किसान आंदोलन के 55वें दिन और 10वें दौर की बातचीत के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कानूनों पर नरम रुख अपना लिया है। केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के दौरान प्रस्ताव दिया कि जब तक इस मसले पर बीच का कोई रास्ता नहीं निकलता, तब तक कृषि कानूनों को स्थगित कर सकते हैं। फिलहाल, किसानों ने इस मसले पर एक दिन बाद जवाब देने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व पर हुई 10वें दौर की बातचीत में केंद्र सरकार ने मसला सुलझाने के लिए अहम कदम बढ़ा दिया है।
11वें दौर की बैठक 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे होगी। 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान संगठनों के साथ बेहद सकारात्मक बातचीत हुई। चर्चा के दौरान, हमने कहा कि सरकार एक या डेढ़ साल के लिए कृषि कानूनों को रखने के लिए तैयार है। मुझे खुशी है कि किसान यूनियनों ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है और कहा है कि वे कल इस पर विचार करेंगे और 22 जनवरी को अपना फैसला बता देंगे। तोमर ने कहा कि मुझे लगता है कि वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है और 22 जनवरी को एक प्रस्ताव मिलने की संभावना है। बैठक के दौरान सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है। सरकार 1 से डेढ़ साल तक भी कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है। इस दौरान किसान यूनियनें और सरकार बात करें और समाधान तलाश करें।
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