lucknow-अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना द्वारा आज विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुये बताया गया कि बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया शो 2021 में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में आकर्षित हुए 4,500 करोड़ रुपये के नए निवेश-प्रस्ताव हुये है।
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाॅजिस्टिक्स सेक्टर के विकास हेतु राज्य-स्तरीय लाॅजिस्टिक्स योजना को विकसित कर रही है।
विभागिय मन्त्री ने अनेक राष्ट्रीय एवं विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्तर प्रदेश में 57,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित होने की बात को भी प्रमुखता से बताया। उन्होने कहा कि मेक-इन-यूपी को प्रोत्साहित करने के लिए एक्सप्रेसवेज के किनारे कई औद्योगिक पार्कांे के विकास की योजना है
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार नए रोजगार के अवसरों के सृजन एवंराज्य के निवासियों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्य में औद्योगीकरण-जनित विकास हेतु महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। राज्य में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कुछ कदम इस प्रकार हैं-
उत्तर प्रदेश में निवेश को मिली गति
(1) डिफेंस कॉरिडोर को प्रोत्साहन
हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया शो 2021 में उ.प्र. डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में निवेश हेतु 4500 करोड़ रुपये के 13 नए निवेश-प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसमें निम्न कंपनियों के प्रस्ताव सम्मिलित हैं -
ऽ रक्षा आयुध विनिर्माण, दहनशील घटकों और बैलिस्टिक सामग्री के निर्माण के लिए एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड से 2400 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
ऽ पीटीसी इंडस्ट्रीज से 220 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
ऽ नाइट्रोडायनामिक एयरोस्पेस एंड डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड से 600 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
ऽ ऑप्टिक इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लि. से 800 करोड़ रुपए का प्रस्ताव
ऽ एमकेयू लिमिटेड से 200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
ऽ कल्याणी स्ट्रेटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड से 200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
इससे पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में डेफएक्सपो 2020 का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया था। यह आयोजन देश में अब तक का सबसे उत्तम डिफेंस एक्सपो था तथा इसके आयोजन के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश एक उभरते हुए डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग गंतव्य के रूप में स्थापित हुआ है।
राज्य में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्तावोंहेतु हस्ताक्षर किए गए। इसके अतिरिक्त डेफएक्सपो के दौरान बंधन कार्यक्रम में कुल 20 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे और कोविड-19 महामारी के बाद भी 24 और एमओयू हुए, जिससे कुल संख्या 44 एमओयू तक पहुंच गई।
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को 5000 हेक्टेयर भूमि पर विकसित करने की योजना बनाई गई है, जिसमें से 3796 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है और झांसी, चित्रकूट एवं अलीगढ़ में कुल 1369 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। अलीगढ़ में डिफेंस नोड की भूमि कंपनियों को आवंटित भी कर दी गई है और इसके साथ ही राज्य सरकार अन्य इच्छुक निवेशकों के लिए अतिरिक्त भूमि की व्यवस्था कर रही है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजटमें आत्मनिर्भर भारतको प्रोत्साहित करेने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के साथ नीतियों का प्रविधान किया गया है। इसके अनुरूप ही राज्य सरकार भी राज्य में इस तरह की नीतियों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। उदाहरण के लिए, हाल ही में घोषित की गई इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन प्रदान करती है।
