नेपाल में असली अयोध्या होने के दावे पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली बुरी तरह घिर गए हैं। अजीबोगरीब दावे को लेकर हर तरफ आलोचनाओं के शिकार हो रहे ओली के बयान पर अब नेपाल के विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा है कि इस बयान का राजनीतिक मुद्दे से लेनादेना नहीं है। इससे किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था। बयान का उद्देश्य अयोध्या के महत्व और सांस्कृतिक मूल्य को कम करना नहीं था। ओली इस बयान को लेकर भी अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कई नेताओं ने तो खुलकर इसकी निंदा की है और ओली को बयान वापस लेने और बिना तथ्यों के कोई बात नहीं कहने की सलाह दी है। ऐसा करने वालों में पार्टी के उपाध्यक्ष बामदेव गौतम भी शामिल हैं। गौतम ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर कहा कि पीएम ओली के बयान से अंतरराष्ट्रीय विवाद पैदा हुआ है। मैंने इस मुद्दे पर दो साल पहले चर्चा की थी, जब मैं उनसे मिलने के लिए बालूतरा गया था। मैंने उन्हें यह भी सलाह दी कि वह इस संबंध में अध्ययन किए गए किसी भी संदर्भ सामग्री का बिना शोध के, बिना तथ्यात्मक साक्ष्य के उल्लेख न करें। मुझे आश्चर्य हुआ कि बिना किसी तथ्यात्मक प्रमाण के कल उन्होंने यह बात कही।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोमवार को दावा किया कि 'वास्तविक' अयोध्या नेपाल में है, भारत में नहीं। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म दक्षिणी नेपाल के थोरी में हुआ था। काठमांडू में प्रधानमंत्री आवास में नेपाली कवि भानुभक्त की जयंती के अवसर पर ओली ने कहा कि नेपाल ''सांस्कृतिक अतिक्रमण का शिकार हुआ है और इसके इतिहास से छेड़छाड़ की गई है। भानुभक्त का जन्म पश्चिमी नेपाल के तानहु में 1814 में हुआ था और उन्होंने वाल्मीकि रामायण का नेपाली में अनुवाद किया था।
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