Pramod srivastava
Lucknow-जल है तो कल है,जल है तो जीवन है उपरोक्त बाते आज जलशक्ति मन्त्री डा0 महेन्द्र सिंह ने भूजल सप्ताह के मौके पर वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से लोगो को सम्बोधित करते हुये कहा। उन्होने कहा कि ऋग्वेद के सातवे मन्डल मे जल के बारे बहुत अच्छे से वर्णन किया गया है।
जलशक्ति मन्त्री डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि पुराने समय मे गाॅव मे कूआ और तालाब हुआ करता था जहाॅ लोग शादी के मौके पर जाकर उसकी पूजा अर्चना करते थे। लेकिन धीरे धीरे कूओ और तालाबो की जगह इन्डिया मार्का हैन्डपम्प ने ले लिया इसलिये कूओ और तालाबो पर एक बार फिर से ध्यान देने की जरूरत है।
पानी के लिये पेडो की महत्ता पर जलशक्ति मन्त्री डा0 महेन्द्र सिंह ने चर्चा करते हुये कहा कि पुराने समय मे लोग बहुतायत सख्या मे पीपल,नीम,जामुन,महुआ आदि का पेड लगाते थे मगर आज पेडो का कटान तो हो रहा है लेकिन पेड लग नही रहे है। उन्होने कहा कि हम अभी से अपने बच्चो मे इस बात की धारणा पैदा करे कि वह प्रत्येक वर्ष बृक्षारोपण कर पर्यावरण और पानी को बचाने का कार्य करे।
रेन वाटर हार्वेस्टिग की बात करते हुये जलशक्ति मन्त्री डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि आज कल लोग अपने धरो मे समर सेबूल लगाकर जल दोहन तो कर रहे है लेकिन पानी को बचाने के लिये रेन वाटर हार्वेस्टिग जैसी महत्वपूर्ण चीजो का पालन नही करते है।
उन्होने कहा कि उनका मत है प्रदेश के सभी सरकारी भवनो मे रेन वाटर हार्वेस्टिग की व्यवस्था होनी चाहियेे जिससे बारिश के समय इस प्राकृतिक सम्पदा को बचाकर प्रदेश के जलस्तर को बढाया जा सके। जलशक्ति मन्त्री डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि पानी की दृष्टि से उत्तर प्रदेश को नम्बर वन प्रदेश बनाना है। उन्होने प्रधानमन्त्री द्वारा पानी पर चिन्ता की बात से भी लोगो को अवगत कराया।
इस अवसर पर पानी को विभिन्न तरीको से बचाने और उसके प्रयोग मे महारथ हासिल करने वाले लोगो ने भी अपनी अपनी बात रखी।
परमार्थ सेवी संस्थान जालौन के संजय सिह ने अपनी बात रखते हुये चन्देल कालीन तालाबो के सरक्षण सहित नौवी ओर तेरहवी शताब्दी मे बने तालाबो को सृदण करने की बात कही। उन्होने कहा कि उन लोगो ने अभी तक 16 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने का कार्य किया है।
जल ग्राम जखनी बादा के उमाशंकर पान्डे ने कहा कि उनके ग्राम को आज माडल के तौर पर अपनाया जा रहा है उसका कारण है कि उन लोगो ने भूजल से समबन्धित महत्वपूर्ण कार्य किये जिससे उनके गाॅव मे अब पानी का लेबल 10 से 20 फीट तक आ गया है। खेत पर मेड,मेड पर पेड के नारो के साथ आज उनका जखनी दिन दुनी रात चैगनी तरक्की कर रहा है।
नीर फाउन्डेशन के रमन कान्त त्यागी ने भी इस परिचर्चा मे भाग लेकर पानी और उसकी महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि पानी को बचाना है तो हम सबको तालाबो पर ध्यान देना चाहिये।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव ,भूगर्भ जल विभाग निदेशक वी0के0उपाध्यय, भूगर्भ जल विभाग के अधि0अभि0अनुपम, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडर विश्वविधालय के एसोसिएट प्रोफेसर वेकटेश दत्ता,प्रो आलोक धवन निदेशक भारतीय विष विज्ञान संस्थान,मौजूद थे।
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