साक्षात्कार
डाॅ. जगदीश गाँधी
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ।
प्रश्नः 1 इन दिनों देश-दुनिया में आॅनलाइन शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है। लगभग सभी स्कूलों के बच्चे घर बैठे पढ़ाई कर रहे है, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण अनुशासन बनाए रखना और समयबद्धता है। सी.एम.एस. की विभिन्न शाखाओं के शिक्षक इससे कैसे निपट रहे हैं?
उत्तरः वैश्विक कोरोना महामारी के कारण जब देश के सभी स्कूल व काॅलेज बंद कर दिये गये थे उस समय सिटी मोन्टेसरी स्कूल की प्रधानाचार्याओं एवं शिक्षकों ने अथक परिश्रम करके आॅनलाइन पढ़ाई करवाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए हमारी शिक्षकों ने 24 मार्च से ही ‘गूगल क्लासरूम प्लेटफार्म’ के सहयोग से सभी कक्षाओं की आॅनलाइन क्लासेज लेना शुरू कर दिया था। और सबसे अच्छी बात यह है कि इससे एक ओर जहां हमारे बच्चों की निरन्तर पढ़ाई चलती रही तो वहीं हमारे इस प्रयास को बच्चों एवं उनके अभिभावकों द्वारा बहुत ही पंसद किया गया। ऐसे समय में जबकि पूरे देश में कोरोना वायरस के खतरे के कारण लाॅकडाउन चल रहा है और स्कूल पूरी तरह से बंद कर दिये गये थे, सी.एम.एस. शिक्षक लेसन प्लान के अनुसार योजनाबद्ध एवं सुविधाजनक तरीके से छात्रों को आॅनलाइन शिक्षा प्रदान करने में जुटे हैं। इसके लिए सी.एम.एस. प्रधानाचार्यांए प्रतिदिन वीडियो कान्फ्रेसिंग केे माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को छात्रों के लिए रूचिपूर्ण बनाने, लेसन प्लान तैयार करने एवं छात्रों को ई-लर्निंग हेतु प्रेरित करने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श कर प्रबन्धन कर रही हैं।
रही बात आॅनलाइन पढ़ाई में आने वाली चुनौतियों की तो वास्तव में शुरूआत में इस नयी आॅनलाइन तकनीक से पढ़ाने में हमारे स्कूल के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं आयी, क्योंकि सी.एम.एस. की प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन और डायरेक्टर आॅफ स्ट्रेटेजी श्री रोशन गाँधी के प्रयास से सी.एम.एस. में ई-लर्निंग विभाग की स्थापना पहले ही हो चुकी थी, जो कि सीधे सी.एम.एस. के डायरेक्टर आॅफ स्ट्रेटजी, श्री रोशन गाँधी के मार्गदर्शन में कार्य करता है। इस ई-लर्निंग विभाग में अनेकों आईटी विशेषज्ञ कार्यरत हैं। ये आईटी विशेषज्ञ सिटी मोन्टेसरी स्कूल के सभी 18 कैम्पस के सभी शिक्षकों को आधुनिक आॅनलाइन तकनीकों के उपयोग हेतु लगातार प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। यही कारण है कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल इस लाॅकडाउन की अवधि में अपने बच्चों को शिक्षा देने में अत्यन्त सफल है।
इसके साथ ही सी.एम.एस. के विभिन्न कैम्पस की प्रधानाचार्याओं, स्कूल इन्चार्ज व शिक्षकों ने छात्रों की आॅनलाइन कक्षाओं हेतु टाइम-टेबल तैयार किया था, जिससे सभी छात्रों को विभिन्न विषयों की आॅनलाइन कक्षाओं के समय, अवधि व पाठ्यक्रम की पहले से ही जानकारी थी ऐसे में हमारे बच्चों को समयबद्धता में कोई समस्या नहीं आयी। इसके साथ रही बात अनुशासन की तो हमारे स्कूल अनुशासन को बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसे में आॅनलाइन पढ़ाई में अनुशासन के कारण भी कोई समस्या नहीं आयी। इसके साथ ही हम आपके संज्ञान में इस तथ्य को भी लाना चाहते हैं कि हमारे विद्यालय की समस्या कैम्पसों की प्रधाचार्याएं आॅनलाइन तरीके से शिक्षण प्रक्रिया की पहले दिन से ही निरीक्षण भी करती आ रही हैं और जहां जरूरत होती है, वे अपने शिक्षकों को आवश्यक मार्गदर्शन भी देती रहती हैं।
प्रश्नः 2 वैश्विक महामारी कोरोना के संकटकाल में आॅनलाइन शिक्षा नया आयाम बनकर उभर रहा है। लेकिन सवाल बनता है कि इसका भविष्य क्या है? क्या आने वाले समय में घर बैठे आॅनलाइन शिक्षा को ही तवज्जो मिलेगी? और ऐसा हुआ तो ‘‘शिक्षा के मंदिरों’ का क्या होगा?
