PATNA-बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एक तरफ जहाॅ ओवैसी, उपेंद्र,मायावती,पप्पू ने महागठबंधन का खेल बिगाडा तो चिराग पासवान ने नितिश का पर पूरा चुनाव देखा जाये तो फायदे मे भाजपा रही।
देखा जाये तो मुख्य मुकाबला भले ही एनडीए और महागठबंधन के बीच रहा, मगर इस चुनाव में दो और गठबंधन भी थे। इनमें पप्पू यादव की अगुवाई वाला प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाला ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट शामिल है। पप्पू का गठबंधन कुछ खास न कर सका। वे खुद भी मधेपुरा सीट से हार गए। लेकिन दूसरे गठबंधन ने आरजेडी और महागठबंधन की तमाम सीटों का गणित बिगाड़ दिया। ओवैसी और मायावती की बीएसपी ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई।
उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के खाते में भले कोई सीट ना आई हो लेकिन उसके गठबंधन की भूमिका इस चुनाव में बेहद महत्वपूर्ण रही। आरएलएसपी ने दिनारा, केसरिया सहित कई सीटों पर अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई। बीएसपी ने यूपी से सटे बिहार के इलाकों में अपना दम दिखाया। रामगढ़ सीट पर बीएसपी के अंबिका सिंह और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह में कड़ा मुकाबला रहा। वहीं, पार्टी ने चैनपुर सीट पर जीत हासिल की है। गोपालगंज में बीएसपी दूसरे नंबर पर रही। इसके अलावा भोजपुर, शाहाबाद की कई सीटों का चुनावी गणित भी पार्टी ने प्रभावित किया।
इस चुनाव में ओवैसी बहुत बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं। मिथिलांचल से लेकर कोसी और सीमांचल के इलाके तक ओवैसी ने गहरा प्रभाव छोड़ा। ओवैसी की पार्टी ने आरजेडी के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण में बड़ी सेंधमारी की। एआईएमआईएम के प्रत्याशियों ने ना केवल मुस्लिम वोट हासिल किए, बल्कि अमौर, वायसी, जोकीहाट सीट पर जीत भी दर्ज की है। कोचाधामन सीट पर भी पार्टी ने जीत हासिल की है। मतलब साफ है कि जेडीयू को जितना नुकसान एलजेपी के कारण हुआ, उससे अधिक झटका ओवैसी और बीएसपी ने आरजेडी व महागठबंधन को दे दिया।
बिहार विधानसभा के पिछले चुनावों की तुलना में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए यह चुनाव थोड़ा महंगा साबित हो रहा है। इस बार जिन 115 सीटों पर जेडीयू ने उम्मीदवार उतारे थे, उनमें अब तक मात्र 43 सीटों पर यह पार्टी जीतती दिख रही है।
चिराग पासवान ने 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट हासिल करती नहीं दिख रही है। मगर एक सीट जीतने के बाद भी चिराग पासवान ने नितिश के चुनावी नैयया को पार नही लगने दी। बीजेपी ने अपने कोटे से वीआई को 11 सीटें दीं, जिसमें से पार्टी 5 पर आगे चल रही है।
जेडीयू इस चुनाव में हाल के दिनों में सबसे कम उम्मीदवार जीता सकी है। इसके पहले 2005 के फरवरी के चुनाव में पार्टी को अब तक सबसे कम 55 सीटें मिली थीं। उस समय यह पार्टी 138 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन, उसके तुरंत बाद उसी अक्टूबर में हुए चुनाव में जदयू को 88 सीटें मिली थीं।
पिछले चुनाव मे आरजेडी के साथ जेडीयू का गठबंधन था और 101 उम्मीदवारों में उसके 71 उम्मीदवार जीत गए थे। वोट भी उसको 16.83 प्रतिशत मिला था। वोटों की गिनती सीटों की संख्या के आधार पर करेंगे तो उस समय पार्टी को 40.65 प्रतिशत वोट मिले थे। उसके पहले वर्ष 2010 में जेडीयू का गठबंधन बीजेपी के साथ था और 141 सीटों पर उम्मीदवार देकर 115 को जीत दिलाई थी। तब वोट प्रतिशत भी 22.9 और सीटों के हिसाब से 38.7 प्रतिशत मिले थे।
वर्ष 2005 के अक्टूबर चुनाव में भी पार्टी 139 उम्मीदवार देकर 20.5 प्रतिशत वोट पाकर 88 उम्मीदवार जिताई थी। सीटों के हिसाब से उसे 37.17 प्रतिश्ता वोट मिले थे। इस बार पार्टी की सीटों की संख्या के साथ वोट की प्रतिशतता भी कम होने का अनुमान है।
झांसी में हुआ हादसा खिड़की तोड़कर बाहर निकाले...
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में पूर्व मंत्री आशुतोष...
वाराणसी में 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र...
Lucknow: दरिंदगी, कट्टरता और अराजकता के खिलाफ शहर में...
यूपी में ठंड की आहट…आज भी इन 26 जिलों में बारिश का...
UP में फिर तबादले; योगी सरकार ने 8 जिलों के पुलिस कप्तान...