इसी प्रकार, केंद्रीय बजट-2020-21 में 07 मेगा टेक्सटाइल पार्कों की योजना बनाई जा रही है, जिनमें से राज्य सरकार कानपुर और गोरखपुर में 2 ऐसे पार्कों की स्थापना के लिए प्रयास कर रही है। इसके अलावा, बजट 2020-21 के अन्तर्गतनए इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क, लेदर पार्क आदि के रूप में तेजी से औद्योगिक अवस्थापना सुविधाओं को प्रोत्साहित किया गया है, जिसके अनुरूप ही राज्य सरकार भी तेजी से इस प्रकार के मैन्यूफैक्चरिंग हब और क्लस्टर विकसित कर रही है।
(2) हेल्पडेस्क
राज्य सरकार ने 77 से अधिक निवेश आशयों को आकर्षित करने में भी सफलता प्राप्त की है, जिसमें लगभग 10 देशों, जैसे- जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस), यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर आदि की कंपनियों के लगभग 57,000 करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्ताव सम्मिलित हैं।
ऽ इसमें निम्नलिखित निवेश परियोजनाएं सक्रिय क्रियान्वयन (भूमि आवंटित) के अधीनहैं-
व हीरानंदानी ग्रुप द्वारा डाटा सेंटर में रु. 6000 करोड़ का निवेश
व एसटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर प्रा. लि. (सिंगापुर) द्वारा डाटा सेंटर में रु. 900 करोड़ का निवेश
व ब्रिटानिया इण्डस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा एकीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने में रु. 300 करोड़ का निवेश
व एसोसिएटेड ब्रिटिश फूड पीएलसी (एबी मौरी) (यूके) द्वारा खमीर मैन्यूफैक्चरिंग में रु. 750 करोड़ का निवेश
व वॉन वेलेक्स (जर्मनी) द्वारा फुटवियर विनिर्माण में रु. 300 करोड़ का निवेश
व ग्रेटर नोएडा में दक्षिण कोरिया की सैमक्वांग इलेक्ट्रॉनिक्स का रु. 318 करोड़ का निवेश प्रस्ताव
व सूर्या ग्लोबल फ्लेक्सी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पीओपीपी, बीओपीईटी, मेटालाइज्ड फिल्म्स प्रोडक्शन प्लांट में रु. 953 करोड़ का निवेश
व देवरिया में फाॅरएवर डिस्टिलरीज द्वारा रु. 187 करोड़ का निवेश
व ग्रेटर नोएडा में अम्बिका इन्फोटेक द्वारा इलेक्ट्राॅनिक्स विर्निमाण में रु. 225 करोड़ का निवेश
व बाराबंकी में गोदरेज एग्रोवेट द्वारा रु. 70 करोड़ के निवेश से एक्वा फीड संयंत्र
व डासना में सीएचडब्ल्यू फोर्ज द्वारा रु. 50 करोड़ का निवेश
व याजाकी (जापान) द्वारा वायरिंग हारनेस तथाकम्पोनेंट्स में रु. 2,000 करोड़ का निवेश
व गोरखपुर में अंकुर उद्योग द्वारा रु. 351 करोड़ का निवेश
(3) औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा भूमि आवंटन
राज्य के प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के माध्यम से 17,800 करोड़ रुपये और 2 लाख रोजगार की संभावना वाली निवेश परियोजनाओं के लिए लगभग 1004 एकड़ के 1480 भूखंड आवंटित किये गए हैं।
श्रेणी यूपीसीडा नोएडा यीडा ग्रेटर नोएडा गसीडा सीडा कुल
भूखंड 230 185 878 86 84 17 1480
क्षेत्रफल (एकड़) 168 94 600 108 33 1 1004
निवेश (रु. करोड़) 1332 1396 7290 7500 330 1.2 17849.2
रोजगार 18135 15000 174730 9000 3136 30 2,20,031
(4) एमओयू (समझौता-ज्ञापनों) का कार्यान्वयन
राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट में 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्तावों को आकर्षित किया था। इन निवेश-प्रस्तावों के सक्रिय अनुश्रवण के परिणामस्वरूप लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश कार्यान्वयन के सक्रिय चरणों में हैं, जिसका रोजगार सृजन पर कई गुना प्रभाव संभावित है।
