’उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने हेतु‘‘कोविड-19: शिक्षा की भावी दिशा‘‘ विषय पर किया गया वेबिनार का आयोजन’’उपमुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने किया वेबिनार का उद्घाटन’
लखनऊ:-प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने राज्य उच्च शिक्षा परिषद के तत्ववाधान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने हेतु ‘‘कोविड-19: शिक्षा की भावी दिशा‘‘ विषय पर आज वेबिनार का उद्घाटन किया। वेबिनार में जूम ऐप के माध्यम से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया वहीं यू-ट्यूब के माध्यम से 12 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने आॅनलाइन वेबिनार में शिक्षाविदों द्वारा दी गई भावी शिक्षा की दिशा की बारीकियों को समझा। राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
डॉ दिनेश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों के शिक्षण कार्य को जारी रखने के लिए प्रदेश के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों ने हर संभव प्रयास किया। भविष्य में शिक्षण कार्य में वर्तमान कोरोना वायरस महामारी जैसे अन्य व्यवधानों को समाप्त करने तथा समय अनुकूल शिक्षण व्यवस्था को जारी रखने के लिए आज की शिक्षण पद्धति में कुछ परिवर्तन एवं परिवर्धन की आवश्यकता प्रतीत होती है। शिक्षा में एक नवीन सोच एवं भावी रणनीति के आधार पर शिक्षा को वर्तमान परिवेश के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है यह सोच देश प्रदेश के शिक्षा की दिशा में भविष्य के आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आधारशिला तैयार करेगी।
उप मुख्यमंत्री ने वेबिनार में अपने सुझाव दिए कि भविष्य में प्राथमिक, माध्यमिक, तकनीकी एवं व्यवसायिक शिक्षा विभाग में भी इस प्रकार के वेबिनार एवं परिचर्चा का आयोजन किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि वार्षिक परीक्षाओं एवं सेमेस्टर प्रणाली की परीक्षा की व्यवस्था के लिए भी ऑनलाइन प्रक्रिया पर भी विचार किया जाना उचित होगा। वार्षिक प्रवेश परीक्षा को राज्य विश्वविद्यालय वार ऑनलाइन कराए जाने पर विचार किया जाए विद्यार्थियों के शिक्षण हेतु विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा क्लास रूम में दिए जाने वाले व्याख्यान को विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड किया जाए। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा वेबसाइट पर विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन क्लास की समय सारणी प्रदर्शित कि जाए जिससे विद्यार्थी समय-समय पर ऑनलाइन क्लास कर सकें।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय महाविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के लिए विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों जैसे स्काइप, गूगल मीट, गूगल क्लासरूम, ई- लाइब्रेरी, जूम ऐप, ई- क्लास, यूट्यूब, व्हाट्सएप, गूगल एप, माइक्रोसॉफ्ट टीम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि) का प्रयोग किया जाए। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय द्वारा उनकी स्थानीय आवश्यकताओं एवं भौगोलिक स्थितियों के अनुसार रोजगार पर पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाने हेतु सभी विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाए। इससे विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण हेतु विद्यार्थियों को स्मार्टफोन की आवश्यकता होती है परंतु ऐसे बहुत से छात्र हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है जिसके कारण वे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। अतः छात्रों को टेबलेट का वितरण किया जाए तथा टेबलेट में पूर्व से ही ऑनलाइन लर्निंग कंटेंट को स्थानीय भाषा में स्थापित कर दिया जाए जिससे इंटरनेट ना उपलब्ध होने पर भी छात्र ऑफलाइन अध्ययन कर सकें। टेबलेट में विद्यार्थी आरोग्य सेतु एप एवं आयुष कवच ऐप भी डाउनलोड कर सकेंगे। प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के विद्यार्थियों के अध्ययन लाभ के लिए डीडी चैनल एवं स्वयंप्रभा द्वारा 32 निशुल्क चैनलों के माध्यम से विभिन्न विषयों में शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित किया जाना अपेक्षित है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी निःशुल्क ज्ञानार्जन कर सकें।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष कवच ऐप प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए रक्षा कवच का काम कर सकता है ज्ञानार्जन के लिए विद्यार्थियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहना परम आवश्यक है या ऐप रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर इसके लिए विद्यार्थियों को जागरूक किया जाए।
