नई दिल्ली-राजस्थान सरकार के सामने मौजूद संकट से जुड़े मामले में याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायमूर्ति ने असंतोष को लेकर टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति ए.के. मिश्रा, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई तथा न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन-सदस्यीय पीठ ने अशोक गहलोत राजस्थान सरकार तथा सचिन पायलट कैम्प द्वारा दायर की गई परस्पर विरोधी याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसके दौरान शुरुआत में ही राज्य विधानसभा के स्पीकर सी.पी. जोशी की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल तथा न्यायमूर्ति ए.के. मिश्रा के बीच असंतोष को लेकर चर्चा हुई.
कार्यवाही के दौरान न्यायमूर्ति ए.के. मिश्रा ने राजस्थान मामले का सीधा ज़िक्र नहीं करते हुए कहा, "हम राजस्थान के मामले के बारे में नहीं कह रहे हैं, लेकिन मान लीजिए, एक नेता लोगों का विश्वास गंवा चुका है... पार्टी में रहते हुए उन्हें अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता... इस तरह तो यह एक हथियार बन जाएगा, और कोई भी आवाज़ नहीं उठा पाएगा... लोकतंत्र में असंतोष की आवाज़ को इस तरह नहीं दबाया जा सकता..."
न्यायमूर्ति ए.के. मिश्रा दरअसल कपिल सिब्बल के उस तर्क का जवाब दे रहे थे, जिसमें वह स्पीकर द्वारा पार्टी की बैठकों में शिरकत नहीं करने पर विधायकों को नोटिस जारी किए जाने को सही ठहरा रहे थे. कपिल सिब्बल ने कहा था, "हाईकोर्ट ऐसे समय में दूसरे कैम्प को किसी भी तरह की सुरक्षा देने का आदेश नहीं दे सकती है... जिस वक्त स्पीकर मामले पर फैसला कर रहे हों, उस समय कोई भी अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती है..."
जस्टिस मिश्रा ने पूछा, "आखिर वे सभी जनता द्वारा निर्वाचित हुए हैं... क्या वे असंतोष ज़ाहर नहीं कर सकते...?" इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें (विधायकों को) स्पष्टीकरण देना होगा. उन्होंने कहा था, "इस पर फैसला स्पीकर को करना है, किसी कोर्ट को नहीं..."
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