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74 वर्ष की उम्र में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन,कुछ दिन से थे अस्पताल मे भर्ती

74 वर्ष की उम्र में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन,कुछ दिन से थे अस्पताल मे भर्ती

2020-10-08 23:38:55
 74 वर्ष की उम्र में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन,कुछ दिन से थे अस्पताल मे भर्ती

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया है। 74 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। इस बात की जानकारी उनके बेटे व लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।'
लंबे समय से चल रहे थे बीमार--रामविलास पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने राजनीति में एक लंबा समय बिताया है। रामविलास पासवान वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी इन सभी प्रधानमंत्रियों के ‘कैबिनेट’ में अपनी जगह बनाने वाले शायद एकमात्र व्यक्ति थे।
1969 में पहली बार पहुंचे थे बिहार विधानसभा--राजनीति की नब्ज पकड़ने वाले रामविलास पासवान पहली बार 1969 में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार विधानसभा पहुंचे थे। 1974 में राज नारायण और जेपी के प्रबल अनुयायी के रूप में लोकदल के महासचिव बने थे। वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी रहे हैं।
रामविलास पासवान ने बिहार पुलिस की नौकरी से अपने कैरियर की शुरूआत की थी-
1. रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव में अनुसूचित जाति परिवार में हुआ था। प्रारंभिक पढ़ाई उन्होंने अपने गृह जिले से ही की। उन्होंने लॉ ग्रेचुएट और मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई की थी। छात्र राजनीति में सक्रिय रामविलास पासवान ने बिहार पुलिस की नौकरी से अपने कैरियर की शुरूआत की थी।
2. उनकी पहली शादी 1960 में खगड़िया की ही रहने वाली राजकुमारी देवी से हुई थी। हालांकि 2014 में उन्होंने बताया कि 1981 में उन्होंने राजकुमारी देवी को तलाक दे दिया था। उनसे उनकी दो बेटियां हैं उषा और आशा।
3. बिहार की राजनीति के धाकड़ नेता पासवान ने 1983 में अमृतसर(पंजाब) की रहने वाली एयरहोस्टेस और पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से दूसरा विवाह किया। उनके पास एक बेटा और बेटी है। उनके बेटे चिराग पासवान भी राजनीति में हैं और बिहार के जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं।
4. बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरे पासवान पहली बार 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से बिहार विधान सभा के लिए विधायक चुने गए थे। उन्होंने हमेशा राज नरैण और जय प्रकाश नारायण को अपना आर्दश माना। छात्र जीवन से ही उन्होंने जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
5. 1975 में इमरजेंसी की घोषणा के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्होंने इमरजेंसी के दौरान पूरी अवधि जेल में ही गुजारी। 1977 में उन्हें रिहा किया गया।
6.1969 से विधायक से शुरूआत करने वाले रामविलास पासवान 2019 तक यानि 50 साल से लगातार विधायक या फिर सांसद रहे।
7. 1977 में जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले रामविलास पासवान ने हाजीपुर सीट से रिकॉर्ड मत से जीतकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड में अपना नाम दर्ज कराया।
8. कुछ संघर्ष भरे पल के बाद राजनीति में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। विभिन्न दलों (लोक दल, जनता पार्टी- एस, समता दल, समता पार्टी, जद यू ) में रहने के बाद उन्होंने 28 नवंबर 2000 को दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी के गठन की घोषणा की।
9. वे 1996 से 2018 तक बनी विभिन्न पार्टियों की लगभग सभी सरकारों में मंत्री रहे। यही वह वजह है कि उनके विरोधी उन्हें मौसम वैज्ञानिक का नाम से पुकारते हैं। तीन दशक से सभी सरकारों में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में उनकी उपस्थिति रही।
10. रामविलास पासवान 1996-1998 तक भारत के रेलमंत्री, 2001- 2002 तक केन्द्रीय खनिज मंत्री, 2004-2009 तक केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री भी रहे चुके थे।
बिहार की सत्ता --वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता की चाबी रामविलास पासवान के हाथ लग गई। उस समय उनकी पार्टी के 29 विधायक जीतकर आए थे। किसी दल को बहुमत नहीं होने के कारण सरकार नहीं बन रही थी। पासवान अगर उस समय नीतीश कुमार के साथ या लालू प्रसाद के साथ जाते तो प्रदेश में सरकार बन सकती थी। मगर उन्होंने शर्त रख दी कि जो पार्टी अल्पसंख्यक को मुख्यमंत्री बनाएगी उसी का साथ वह देंगे। उनकी इस शर्त पर कोई खरा नहीं उतरा और दोबारा चुनाव में जाना पड़ा। बाद में उसी साल नवम्बर में हुए चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को बहुमत मिला और सरकार बनाई।
2009 में हार गए थे लोकसभा चुनाव--रामविलास पासवान 2004 के लोकसभा चुनाव जीते, पर 2009 में हार गए। 2009 में पासवान ने लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ गठबंधन किया। पूर्व गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छोड़ दिया। 33 वर्षों में पहली बार वे हाजीपुर से जनता दल के रामसुंदर दास से चुनाव हार गए। उनकी पार्टी लोजपा 15वीं लोकसभा में कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी। साथ ही उनके गठबंधन के साथी और उनकी पार्टी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और 4 सीटों पर ही सिमट गई। उस समय लालू के सहयोग से वह राज्यसभा में पहुंच गये। बाद में हाजीपुर क्षेत्र से 2014 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वह फिर से एनडीए में आ गए और संसद में पहुंकर मंत्री बने। उसी चुनाव में बेटा चिराग भी पहली बार जमुई से सांसद बना।
1983 में बनाई दलित सेना--वर्ष 1975 में जब भारत में आपातकाल की घोषणा की गई तो रामविलास पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया। 1977 में रिहा होने पर वे जनता पार्टी के सदस्य बन गए और पहली बार इसके टिकट पर हाजीपुर से संसद पहुंचे और उन्होंने सबसे अधिक अंतर से चुनाव जीतने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। वे 1980 और 1984 में हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1983 में उन्होंने दलित मुक्ति और कल्याण के लिए एक संगठन दलित सेना की स्थापना की। 1989 में लोकसभा के लिए फिर से चुने गए और उन्हें विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में केंद्रीय श्रम और कल्याण मंत्री बने। उसी समय मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गईं। 1996 में उन्होंने लोकसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का भी नेतृत्व किया, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा राज्यसभा के सदस्य थे। उसी साल वे पहली बार केंद्रीय रेल मंत्री बने। उन्होंने 1998 तक उस पद को संभाला। इसके बाद वे अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे, जब उन्हें कोयला मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया और वे इस पद पर अप्रैल 2002 तक बने रहे। मगर इसी बीच 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) बनाने के लिए वे जनता दल से अलग हो गए। 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद पासवान यूपीए में शामिल हो गए और यूपीए सरकार में उन्हें रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री बनाया गया।
पहली बार 1969 में लड़े चुनाव-पहली बार वे 1969 में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार विधानसभा पहुंचे। 1974 में राज नारायण और जेपी के प्रबल अनुयायी के रूप में लोकदल के महासचिव बने। वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी रहे।
बड़े फैसले--हाजीपुर में रेलवे का जोनल कार्यालय खुलवाए, केन्द्र में अंबेडकर जयं ती पर छुट्टी घोषित कराई
केन्द्रीय मंत्री-- 1989 में पहली बार केन्द्रीय श्रम मंत्री
1996 में रेल मंत्री
1999 में संचार मंत्री
2002 में कोयला मंत्री
2014 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री
2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री

 


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