छात्रवृत्ति वितरण में आ रही ही हैं व्यावहारिक कठिनाइयां
(हमीद सिद्दीकी)
Lucknow-सोशल सेक्टर के हर विभाग(समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण) में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की अलग अलग नियमावलियां हैं। इनमें किसी भी तरह के परिवर्तन का अधिकार भी केवल मुख्यमंत्री को है।
प्रमुख सचिव समाज कल्याण/अल्पसंख्यक कल्याण बी एल मीणा के द्वारा नियमावली की व्यवस्था के विपरीत जाकर आये दिन नए नए शासनादेश जारी किए जा रहे हैं। इससे इन विभागों के सामने बड़ी असमंजस की स्थिति है।
नियमावली के अनुसार हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति समिति है जो छात्रवृत्ति संबंधी निर्णयों के लिए सक्षम स्तर है। उत्तर प्रदेश बहुत बड़ी जनसंख्या वाला प्रदेश है और छात्रवृत्ति के लिए आवेदक छात्रों की संख्या भी 20 लाख से अधिक है, इसलिए 10 दिन के भीतर ही प्रत्येक छात्र का भौतिक सत्यापन संभव नहीं है। नियमावली में वितरण के पश्चात 10 प्रतिशत रैंडम सत्यापन का उल्लेख है।
अब जरा प्रमुख सचिव मीणा जी के आदेशों पर गौर करें-
25 फरवरी2021 को बतौर प्रमुख सचिव आदेश दिया गया कि समाज कल्याण विभाग के शासनादेश के अनुसार बिना शत प्रतिशत सत्यापन के छात्रवृत्ति वितरित न की जाय।
2 मार्च 2021 को तीनों विभागों के निदेशकों को आदेश जारी किए गए कि छात्रवृत्ति बांटी जाय और वितरण के बाद 31 मई तक सत्यापन करा लिया जाय।
3 मार्च 2021 को निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को आदेश दिया गया कि 25 फरवरी वाले आदेश की शर्तों का शतप्रतिशत पालन किया जाय।
प्रमुख सचिव समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण के इन विरोधाभाषी निर्णयों से उपजे भ्रम के कारण इस वर्ष छात्रों की छात्रवृत्ति बंट पाना मुमकिन नहीं लगता । फील्ड के अधिकारियों के सामने असमंजस है कि वे नियमावली की व्यवस्था को मानें या प्रमुख सचिव के आये दिन दिए जाने वाले विरोधाभाषी आदेशों को।
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