे दिल्ली निवासी मोहित जैन, गौरव जैन आदि का बिजनोर में जैन फॉर्म के नाम से आम का विशाल बाग है उक्त बाग में से 45 बीघा जमीन 58 करोड़ रुपए में बिजनौर के कुछ प्रोपर्टी डीलर्स ने खरीदने के बाद वर्धमान कॉलोनी के नाम से अवैध कॉलोनी काटी है। जिस पर व्यवसायिक और रिहायशी प्लाटों की बिक्री बिना कॉलोनी स्वीकृत कराये की जा रही है। बिजनौर प्रशासन की घोर लापरवाही की वजह से जहां बगैर लैंड यूज बदलाव के करोड़ों के राजस्व की चोरी की गई, वहीं दूसरी तरफ अवैध प्लाटों की खरीदारी चल है। जबकि इस मामले मे उप जिलाधिकारी विनियमित क्षेत्र बिजनौर ने बाग स्वामी श्री मोहित जैन को 26 दिसम्बर 2019 को उत्तर प्रदेश निर्माण कार्य विनियमन 1958 की धारा-6 का उल्लधन का नोटिस भी जारी कर रखा है। इस नोटिस के बाद भी अगर जमीन को खरीदने बेचने और कालोनी डेवलप करने का कार्य हो रहा है और प्रशासन इस मामले पर कुछ भी करवाई न करे तो मामला किसी बड़े खेल की ओर इशारा कर रही है।
इस समबन्ध मे एस0डी0एम बिजनौर बृजेश कुमार सिंह से पूछा गया तो उन्होने कहा कि वह किसी को जमीन खरीदने और बेचने के लिये रोक नही सकते है। जबकि 26 दिसम्बर 2019 को उत्तर प्रदेश निर्माण कार्य विनियमन 1958 की धारा-6 का उल्लधन का जो नोटिस जारी हुआ था उसी नोटिस मे उपजिलाधिकारी ने क्षेत्र के अवर अभियन्ता और कोतवाल को स्पष्ट लिखा है कि उपरोक्त भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य बन्द कराये इसके बाउजूद धडल्ले से जमीन को समतल कर सडक बनाने और डेवलप करने का कार्य हो रहा है।
अगर एस0डी0एम बिजनौर बृजेश कुमार सिंह की नीयत साफ होती और वह चाहते कि सरकार को करोडो का राजस्व सरकार के खजाने मे पहुचे तो जैसे उन्होने 26 दिसम्बर 2019 को उत्तर प्रदेश निर्माण कार्य विनियमन 1958 की धारा-6 का उल्लधन का नोटिस बाग स्वामी को दिया उसी तरह वह एक पत्र रजिस्टी विभाग के रजिस्टार को लिख कर रोज हो रही रजिस्टी को रोक सकते थे। मगर बाग स्वामी को नोटिस भेजने के बाद एस0डी0एम बिजनौर बृजेश कुमार सिंह का हाथ पर हाथ धरे बैठना समझ से परे है।
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