अल्लाह ने सिर्फ इंसानों को बहुत सी नियामतों से नवाज़ा है I इन्ही नियामतों में से एक है, ज़हनी खयालात जो कि हमें अच्छे और बुरे की पहचान करने की सलाहियत देता हैI सल्लालाहि अलैह वसल्लम ने फरमाया है कि “हमने आदम की संतान को श्रेष्ठता प्रदान की है और अच्छी पाक चीज़ों की उन्हे रोज़ी दी और अपने पैदा किये हुए बहुत से प्राणियों की अपेक्षा उन्हे श्रेष्ठता प्रदान की” (कुरआन १७:७०) I कुरआन ने इस आयत के ज़रिये यह तालीम दी है कि इंसान चाहे वो मुसलमान, हिन्दू, सिख, बौध या किसी और जाति का ही क्यों न हो, वह इज्ज़त का हक़दार है क्योंकि हम सब इंसान आदम की संतान हैI इसके साथ-साथ कुरआन ने कुफ्र, फिस्क, झूठ, चोरी, धोखेबाज़ी आदि से भी इंसानों को तौबा करने की बात कही है और कहा है की सल्लालाहु अलेहि वसल्लम की नियामत के लिए शांति, आपसी सदभाव आदि का रास्ता अपनाना चाहिए I
“एक इंसान का कत्ल पूरी इंसानियत का कत्ल/हत्या के बराबर है और एक इंसान की हिफाज़त/जान बचाना पूरी इनसानियत/मानवता की हिफाज़त या जान बचने के बराबर है” (५: ५३)
ज़ाहिर है की इस्लाम एक शांति/अमन का पैगाम देने वाला मज़हब है, जोकि खून-खराबा और बेगुनाह लोगों को मारने से नफरत करता है I इस मज़हब का मकसद एक ऐसे दरार मुक्त समाज को बनाना है, जहाँ बांटने वाली सोच के लिए कोई जगह नहीं हैI इस्लाम में हथियारबंद या सशस्त्र समूहो और गैर राज्य संस्थाओं को जिहाद करने की मनाही है I आतंकवादियों और धार्मिक कट्टरवादों के समर्थको के द्वारा प्रचारित विचारधारा के खिलाफ प्रचार प्रसार के लिए इन इस्लामिक शिक्षाओं और दिशा निर्देशों पर भरोसा किया जाना चाहिए, जो अमन का पैगाम देतें हैं I यह काम सबसे अच्छे तरीके से उलेमा, मस्जिदों और धार्मिक मंचों के ज़रिये कर सकते हैं I
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