विकास दूबे कुख्यात अपराधी था मारा गया,पर विपक्षी दल ने एनकाउन्टर पर उठाये सवाल
अखिलेश यादव,प्रियका गाॅधी,सुश्री मायावती ने यूपी पुलिस पर प्रश्नो की लगाई बौछार
प्रमोद श्रीवास्तव
कानपुर-8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे गैंगस्टर विकास दुबे को आज तडके पुलिस ने एनकाउंटर में मारा गिराया पर इस एनकाउन्टर पर अब सवाल भी उठने लगा है। उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान कानपुर से 17 किलोमीटर पहले भवती इलाके मे विकास का एनकाउन्टर हुआ है। सवाल इसलिये भी उठ रहे है कि विकास दूबे एनकाउन्टर पर पुलिस ने जो थ्यौरी पेश की उसमे छेद ही छेद है।
ज्ञात हो कि विकास के एक साथी प्रभात को कल पुलिस ने इसी भवती से 2 किलोमीटर दूर पनकी इलाके मे मार गिराया था। इन दोनो एनकाउन्टर को देखने के बाद एैसा लग रहा है कि सब कुछ पहले से तय स्क्रिप्ट के मुताबिक हुआ है।
ज्ञात हो कि विकास दूबे को उज्जैन से सफेद रंग की सफारी गाडी मे बैठाकर यूपी पुलिस ला रही थी मगर जिस गाडी को पलटने की बात कही जा रही है वह टाटा सफारी नही बल्कि वह टीयूवी थी। एैसे मे सवाल उठता है कि विकास की गाडी की अदला बदली क्यो की गयी।
विकास के मारे जाने पर कई तरह की चर्चाओ और पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह भी उठने लगे है। विपक्षी भी कह रहे है सबूत मिटाने के लिये विकास को एनकाउन्टर मे मारा गया है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुढभेड पर सवाल उठाते हुआ कहा कि दरअसल ये कार नही पलटी,राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी।
इधर इस मसले पर प्रियंका गांधी ने भी सवाल उठाते हुये कहा कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या होगा।
विकास दूबे एनकाउन्टर पर बाद सवाल उठने तय है। इसलिये कि एक दिन पहले जिस तरह विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उससे यह तय था कि वह पुलिस से बचते बचते परेशान होकर स्ंवय को अपने आप को पुलिस के हवाले किया। एैसे मे फिर सवाल उठता है कि वह पुलिस के उपर वह गोली चलाते हुये भागेगा क्यो। सवाल यह भी कि जब पुलिस के आला अधिकारी स्ंवय विकास को कुख्यात मान रहे थे तो उन्होने विकास को हथकडी पहनाकर लाने को आदेश अपने मातहत अधिकारियो को क्यो नही दी।
काफिले की गाड़ी अचानक पलटने को भी फिल्मी सीन की तरह माना जा रहा है। दूसरी तरफ गाडी पलटने के बाद जब विकास दो पुलिस अधिकारियो के बीच मे बैठा रहा होगा वह जीप से कैसे निकल सकता है। गाडी के पलटने से एक दरवाजा उपर हो गया और दूसरा सडक से चिपक गया एैसे मे पलटी गाडी से विकास कैसे भाग सकता है वह भी तब जब वह एक पैर से सही से चल नही सकता हो।
सवाल यह भी कि विकास को कानपुर लाने के लिये कई गाडियो के काफिले चल रहे थे तब जब गाडी पलटी तो अन्य गाडी मे आगे और पीछे चल रहे पुलिस वालो ने विकास की गाडी को कवर क्यो नही किया। दुसरा यह कि अगर विकास ने भागने की कोशिश की तो उसके पैर में क्यों नहीं गोली मारी गयी यह सब यक्ष प्रश्न है जिनका जबाब पुलिस को देना चाहिये।
गुरुवार को प्रभात और शुक्रवार को विकास दुबे, इन दोनों का जिस तरह और जिन जगहो पर एनकाउंटर हुआ इसे क्या एक संयोग मान लिया जाये क्योकि प्रभात और विकास के एनकाउन्टर के स्पाट लगभग आसपास है। प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने जो बात मीडिया से कही कि पहले पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और फिर एनकाउंटर में मारा गया। विकास के एनकाउन्टर की थ्योरी भी कुछ यही कहानी बया कर रही है।
सवाल यह भी उठता है उत्तर प्रदेश की पुलिस के हाथ इतने कमजोर हो गये है कि दो दिन में दो बार अपराधी पुलिसकर्मियों से हथियार छीन कर भागने की कोशिश करते है उसके बाद पुलिस बलवान बन इन अपराधियो का एनकाउन्टर कर देती है।
ज्ञात हो कि उज्जैन से जब विकास की गाडी कानपुर आ रही थी तो कुछ मीडियाकर्मी पुलिस की काफिले के साथ चल रहे थे मगर बाद मे कानपुर से कुछ दुर पहले सभी मीडियाकर्मियों को आगे बढने से रोक दिया जाता है। आखिर पुलिस द्वारा मीडिया को आगे बढ़ने से कुछ देर के लिए क्यो रोका गया यह अपने मे बडा सवाल है।
विकास के साथी प्रभात के मारे जाने के बाद और विकास दूबे के उज्जैन मे पकडे जाने पर सोशल मीडिया पर कल इस बात की चर्चा आम थी कि कही विकास भी उज्जैन से कानपुर लाते वक्त पुलिस का पिस्टल छीनकर ना भागे नही तो उसका भी हाल प्रभात जैसा होगा जो हुआ भी वैसा ही।
इस मसले पर प्रदेश के एडीजी ला एन्ड आर्डर प्रशान्त कुमार ने कहा कि विकास पुलिस से पिस्टल छीन कर भाग रहा था। जिसमे बाद मे जबाबी कार्यवाही मे विकास मारा गया।
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