लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जेईई और नीट परीक्षा को लेकर खुला पत्र लिखा है. इसमें मांग की गई है कि अगर परीक्षा कराई जाती है तो छात्रों के आने-जाने, रहने और खाने-पीने की व्यवस्था कराई जानी चाहिए. अखिलेश ने सवाल किया है कि अगर किसी छात्र को संक्रमण हो गया तो उसकी क़ीमत क्या सरकार चुकाएगी? पत्र में अखिलेश ने नारा दिया है कि 'जान के बदले एक्ज़ाम, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा. अखिलेश यादव ने लिखा है कि अगर दंभी भाजपा को लगता है कि परीक्षार्थियों और अभिभावकों को लोकप्रिय मांग पर वो ऐसे जानलेवा एग्जाम करवा रही है, तो केंद्रों के बाहर वो अपने कैबिनेट मंत्री, सांसद और विधायक तैनात करे. जहां पर कोई भी नियम-कानून व एसओपी नहीं होगा. साथ ही विद्यार्थियों के आने-जाने, खाने-पीने व ठहरने का प्रबंध वैसे ही करें, जैसा वो विधायकों की खरीद-फरोख्त के समय करते हैं.
अखिलेश ने आगे लिखा है कि भाजपा की तरफ से ये हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते. भाजपाई सत्ता के मद में ये भी भूल गए कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है. ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके संपर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो इसकी कीमत क्या ये सरकार चुकाएगी.
अखिलेश ने पूछा है कि कोरोना व बाढ़ में जबकि बस-ट्रेन बाधित हैं तो बच्चे दूर-दूर से कैसे आएंगे? न तो हर एक की सामर्थ्य टैक्सी करने की है और न ही हर शहर में इतनी टैक्सियां हैं. भाजपा के एक प्रवक्ता तो ये तर्क दे रहे हैं कि गरीब तो जैसे पहले प्रबंध करता वैसे अब भी करेगा. दुर्भाग्यपूर्ण, अर्थव्यवस्था के ज्ञाता वो प्रवक्ता ये भूल गए कि सं्रमण के इस आपदाकाल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं.
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