ऽ रु. 50,756 करोड़ निवेश तथा लगभग 127000 रोजगार की संभावना वाली 211 परियोजनाएं वाणिज्यिक उत्पादन के अंतर्गत हैं, जबकि 122 परियोजनाएँ रु. 35,863 करोड़ निवेश तथा 2,05,000 के संभावित रोजगार के साथ कार्यान्वित की जा रही हैं।
ऽ 1,02,924 करोड़ रुपये के निवेश की शेष 457 परियोजनाओं को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली आवश्यक सुविधा की आवश्यकता है। (विवरण संलग्नक-1 में)
ऽ कोविड-19 कालखण्ड के उपरान्त लगभग 8,500 करोड़ रुपये के निवेश वाली 7 परियोजनाओं में वाणिज्यिक संचालन प्रारम्भ हो गया है, जबकि लगभग 6,400 करोड़ रुपये के निवेश की 19 परियोजनाएं सक्रिय कार्यान्वयन के अधीन हैं।
ऽ राज्य सरकार ने एमओयूज के अनुश्रवण के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग तंत्रविकसित किया है। ऑनलाइन एमओयू ट्रैकिंग पोर्टल पर निवेशकों, नोडल विभागों और नोडल अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन एमओयू ट्रैकिंग पोर्टल के माध्यम से निवेश परियोजनाओं की प्रगति की मासिक समीक्षा की जाती है।
ऽ एक लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाले 200 से अधिक निवेश प्रस्तावों वाले विभागों को विभाग के प्रमुख की अध्यक्षता में एक परियोजना अनुश्रवण इकाई (पीएमयू)और अन्य विभागों को एक सेल के सृजन का आदेश दिया गया है।
ऽ प्रत्येक नोडल विभाग को निवेशकों की सहायता करने के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारीकी नियुक्तिका आदेश दिया गया है।
ऽ 500 करोड़ रुपये तक के निवेश प्रस्तावों की सहायता के लिए मण्डल स्तर पर नोडल अधिकारियों को नामित किया जाता है, 2,000 करोड़ रुपये तक के एमओयू के लिए विशेष सचिव ध् निदेशक स्तर के अधिकारियों को नामित किया जाता है और2,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव की सुविधा के लिए विभाग के प्रमुख या सचिव स्तर के अधिकारी को उŸारदायी बनाया गया है।
ऽ इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने दि प्रदेशीय इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्मेंट डवलपमेंट काॅरपोरेशन आॅफ यूपी (पिकप)के माध्यम से अपनी विभिन्न नीतियों के तहत बड़े निवेश आकर्षित किए हैं। उदाहरण के लिए, राज्य की औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के तहत एसएमई श्रेणी के तहत 1100 करोड़ रुपये निवेश के 157 आवेदन, वृहद् श्रेणी के तहत 1130 करोड़ रुपये के 23 आवेदन और मेगा श्रेणी के तहत 9019 करोड़ रुपये के 22 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसी प्रकार कोविड-19 के बाद त्वरित निवेश संवर्धन नीति 2020 के तहत जो एक वर्ष की योजना थी, 977 की रोजगार क्षमता के साथ 1400 करोड़ रुपये के निवेश आवेदन प्राप्त हुए हैं।
(5) व्यावसायिक सुगमता (ईज आॅफ डूइंग बिजनेस)
भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा घोषित बिजनेस रिफाॅर्म ऐक्शन प्लान रैंकिंग में उत्तर प्रदेश की रैंकिंग, राज्य में ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में हुई उल्लेखनीय प्रगति का स्पष्ट प्रमाण है। उत्तर प्रदेश ने विगत् 3 वर्षों में 12 स्थानों की अभूतपूर्व प्रगति करते हुए द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।
ऽ राज्य सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में रिकॉर्ड 186 सुधारों को लागू किया गया है, जैसे- श्रम विनियमन, निरीक्षण नियम, भूमि आवंटन, संपत्ति पंजीकरण, पर्यावरण स्वीकृति तथा करों का भुगतान आदि।
ऽ राज्य में निवेशकों पर विनियामक भार को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीनीकरण, निरीक्षण, रजिस्टर व रिकॉर्ड तथा रिटर्न फाइल करने के संदर्भ में लाइसेंसों एवं अनापŸिा प्रमाणपत्रों को चिन्हित करने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। इस संबंध में 15 विभागों में अब तक 80 ऐसे प्रक्रियात्मक अनुपालनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से 52 प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का सरलीकरण किया भी जा चुका है।