प्रो0 गिरिश चन्द्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उ0प्र0 राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने सभी वक्तागणों एवं प्रतिभागीगणों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किसी राष्ट्र का निर्माण सामर्थ्यवान, संस्कारवान समाज से होता है और ऐसे निर्माण की व्यवस्था की प्रक्रिया का नाम शिक्षा है। इस दृष्टि से हमें आज के वेबीनार के विषय पर दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन दोनों दृष्टियों से विचार करने की आवश्यकता है। कोविड-19 की वजह से आज की तात्कालिक आवश्यकता के दृष्टिगत विद्यार्थी, शिक्षक और संस्थायें एक भ्रम की स्थिति में हैं और ऐसे में युवा विद्यार्थियों की हमसे जो अपेक्षाएं है उनका समाधान हमारी पहली प्राथमिकता है। जो हमार सामने सबसे बड़ी चुनौतियां है उनमें पाठ्यक्रम को पूरा करना, परीक्षा और परीक्षा परिणाम के साथ-साथ नये सत्र में प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करना प्रमुख है। इसमें ऑनलाईन शिक्षा निश्चित तौर पर लागत की दृष्टि से सुगम होने के साथ-साथ लचीलेपन के कारण शिक्षा के विस्तार और गुणवत्ता दोनों की दृष्टि से बेहतर विकल्प है। स्वयं, स्वयं प्रभा और इसके साथ-साथ हमें अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने एप विकसित करने की भी आवश्यकता है। ऑनलाईन शिक्षा फेस-टू-फेस टीचिंग का पूर्ण विकल्प नहीं है। परन्तु भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप एक विकल्प के रूप में अवश्य है। पोस्ट कोविड ईरा में हाईब्रिड मोड पर शिक्षा को अपनाने से शिक्षा की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग ने वेबिनार में प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिनिधियों एवं वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के परिप्रेक्ष्य में प्रत्येक विश्वविद्यालय अपनी स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल रणनीति तैयार कर सीमित संसाधनों में उचित क्रियान्वयन करना सुनिश्चित करें।
इग्नू के पूर्व प्रतिकुलपति प्रोफेसर एम0 एम0 पंत ने कहा कि व्यवहारिक शिक्षा, उपयोगी शिक्षा एवं रोजगारपरक शिक्षा की दिशा तय की जाय। आॅनलाइन शिक्षा पद्धति को और अधिक व्यवहारिक बनाया जाये। बेस्ट प्रेक्टिसेज के साथ-साथ नेक्स्ट प्रेक्टिसेज के बारे में सोचना चाहिए। आॅनलाइन शिक्षा को लगभग 10 गुना बढ़ाना होगा, जिससे सर्वसुलभ का आधार बढ़ाया जा सके। माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि हमें इकाॅनामी में इन्क्रीमेंटल एडवांस नहीं चाहिए, हमें क्वांटम जम्प चाहिए। आर्टिफिसियल इन्टेलीजेन्स को मशीन लर्निंग इन्टेलीजेन्स में तैयार करना होगा। भारत मंन अभी मोबाइल से ज्यादा बड़ी तकनीकी की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है क्योंकि पहले उसको चलाने में पूर्ण रूप से सक्षम बनाना आवश्यक होगा।
आईआईटी कानपुर के पूर्व निदेशक एवं प्रोफेसर संजय जी ढांगे ने कहा कि शिक्षकों एवं विद्यार्थियों हेतु इंटरनेट सेवा तथा उसके उपकरणों की उपलब्धता हेतु सर्वेक्षण कराया जाये। विद्यार्थियों को सुलभ तथा आॅनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु दो कैडरों का निर्माण कराना अति आवश्यक होगा। जिनमें पहला एकेडमिक एसोसिएट दूसरा टेक्निकल एसोसिएट। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में शिक्षा की समयबद्ध नीति अभिलेख तैयार किया जाये तथा उसका उपयोग सुनिश्चित किया जाये। नई तकनीकी पर शिक्षकों का प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाये।कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, प्रोफेसर बी० पी० शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों तथा उद्योगों के बीच कन्र्साेटियम तैयार किया जाये। शिक्षण की पद्धतियों को विषयवस्तु के आधार पर परिवर्तित किया जाये। सामाजिक उद्यमिता को विकसित किया जाये।
वेबिनार के माध्यम से भविष्य में शिक्षा का स्वरूप, पठन-पाठन की प्रणाली, प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा का स्वरूप, अध्ययन के विविध माध्यम एवं स्रोत आदि विविधि विषयों पर कोविड-19 के दृष्टिगत प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी अपने विचार एवं सुझाव प्रस्तुत किया। साथ ही विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षक/प्राचार्य एवं प्रशासनिक अधिकारी यू-ट्यूब लिंक के माध्यम से लाइव प्रसारण से जुड़े थे। वेबिनार से कोविड-19 के दृष्टिगत आत्मनिर्भर भारत विकसित करने की दिशा में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन को एक नयी दिशा प्राप्त होगी।
इस अवसर पर प्रो0 आलोक कुमार राय वी0सी0 लखनऊ यूनिवर्सिटी लखनऊ, प्रो0 मनोज दीक्षित वी0सी0 आरएमएल अवध यूनिवर्सिटी अयोध्या, प्रो0 नीलिमा गुप्ता वी0सी0 सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कानपुर, प्रो0 एन0के0 तनेजा वी0सी0 सी0सी0एस0 यूनिवर्सिटी मेरठ, प्रो0 टी0एन0 सिंह वी0सी0 एमजीकेवीपी वाराणसी, प्रो0 विनय पाठक वी0सी0 ए0के0टी0 यूनिवर्सिटी लखनऊ, प्रो0 सुरेन्द्र दुबे, कुलपति, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थनगर, डा0 प्रीति बजाज, कुलपति, गलगोटिया विश्वविद्यालय, नोएडा एवं अन्य लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों ने भी व्याख्यान दिए।
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