नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इमरजेंसी रिस्पॉन्स और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी के लिए 15000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी. इस राशि को तीन चरणों में लागू किया जाएगा. आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की खरीद और निगरानी के लिए राज्य सरकारों को मदद का एलान किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और आयुक्तों (स्वास्थ्य) को लिखी चिट्ठी में कहा कि केंद्र द्वारा शत-प्रतिशत वित्तीय मदद वाला आर्थिक पैकेज जनवरी 2020 से मार्च 2024 तक तीन चरणों में लागू किया जाएगा.
पहले चरण में क्या होगा- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जून 2020 तक के पहले चरण के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए धन जारी कर रहा है. पहले चरण में जिन गतिविधियों को लागू किया जाएगा उनमें कोविड-19 के लिहाज से विशेष अस्पतालों, आईसोलेशन ब्लॉक, वेंटिलेटर युक्त आईसीयू के विकास के लिए, प्रयोगशालाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए, अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती आदि के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहयोग देना शामिल है.
एन-95 मास्कों और वेंटिलेटरों की खरीदने के लिए कहा गया=मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से केंद्र द्वारा प्रदान किये जा रहे संसाधनों के अतिरिक्त निजी सुरक्षा उपकरणों, एन-95 मास्कों और वेंटिलेटरों की खरीद में इस पैसे का इस्तेमाल करने को कहा है. पहले चरण में परियोजना को जनवरी 2020 से जून 2020 तक, दूसरे चरण में जुलाई से मार्च 2021 तक और तीसरे चरण में अप्रैल 2021 से मार्च 2024 तक लागू किया जाएगा.
उधर आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पीपीई, मास्क और वेंटीलेटर की सप्लाई अब शुरू हो चुकी है. भारत में 20 घरेलू निर्माताओं को पीपीई के लिए विकसित किया गया है, 1.7 करोड़ पीपीई के लिए ऑर्डर दिए गए हैं और आपूर्ति शुरू हो गई है. 49,000 ऑर्डर दिए गए हैं.
भारत में कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गुरुवार शाम सात बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक कोरोना वायरस के कुल 5865 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं. वहीं अब तक 169 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं इलाज के बाद 478 लोग रिकवर कर चुके हैं. सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में है. यहां अब तक कुल 1135 मामले सामने आ चुके हैं.
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