अमिताभ नीलम
लखनऊ । भारतीय जनता ने आज अपने नए पदाधिकारियों की लिस्ट जारी की है । प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने ट्विटर पर नई लिस्ट जारी करते हुए नए पदाधिकारियों को बधाई दी है ।
जारी लिस्ट की विशेषता यह है कि इसमें जहां पदाधिकारी की जाति का खुलेरूप में उल्लेख किया गया है वहीं भाजपा का हमेशा से परम्परागत वोट बैंक रहे कायस्थ जाति के एक भी कार्यकर्ता को नई गठित कमेटी में जगह नहीं दी गई है । इस बात को लेकर पार्टी से जुड़े कायस्थ कार्यकर्ताओं और समर्थकों में रोष व्याप्त है ।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहां की नई पदाधिकारी लिस्ट में किसी कायस्थ कार्यकर्ता को शामिल ना किया जाना इस बात का प्रतीक है कि भारतीय जनता पार्टी को अब कायस्थों की कोई जरूरत नहीं है. अगर सर्वाधिक प्रतिबद्ध जातिगत समूह का आंकड़ा देखा जाए तो बुद्धिजीवी और राष्ट्रवादी होने की वजह से कायस्थ भाजपा का सबसे प्रतिबद्ध समर्थक है और बिना किसी प्रतिफल के भारतीय जनता पार्टी को अपना सहयोग देता चला आया है। कार्यकर्ताओं ने शीर्ष नेतृत्व से पूछा कि क्या इस प्रतिबद्धता की यही कीमत है ? यही पुरस्कार है ?
क्या बिना धमकी,बिना बहिष्कार बिना जातिवाद के नंगे प्रदर्शन के किसी जाति / वर्ग को प्रतिनिधित्व उसका स्थान,उसका सम्मान नहीं मिलेगा ?
देखा जाए तो कायस्थ अभी तक सिर्फ राष्ट्रवाद के नाम पर सब सह कर , बिना जातिवाद के बीजेपी को सपोर्ट करता आया है लेकिन अब जब सब कुछ जाति के नाम पर ही हो रहा ( सूची में जाति का प्रदर्शन किया गया है जो की राष्ट्र को एक करने वाली सोच पर तमाचा है ) तो क्या कायस्थ जाति की कोई गिनती नहीं होगी या बीजेपी ने सोच लिया है कि कायस्थ के वोट ना देने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
देखा जाए तो कायस्थ संख्या में कम सही पर नोटा से तो ज्यादा ही हैं, और नोटा के अंतर ने है एमपी और राजस्थान में बीजेपी को सही जगह दिखा दी थी।
बीजेपी को प्रदेश कार्यकारिणी में कायस्थों की अनदेखी करने से या कायस्थ को टेकेन फॉर ग्रांटेड लेने की भूल बीजेपी को आने वाले विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है l
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लखनऊ के विधायक सुरेश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश कार्यकारिणी में किसी भी कायस्थ कार्यकर्ता को पदाधिकारी ना बनाने की बात समझ से परे है वही भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विंध्यवासिनी कुमार ने कहा कि कायस्थों को भी प्रदेश कार्यकारिणी में उचित प्रतिनिधित्व देना चाहिए था।
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