ऽ राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों में से एक, भारत के सबसे बड़े डिजिटल सिंगल विण्डो पोर्टल ‘निवेश मित्र’ का कार्यान्वयन है, जिसके माध्यम से उद्यमियों को 204 सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
ऽ उद्यमियों के आवेदनों के 93 प्रतिशत् की औसत निस्तारण दर के साथ निवेश मित्र पोर्टल परप्राप्त 98 प्रतिशत्शिकायतों का निस्तारण सफलतापूर्वक किया गया है।
(6) नवीन नीतियां एवं नीतिगत् सुधार
औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के शुभारंभ एवं 20 क्षेत्र-विशिष्ट पूरक नीतियों के साथ राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए नीति-संचालित शासन तंत्र ने उद्यमिता, नवाचार (इनोवेशन) और मेक-इन-यूपी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन नीतियों के अन्तर्गत देश में सर्वश्रेष्ठ एवं आकर्षक प्रोत्साहनों का प्राविधान किया गया है, जैसे- भूमि सब्सिडी, पूंजीगत सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी आदि।
ऽ डाटा सेंटर नीति-राज्य में 250 मेगावाॅट क्षमता के डाटा सेंटर उद्योग में रु 20,000 करोड़ के निवेश के लक्ष्य के साथ डाटा सेंटर नीति घोषित की गई है।
ऽ वर्तमान समय में पूरे विश्व की कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक सुदृढ़ व वैकल्पिक बनाने का प्रयास कर रही हैं और स्थिर व सुव्यवस्थित निवेश स्थलों की तलाश कर रही हैं। अतः भारत सरकार की नीति के अनुरूप उŸार प्रदेश सरकार ने भी सम्पूर्ण प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डवलपमेंट एण्ड मेन्टेनेंस (ईएसडीएम) और कम्पोनेंट निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नई इलेक्ट्रॉनिक्स नीति-2020 के अन्तर्गत नवीनीकृत (रिफरबिश्ड) प्लांट और मशीनरी पर स्थाई पूंजीगत् निवेश के 40 प्रतिशत् तक प्रोत्साहन प्रदान करने जैसे नीतिगत निर्णय किए हैं।
ऽ कोविड-19 कालखण्ड के उपरान्त बदलती हुई परिस्थितियों में राज्य सरकार ने अनेक नई नीतियों की घोषणा की है। ‘पिछड़े क्षेत्रों के लिए त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति-2020’ के अन्तर्गत उŸार प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पूर्वांचल, मध्यांचल और बुंदेलखण्ड क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के केन्द्रों की स्थापना के उद्देश्य से नई औद्योगिक इकाइयों को फास्ट ट्रैक मोड में आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हंै।
ऽ इसी प्रकार गैर-आईटी आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने एक नई स्टार्टअप नीति-2020 घोषित की गई है। इस श्रृंखला में डाटा सेंटर नीति तथा रुग्ण औद्योगिक इकाइयों के लिए भी नीति शीघ्र ही घोषित की जाएगी।
ऽ बुंदेलखण्ड और पूर्वांचल में निजी औद्योगिक पार्कों की पात्रता सीमा 100 एकड़ से घटा कर 20 एकड़ कर दी गई है तथा पश्चिमांचल एवं मध्यांचल में 150 एकड़ से घटा कर 30 एकड़ और लॉजिस्टिक्स पार्कों के लिए पूरे प्रदेश में 50 एकड़ से घटा कर 25 एकड़ भूमि की आवश्यकता का प्राविधान कर दिया गया है।
ऽ लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को ‘उद्योग का दर्जा’ प्रदान किया गया है। जोनिंग नियमों में संशोधन किया गया है, जिससे लाॅजिस्टिक्स इकाइयों को औद्योगिक भू-उपयोग का लाभ मिल सके। इसके अतिरिक्त ऐसी लाॅजिस्टिक्स इकाइयों को औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भूमि औद्योगिक दरों पर आवंटित करने की भी अनुमति प्रदान की गई है।
ऽ कोविड-19 महामारी के बाद उŸार प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बड़ी राहत देते हुए मण्डी परिसर के बाहर लेनदेन पर मण्डी शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
