समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि जनहित के बुनियादी मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने और उन्हें गुमराह करने में भाजपा को विशेषज्ञता प्राप्त है। देशभर में किसान आंदोलित और आक्रोशित हैं। वे लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी दो ही मांगे हैं, एक एमएसपी की अनिवार्यता हो और दूसरी तीनों काले कृषि कानून वापस लिए जाए। तीन महीने से भाजपा सरकार इस पर टालमटोल कर रही है। सबसे दुःखद बात यह है कि भाजपा सरकार किसानों के इस आंदोलन को आतंकवादी, खालिस्तानी विशेषणों से नवाज रही है जिससे किसान क्षुब्ध हैं। उनके आंदोलन पर अब देश से बाहर भी टिप्पणियां हो रही हैं। दुनिया के लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र के रहते किसानों की यह उपेक्षा क्यों हो रही है?
प्रधानमंत्री जी अपनी वैश्विक छवि के प्रति बहुत सचेत रहते हैं किन्तु किसानों के मामले में उन्हें देश की वैश्विक छवि खराब होने की भी चिंता नहीं है। अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए वे कृषि कानूनों के मुद्दे को लगातार लम्बा खींचना चाहेंगे ताकि किसान पस्त हों, पर ऐसा होने वाला नहीं है।
ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार की मंशा उत्तर प्रदेश के चुनावों तक कृषि कानूनों के मुद्दे को जिंदा रखने की है ताकि वह विपक्ष पर लांछन लगाने की अपनी रणनीति में सफल हो सके। लेकिन जनता और किसानों का मूड इस बार दूसरा है। वे भाजपा की साजिशों को समझ गए हैं और भाजपा को हटा के, हरा के ही दम लेंगे। किसान इस समय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। इस लड़ाई में अब तक सैकड़ों किसान अपनी जान भी गंवा चुके है।
सच तो यह है कि भाजपा सरकार के एजेण्डा में देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की कोई ठोस संकल्पना ही नहीं है। जनता को भ्रमित करने में ही भाजपा दिनरात लगी रहती है। समाज को बांटने और नफरत फैलाने में उसकी शक्ति लगती है। इन्हीं सब साजिशों और झूठ तथा अफवाहों के सहारे वह अपने राजनीतिक स्वार्थ साधती है। भाजपा का प्रचार तंत्र जर्मन प्रचारमंत्री गोएबल्स की इस कथन बात का अक्षरशः पालन करता है कि एक झूठ को सौ बार दुहराने से वह सच बन जाता है।
देश में लोकतंत्र को सर्वाधिक क्षति भाजपा के आचरण से मिल रही है। नतीजा विश्वस्तर पर देश की छवि बिगड़ी है, लोकतंत्र में असहमति का सम्मान होता है। असहिष्णुता संविधान की मूलभावना के विरोध में है। अन्नदाता की मांग की उपेक्षा करना अमानवीय भी है। इससे सरकार की संवेदनहीनता उजागर होती है। समाजवादी पार्टी किसानों के हर आंदोलन के समर्थन में है। कोई भी कानून देश की जनता के हितों से बढ़कर नहीं हो सकता है। भाजपा को अपनी हठधर्मिता छोड़कर किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए
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