उत्तरः देखिये कोरोना वायरस व इस तरह के और भी किसी संकट के समय तो बच्चों को सुरक्षित रूप से शिक्षा देने के लिए आॅनलाइन पढ़ाई करवाना तो ठीक है, लेकिन हमेशा के लिए बच्चों को आॅनलाइन शिक्षा देना सही नहीं है। क्योंकि आॅनलाइन पढ़ाई कभी भी स्कूली शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता। स्कूल शिक्षा में बच्चे स्कूल में आकर न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करते हैे बल्कि इसके साथ ही साथ अप्रत्यक्ष रूप से उनके चरित्र का निर्माण, सह-अस्तित्व व सहयोग, सामूहिकता एवं वैचारिक सहिष्णुता आदि प्रक्रियाओं के माध्यम से उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास भी होता रहता है, जो आॅनलाइन पढ़ाई के द्वारा कभी भी संभव नहीं है। वास्तव में आॅनलाइन पढ़ाई के द्वारा शिक्षा के उद्ेदश्य की पूर्ति कभी भी नहीं हो सकती। देखिए लैपटाप/स्मार्टफोन व इण्टरनेट की सहायता से तो उच्च या मध्यम वर्ग के बच्चे तो आॅनलाइन कक्षाएं कर सकते हैं, पर गरीब घरों के बच्चे या सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चे लैटपाट/स्मार्टफोन व इण्टरनेट के अभाव में आॅनलाइन कक्षाओं से वंचित रह सकते हैं। ऐसे में अगर आॅनलाइन पढ़ाई के कारण कमजोर वर्ग के छात्र डिजिटल असमानता की तरफ बढ़ेगे, जबकि शिक्षा समानता लाने का सबसे बड़ा जरिया है। इसलिए यह कहना कि आने वाले समय में आॅनलाइन शिक्षा को तवज्जो मिलेगी, सही नहीं है।
प्रश्नः 3 यह हर्ष का विषय है कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल की विभिन्न शाखाओं से ऐसे कई छात्र सामने आ रहे हैं, जो विदेशी विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठित छात्रवृत्तिया हासिल कर रहे हैं। आप छात्रों को किस तरह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार कर रहे है?
उत्तरः हम इसका श्रेय अपन अभिभावकों के साथ ही अपने उन अति परिश्रमी प्रधानाचार्याओं और विद्वान शिक्षकों को देते हैं, जिनके कठोर परिश्रम, त्याग और बलिदान के कारण विगत कई वर्षों से सी.एम.एस. के छात्र व छात्रायें विश्व के अनेक अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयांे में स्काॅलरशिप के साथ प्रवेश का आमंत्रण प्राप्त करते जा रहे हैं।
यहां हम आपके संज्ञान में इस तथ्य को भी लाना चाहते हैं कि प्रत्येक बच्चे के मस्तिष्क को अपने देश की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की महान संस्कृति एवं सभ्यता के अनुरूप विश्व नागरिक के रूप में तैयार कर रहे हैं। ऐसे में बच्चे अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेशों के विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में प्रवेश की तैयारी पहले से ही करना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही सी.एम.एस. 28 अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक समारोहों के आयोजन के माध्यम से भी अपने छात्र-छात्राओं को यह अवसर प्रदान करता है कि वे किसी भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए अपने को तैयार कर सके। इसके साथ ही हमारे विद्यालय के छात्र समय-समय पर विदेशों में आयोजित होने वाले विभिन्न शैक्षिक समारोहों में प्रतिभाग करके विद्यालय का गौरव बढ़ाते रहे हैं।
उसी का नतीजा है कि इस वर्ष भी अभी तक सी.एम.एस. के 82 छात्र विदेशों के ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों में प्रवेश हेतु आमंत्रण पा चुके हंै। इस वर्ष अभी और छात्रों के चुने जाने की संभावना है। वास्तव में सी.एम.एस. छात्रों के दृष्टिकोण व्यापक बनाने व उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने हेतु सदैव प्रयासरत है और इसी कड़ी में छात्रों को भारत में एवं विदेशों में उच्चशिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान कर रहा है। हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि सी.एम.एस. प्रदेश में एकमात्र एस.ए.टी. (सैट) एवं एडवान्स प्लेसमेन्ट (ए.पी.) टेस्ट सेन्टर है जो उत्तर प्रदेश एवं आसपास के अन्य राज्यों के छात्रों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में स्काॅलरशिप के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद कर रहा है। इससे पहले, विदेश में उच्चशिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक प्रदेश के छात्रों को सैट परीक्षा के लिए दिल्ली जाना पड़ता था।
प्रश्नः आॅनलाइन शिक्षा के दौरान फीस और शिक्षकों के वेतन की समस्या भी सामने आ रही है। अभिभावक फीस देने से कतरा रहे हैं, ऐसे में स्कूल प्रबंधन के सामने शिक्षकों के वेतन का विषय मुश्किल पैदा कर रहा है। इस समस्या से निपटने के बेहतर उपाय क्या हो सकते हैं?