ऽ राज्य के पारम्परिक व स्थानीय उद्योगों के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए वर्ष 2018 में ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इस योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा विपणन सहायता, तकनीकी और कौशल उन्नयन सहायता, प्रशिक्षण और आसान ऋण जैसी सुविधाएं प्रदान कर रही हैं।
(7) सक्रिय प्रशासन
भूमि सुधार
ऽ सिंगल विण्डो पोर्टल-निवेश मित्र के माध्यम से सभी प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में भूमि का ऑनलाइन आवंटन तथा वास्तविक समय यतमंस.जपउमद्ध में अपडेशन हेतु भारत सरकार के औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) पोर्टल के साथ औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का एकीकरण।
ऽ राज्य सरकार ने औद्योगिक विकास के लिए एक्सप्रेसवेज के किनारे लगभग 22,000 एकड़ भूमि चिन्हित की है। एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप में मिश्रित भूमि उपयोग हेतु जोनिंग नियमों में संशोधन की अनुमति दी गई है। औद्योगिक भूमि के लिए एफएआर को बढ़ाकर 3.5 कर दिया गया है (2.5 अनुमन्य $ 1 क्रय योग्य एफएआर) तथा उद्योगों को उनकी सरप्लस भूमि को सब-डिवाइड करने की अनुमति प्रदान की गई है।
ऽ भूमि को अवरुद्ध करने को हतोत्साहित करने के लिए 5 वर्षों के भीतर भूमि का उपयोग करने में विफल होने पर भूमि आवंटन के निरस्तीकरण के लिए उ.प्र. औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 में संशोधन किया गया है।
ऽ 45 दिनों के भीतर भूमि को गैर-कृषि घोषित करने के लिए आवेदन के निस्तारण के आदेश को अधिसूचित किया गया है।
ऽ औद्योगिक भूमि की सुलभ उपलब्धता के लिए लैण्ड पूलिंग नीति अधिसूचित की गई है।
ऽ सीलिंग सीमा से अधिक कृषि भूमि की खरीद में आसानी के लिए राजस्व संहिता में संशोधन किया गया है और इसके अनुमोदन का अधिकार जिला-स्तर के अधिकारियों को प्रदान कर दिया गया है। सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को मेगा और इससे उच्च श्रेणी के उद्योगों को आवेदन की तिथि से 15 दिनों के भीतर भूमि प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है।
संस्थागत् सुधार
ऽ निवेशकों को सुविधा एवं सहायता प्रदान करने के लिए एक समर्पित एजेंसी-‘इन्वेस्ट यूपी’ की स्थापना की गई है। देश में समान प्रकृति के संगठनों के विपरीत, जो या तो निवेश प्रोत्साहन या निवेश सुविधा प्रदान करते हैं, इन्वेस्ट यूपी निवेशकों को पूर्ण निवेश जीवन-चक्र की अवधि में सहायता प्रदान करेगा।
ऽ विभिन्न नए स्वदेशी व विदेशी निवेश प्रस्तावों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने ‘इन्वेस्ट यूपी’में एक समर्पित हेल्पडेस्कस्थापित किया है।
ऽ उद्योगों की सुविधा हेतु आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन) और भण्डारण (वेयरहाउसिंग) सुविधाओं के विकास के लिए अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय लाॅजिस्टिक्स प्रकोष्ठ (सेल) तथा लाॅजिस्टिकस योजना की प्रगति और कार्यान्वयन के अनुश्रवण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्यस्तरीय लाॅजिस्टिक्स समन्वय समिति का गठन किया गया है।
ऽ राज्य सरकार ने एक व्यापक एकीकृत राज्यस्तरीय लाॅजिस्टिक्स योजना विकसित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी हैै। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार का आशय सम्पूर्ण राज्य में निर्यात संपर्क केंद्रों को लाभ पहुंचाने के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी और कार्गो परिवहन सुनिश्चित करने का है।
राजकीय प्रिंटिंग प्रेस- नई तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले कागज, ई-गेजेट्स और अन्य डिजिटल साधनों को अपनाकर राजकीय प्रिंटिंग प्रेसके आधुनिकीकरण हेतु अनेक कदम उठाए गए हैं
