पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने 1990 के शुरूआती दौर में कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है। वह उन्हें ससम्मान वापस लाने की किसी भी प्रक्रिया का पूरा समर्थन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन जिम्मेदार थे, जो तीन महीने में वापसी का झूठा वादा कर उन्हें घाटी से बाहर ले गए।
पुराने आदेश रद्द कर नया आदेश लागू होने- अनुच्छेद 370 और 35-ए को निष्क्रिय करने के एक साल बाद विषय पर आयोजित वेबिनार में उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या न्यायाधीशों के दल को जांच करने दें और रिपोर्ट आने दीजिए। इससे युवा कश्मीरी पंडितों की बहुत सारी आशंकाएं दूर हो जाएंगी और पता चलेगा कि उन्हें कश्मीरी मुसलमानों ने बाहर नहीं निकाला। अब भी कई कश्मीरी पंडित हैं, जिन्होंने कभी घाटी नहीं छोड़ी और अब भी वहां रह रहे हैं। उन्होंने कई घटनाओं का उल्लेख कर बताया कि 1947 से अब तक कश्मीरी पंडितों के लिए मुसलमान हर मौके पर खड़े रहे हैं। कहा- क्या आप मानते हैं कि हम कश्मीरी पंडितों के जाने से खुश हैं। हमारा मानना है कि कश्मीर तब तक पूर्ण नहीं होगा, जब हिंदू वापस नहीं लौटेंगे और शांति से फिर एक साथ नहीं रहेंगे।
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