ऽ सरकार खनन माफियाओं के साथ है, निषाद समाज के साथ नहीं- प्रियंका गांधी
ऽ काले कृषि कानून कुछ खरबपतियों के लिए वैसे ही जैसे यूपी सरकार खनन माफियाओं के साथ- प्रियंका गांधी
ऽ निषादों के पट्टे की लड़ाई लड़ेगी कांग्रेस, कानूनी मदद देगी कांग्रेस- प्रियंका गांधी
ऽ टूटी नावों तक गांव की निषाद महिलाओं के साथ पहुंची प्रियंका गांधी
प्रयागराज-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा आज प्रयागराज पहुंचकर प्रशासन द्वारा निषाद समुदाय की जीविका के साधन नावें- जो पूरी तरह तोड़कर नष्ट कर दी गयी थीं, पीड़ित निषाद समुदाय के गांव में पहुंचीं और उनका दुख-दर्द जाना।
कांग्रेस महासचिव पुलिस प्रशासन द्वारा निषाद समुदाय की महिलाओं और बच्चों के साथ किये गये क्रूर व्यवहार पर प्रयागराज पहुंची। प्रयागराज एयरपोर्ट पर पहुंचने पर श्रीमती प्रियंका गांधी का नाविक सुजीत निषाद ने स्वागत किया, सुजीत निषाद ने पिछले प्रयागराज दौरे पर श्रीमती प्रियंका गांधी के साथ नाव चलायी थी। इसके साथ ही नाविक बलिराम साहनी भी मौजूद रहे जो गंगा यात्रा के दौरान प्रियंका जी के साथ रहे थे।
श्रीमती प्रियंका गांधी के साथ गाड़ी में बैठकर नाविक सुजीत निषाद और बलिराम साहनी बंसवार गांव पहुंचे जहां निषाद समुदाय का पुलिस उत्पीड़न किया गया था। बंसवार गांव पहुंचकर पीड़ित महिलाओं से मिलकर कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं आपकी समस्याओं और दुःख को समझने के लिए यहां आयी हूं। पिछले साल जब गंगा यात्रा में मैं गयी थी आप मेरे साथ थे। इन्होने मुझे बताया कि किस तरह से पहले पट्टे मिलते थे आपका अधिकार होता था और आपको कुछ चीजों की छूट थी। छूट इसलिए दी गयी थी क्योंकि उस समय की सरकार यह समझती थी कि आपके अधिकार क्या हैं। वह यह बात समझती थी और पूरी दुनिया इस समय समझ रही है जो पर्यावरण है, नदिया हैं, जंगल है जो उसके आसपास रहते हैं उनकी कमाई उसी से है वह उसकी हानि कभी नहीं कर सकते।
उन्होंने पीड़ितों से बात करते हुए कहा कि लेकिन जो बड़े-बड़े उद्योगपति हैं, ठेकेदार हैं उनका जीवन तो नदी, जंगल से जुड़ा नहीं होता और तब जो वह व्यापार करते हैं उनको कोई मतलब नहीं होता कि नदी की हानि हो रही है, जंगलों की हानि हो रही है। यह समझ आप में है। क्योंकि आप पुश्तों से यह काम कर रहे हैं और इसी काम पर आपका जीवन निर्भर है इस काम के बिना आपका जीवन मुश्किल है। तो यह बात जब सरकार समझती है तो ऐसे नियम कानून नीतियां क्यों नहीं बनाती जिससे आपका भला हो, नदी का भला हो।
उन्होंने कहा कि आज की सरकार आपके लिए नहीं चल रही है। अलग-अलग माफियाओं के लिए चल रही है। उन्होंने कहा कि आपने सुना होगा कि किसानों का आंदोलन चल रहा है। उनकी समस्याओं को भी सरकार नहीं समझ रही है।
श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आपकी समस्याओं को यह सरकार समझ नहीं रही है या पूरी तरह से समझ रही है लेकिन मदद नहीं करना चाहती। जो कृषि कानून बनाये गये हैं उससे किसान का नुकसान हो रहा है। बड़े बड़े उद्योगपति खरबपति उनका फायदा हो रहा है। उसी तरह से जो कानून गंगा नदी और यमुना नदी और नदियों पर लागू हो रहा है वह कानून आपकी भलाई के लिए नहीं है नदी की भलाई के लिए हैं वह कानून इसलिए लागू किये जा रहे हैं ताकि उनसे उद्योगपतियों को लाभ पहुंच सके। यह कानून इस तरह लागू किया गया है कि वह अपना कारोबार कर सकते हैं, वह नदी से कमाई कर सकते हैं लेकिन आप नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि मैं आपकी पीड़ा समझ सकती हूं। सरकार, पुलिस प्रशासन को शर्म आनी चाहिए। जिस तरह से मैंने वीडियो देखा कि किस तरह आपके बच्चों को मारा गया। हम इस मुद्दे को उठायेंगे। श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आप की नाव तोड़ी है इस मुद्दे को हम उठायेंगे। पूरी तरह से आपकी लड़ाई लड़ेंगे। यह आपकी बहादुरी है।आपने बहुत मदद की है इस सरकार की। आपके वोट से यह सरकार बनी है। लेकिन भूल गये हैं मैं बार बार कहती हूं जो नेता हैं जब वह भूल गए हों कि उन्हें सत्ता किसने दी है तो वह भटकने लगता है इनको समझ में आया है कि बनाने वाले आप है, आपने इनको सत्ता किस लिए दी है, आपके लिए इन्हे काम करना चाहिए।
श्रीमती गांधी ने कहा कि बसवार, प्रयागराज में यूपी सरकार के प्रशासन ने निषाद बहनों-भाइयों की नावें तोड़ दी थीं। महिलाओं ने बताया कि उनके साथ भी ज्यादती की गई। प्रशासन ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। निषाद बहनों - भाइयों के कहने पर यमुना के तट पर पुलिस द्वारा तोड़ी गई नावों को देखने गई। सभी नाविकों ने अपनी पीड़ा बताई। ये अन्याय है। श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि उनके जाने के बाद यदि निषाद समुदाय को प्रताड़ित किया जायेगा तो हमारे कांग्रेस कार्यकर्ता, कांग्रेस नेता हैं आपकी मदद करेंगे और आपके साथ खड़े रहेंगे। आपकी मदद के लिए तत्पर रहेंगे और उत्पीड़न नहीं होने देंगे।
महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी दो किलोमीटर पैदल चलकर निषाद समुदाय की महिलाओं और कार्यकर्ताओं के साथ घटनास्थल पहुंची। जहां पर निषादों की नावों को पुलिस प्रशासन ने तोड़ा था।
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