इंस्टीट्यूट ऑफ टूल रूम ट्रेनिंग (आईटीयूपी)- इसके अलावा राज्य सरकार तेजी से औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ टूल रूम ट्रेनिंग (आईटीयूपी) का सक्रिय रूप से संचालन कर रही है, जिसे 1981 में जर्मनी गणराज्य और भारत सरकार के सहयोग से लखनऊ में स्थापित किया गया था। इसके लिए इंडो-डेनिश टूल रूम जमशेदपुर को आईटीयूपी के पुनरुद्धार के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।
(8) नवीन फोकस सेक्टर तथा निवेश के अवसर
ऽ राज्य सरकार द्वारा नए प्रकार के उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जैसे-बल्क ड्रग तथा मेडिकल डिवाइस मैन्यूफैक्चरिंग। इसके लिए राज्य सरकार समर्पित औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
ऽ यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे एमएसएमई पार्क, इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क, परिधान पार्क, हस्तशिल्प पार्क और खिलौना (टाॅय) पार्क के विकास हेतु कार्यवाही की जा रही है। प्रस्तावित हेरिटेज सिटी में एकीकृत टाउनशिप तथा राया अर्बन सेंटर एवं बाजना अर्बन सेंटर में लॉजिस्टिक्स हब के विकास की योजना है।
ऽ लॉजिस्टिक्स, डिफेंस, डेटा सेंटर आदि सेक्टरों का भविष्य भी उज्ज्वल है। राज्य सरकार नए बाजार के रुझानों के अनुसार नए अवसरों का लाभ उठाने हेतु कार्यवाही कर रही है।
ऽ उत्तरी भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक होगा। हवाई अड्डे के साथ एमआरओ ध् कार्गो कॉम्प्लेक्स और एयरोट्रोपोलिस जैसी परियोजनाओं के विकास की अच्छी संभावना जेवर, ग्रेटर नोएडा में 5,000 हेक्टेयर में विकसित किया जाने वाला नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
ऽ राज्य सरकार ने प्रस्तावित जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 6 किमी दूर 1,000 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में हाल ही में एक फिल्म सिटी की घोषणा की है।
ऽ यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र के सेक्टर 28 में 350 एकड़ में एक समर्पित मेडिकल डिवाइस पार्क प्रस्तावित है, जिसके लिए कलाम इंस्टीट्यूट आॅफ हेल्थ टेक्नोलाॅजी के साथ विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
ऽ उत्तर प्रदेश चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ राज्य है, अतः उत्तम सड़क परिवहन को सुनिश्चित करने के लिए खुद को एक्सप्रेसवेज के राज्य के रूप में स्थापित कर चुका है। यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और दिल्ली-मेरठ लिंक एक्सप्रेसवे के बाद राज्य सरकार ने पूर्वी एवं दक्षिणी कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने वाले अन्य एक्सप्रेसवेज की योजना बनाई है तथा इन परियोजनाओं पर त्वरित गति से कार्य किया जा रहा है। इसमें लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ने वाला पूर्वांचल एक्सप्रेसवे तथा चित्रकूट से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को जोड़ने वाला बुंदेलखण्ड एक्सप्रेसवे एवं गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे सम्मिलित हैं।
ऽ इसके अतिरिक्त एशिया के सबसे लम्बे एक्प्रेसवेज में से एक - 600 किमी का गंगा एक्सप्रेसवे के क्रियान्वयन की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो गई है। इसके अतिरिक्त लखनऊ-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच27) पर एक एलिवेटेड राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे (एनई6) के विकास की प्रक्रिया प्रारम्भ करने वाला उत्तर प्रदेश भारत के कुछ राज्यों में से एक है।
झांसी में हुआ हादसा खिड़की तोड़कर बाहर निकाले...
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में पूर्व मंत्री आशुतोष...
वाराणसी में 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र...
Lucknow: दरिंदगी, कट्टरता और अराजकता के खिलाफ शहर में...
यूपी में ठंड की आहट…आज भी इन 26 जिलों में बारिश का...
UP में फिर तबादले; योगी सरकार ने 8 जिलों के पुलिस कप्तान...