भारतीय सैनिकों की एक टीम एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को चलाने की ट्रेनिंग लेने के लिए अगले कुछ दिन में रूस के लिए रवाना होगी, क्योंकि इस मिसाइल प्रणाली के पहले बैच की आपूर्ति इस साल मॉस्को द्वारा किए जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। भारत में रूस के राजदूत निकोले आर कुदाशेव ने मंगलवार को रूसी दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि एस-400 दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूती प्रदान करने वाली महत्वकांक्षी परियोजना है।
उन्होंने कहा कि भारत-रूस सैन्य और सैन्य प्रौद्योगिकी संबंध निरंतर बढ़ने वाले असाधारण पारस्परिक हितों, सामंजस्य, निरंतरता और पूरकता पर आधारित हैं। गौरतलब है कि अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ पांच अरब डॉलर में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की 5 इकाई खरीदने का करार किया था। भारत ने यह करार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की ओर प्रतिबंध लगाने की धमकी के बावजूद किया था।
भारत ने इस मिसाइल प्रणाली को खरीदने के लिए वर्ष 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किस्त का भुगतान किया था। S-400 रूस की सबसे आधुनिक लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है। हाल में अमेरिका ने रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के खिलाफ तुर्की पर प्रतिबंध लगाए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि करीब 100 भारतीय सैनिक इस महीने S-400 के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए रूस रवाना होंगे। रूसी दूतावास द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक कुदाशेव ने कहा कि सैन्य सहयोग दोनों देशों के विशेष एवं गौरवान्वित करने वाले रणनीतिक संबंधों का मुख्य आधार हैं और भारत और रूस की दोस्ती क्षेत्र और दुनिया में स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
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