प्रति डोज एक हजार रूपये हो सकता है- आदर पूनावाला
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) अब तक 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. करीब 30 लाख लोग कोविड-19 (Covid-19) वायरस से संक्रमित हैं. दुनिया के तमाम देश इस वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन या दवाई बनाने में जुटी हैं, लेकिन अब तक किसी को कामयाबी नहीं मिल सकी है. ऐसे में अब दुनिया कोविड-19 के वैक्सीन (Covid-19 vaccine) की उम्मीद में भारत की ओर देख रही है.
ऐसी ही कंपनियों में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया शामिल है. यह दुनिया भर में सबसे अधिक टीके और उसके डोज बनाने वाली कंपनी है. 53 साल पुरानी कंपनी हर साल 1.5 अरब डोज बनाती है. इस कंपनी में करीब 7,000 लोग काम करते हैं. कंपनी 165 देशों में 20 टीकों की आपूर्ति करती है. अब इस फर्म ने लाइव एटेन्यूएटेड वैक्सीन विकसित करने के लिए अमेरिकी बायोटेक कंपनी कोडाजेनिक्स से करार किया है.सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला ने कहा, ‘हम अप्रैल में इस टीके के चूहों पर ट्रायल की योजना बना रहे हैं. सितंबर तक हमें इंसानों पर ट्रायल करने की स्थिति में होंगे.’ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित टीके के उत्पादन के लिए भी समझौता किया है. ऑक्सफोर्ड में गुरुवार से इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा. ऑक्सफोर्ड में जेनर इंस्टीट्यूट चलाने वाले प्रो एड्रियन हिल ने कहा, ‘दुनिया को साल के अंत तक लाखों डोज की जरूरत है. भारतीय फर्म में 400 से 500 मिलियन डोज बनाने की अतिरिक्त क्षमता है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला ने इसकी कीमत के बारे मे बताया कि इसकी कीमत प्रति डोज एक हजार रूपये हो सकता है।
करीब दो हफ्ते पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि भारत और अमेरिका कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन (Coronavirus vaccine) डेवलप कर रहे हैं. पॉम्पियो कोई ऐसी बात नहीं कह रहे थे, जो हैरान करे. दरअसल, ये दोनों देश वैक्सीन बनाने को लेकर तीन दशक से मिलकर काम कर रहे हैं.
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