निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात में शामिल हुए लोगों का जांच टीमों ने सेल डाटा तो एकत्र कर लिया गया है, लेकिन जांच अधिकारियों के सामने बड़ी चुनौती यह है कि बरामद ज्यादातर मोबाइल नंबर स्विच ऑफ हैं। पुलिस को अब उन सभी नंबरों का पता निकालकर संबंधित राज्यों की पुलिस से जानकारी जुटानी पड़ रही है।
सूत्रों का कहना है कि नंबर बंद करने के पीछे जमाती खुद को क्वारंटीन से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। जांच में कुछ मोबाइल नंबर ऐसे भी मिले हैं, जो फर्जी नाम-पते पर लिए गए हैं। उन पते पर संबंधित शख्स रहता ही नहीं है। इन चुनौतियों के सामने आने के बाद पुलिस की परेशानी दोगुनी हो गई है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान कैसे करे? हालांकि, क्राइम ब्रांच जमातियों की तलाश के लिए क्राइम मैपिंग का भी सहारा ले रही है।
मैपिंग से पता चला है कि बड़ी संख्या में जमातियों के मोबाइल की लोकेशन कई दिन तक मरकज के आसपास आ रही है, लेकिन फिलहाल उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। मैपिंग प्रक्रिया में अन्य राज्यों की पुलिस से भी क्राइम ब्रांच मदद ले रही है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस संकट को नजरअंदाज करते हुए मार्च में हुए तब्लीगी जमात कार्यक्रम में करीब 9000 लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें से हजारों लोग देश के विभिन्न हिस्सों से आए थे। कार्यक्रम में विदेश से आए लोग भी शामिल थे। इन सभी लोगों की तलाश की जा रही है और उन्हें क्वारंटीन करने का प्रयास किया जा रहा है।
उधर, डंप डाटा में मरकज या उसके आसपास सभी एक्टिव मोबाइल की डिटेल हैं, जिन मोबाइल फोन की लोकेशन यहां लंबे समय तक आ रही थी उनके यूजर्स से सपंर्क किया जा रहा है। उनसे पूछा जा रहा है कि क्या वो मरकज के अंदर थे या नहीं?
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