उत्तरः देखिए स्कूलों को बंद हुए लगभग तीन महीने का समय हो रहा है परन्तु सिटी मोन्टेसरी स्कूल की सभी आनलाइन कक्षाएं सुगमतापूर्वक चल रही हैं। इन आॅनलाइन कक्षाओं में सी.एम.एस. शिक्षक न सिर्फ छात्रों को उनका पाठ पूरा करा रहे हैं अपितु उनकी जिज्ञासाओं का भी समाधान कर रहे हैं। यहां तक कि शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य, संगीत और नृत्य की कक्षाएं भी नियमित रूप से संचालित की जा रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों का मन और शरीर में फिट हैं। इसके साथ ही, छात्रों की रूचि और खुशी को प्राथमिकता से सुनिश्चित किया जा रहा है। इससे बच्चों को भी आॅनलाइन क्लासेस में आनन्द आने लगा है।
हमारे विद्यालय विशेष मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय है। विद्यालय का संचालन बच्चों से मिलने वाली फीस से होता है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के अभिभावक कोरोना महामारी के संकटकाल में सहर्ष अपने बच्चों की फीस का भुगतान करके पूरा सहयोग कर रहे हैं। आज की विषम स्थिति में शिक्षकों के वेतन भुगतान की स्थिति में संशय उत्पन्न हुआ है। लेकिन हमें विश्वास है कि हम इस संशय की स्थिति से जल्दी उभर जायेेंगे।
प्रश्न 5ः इंटरनेट पर विभिन्न आॅनलाइन कोर्स निःशुल्क या कम फीस पर उपलब्ध हो रहे हैं, जिन्हें करने के लिए सिर्फ 12वीं की योग्यता मांगी जा रही है। साथ ही, प्लेसमेंट के दावे किए जा रहे हैं, इनमें से कई कोर्स प्रतिष्ठित संस्थानों की ओर से लाए गए हैं। ऐसे में सवाल बनता है कि अगर युवा इस तरफ बढ़े, तो उच्च शिक्षा का क्या होगा?
उत्तरः 21वीं सदी की अधिकांश युवा पीढ़ी अतीत काल की तुलना में काफी समझदार है। वह मात्र पैसे के लालच में अपने उज्जवल भविष्य को दांव में लगाने की गलती करने को कतई तैयार नहीं होगी। और अगर दुर्भाग्यवश ऐसा हुआ तो आने वाले समय में देश में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की कमी सामने आने लगेगी। पर मुझे ऐसा लगता है कि इस सदी के बच्चे विषयों की अधिक से अधिक गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं। वे जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जब वे किसी प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेंगे या किसी सम्मेलन में प्रतिभाग करेंगे तो बिना उच्च शिक्षा प्राप्त किये बिना वे अपनी बात को उस मंच पर नहीं प्रभावशाली ढंग से नहीं रख सकेंगे। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि बच्चे 12वीं कक्षा के बाद मात्र जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के लालच में इंटरनेट पर इस तरह का कोई आॅनलाइन कोर्स करेंगे।
प्रश्नः 6 इन दिनों कई शिक्षाविद् तथा महापुरूष अपनी राय दे रहे हैं कि कोरोना सिर्फ एक संकटकाल नहीं, बल्कि भारत की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का उद्भवकाल भी है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तरः देखिये मैंने पहले ही कहा कि स्कूली शिक्षा का कोई विकल्प हो ही नहीं सकता। आॅनलाइन पढ़ाई किसी भी तरह के संकट काल में तो कुछ समय के लिए तो विकल्प बन सकती है, किन्तु लम्बी अवधि के लिए इसे न तो बच्चों के लिए स्वास्थ्यप्रद माना जा सकता है और न ही समाज और राष्ट्र के लिए।
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