हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राजधानी की कैंसर से पीड़ित एक महिला के इलाज संबंधी निर्देश केजीएमयू, लोहिया अस्पताल समेत एसजीपीजीआई के संबंधित अफसरों को दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि महिला मरीज को तीन दिन में भर्ती कर उसका तुरंत इलाज शुरू किया जाए। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश सौहार्द्र लखन पाल की याचिका पर दिया। याची ने अपनी कैंसर से पीड़ित माता का समुचित इलाज कराए जाने का आग्रह किया था। मामले के न्यायमित्र अधिवक्ता मुरली मनोहर श्रीवास्तव का कहना था कि याची बेरोजगार है। उसके पिता स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो करीब एक दशक से बेरोजगार हैं और याची की माता भी गृहिणी हैं। ऐसे में याची के परिवार की कोई आय नहीं है।
सरकारी वकील ने बताया कि पात्रता वाले असाध्य रोगियों के मुफ्त इलाज की सरकार ने व्यवस्था की है और वर्ष 2013 में इसकी नियमावली बनी है। अदालत ने कहा कि चूंकि याची के परिवार की आय न के बराबर है, लिहाजा नियमों के तहत उसकी माता का नि:शुल्क इलाज हो सकता है। कोर्ट ने उक्त तीनों अस्पतालों के संबंधित चिकित्सा अफसरों को आपसी तालमेल से महिला को इलाज मुहैया करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को नियत करके उस रोज केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से इलाज संबंधी की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।
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