प्रदेश में 1 जुलाई से बिजली उपभोक्ताओं के यहां 4जी तकनीक के प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इसकी सहमति दे दी है इसके बाद पावर कॉरपोरेशन ने अब एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड से 4जी तकनीक के स्मार्ट मीटर ही लगवाने का फैसला किया है यही नहीं पूर्व में लगाए जा चुके 2जी और 3जी तकनीक के करीब 12 लाख मीटर को भी 4जी तकनीक से बदला जाएगा दरअसल 2018 में ईएसएल द्वारा लगाए जा रहे तू जीवा 3जी तकनीक के 4000000 स्मार्ट मीटर से जंपिंग समेत अन्य खामियों सामने आने पर राज गुप्ता परिषद ने इसका विरोध शुरू कर दिया था इस पर 1200000 मीटर लगने के बाद बाकी मीटर लगाने पर रोक लगा दी गई थी बातें 1 साल से ज्यादा समय से स्मार्ट मीटर लगवाने की योजना खटाई में पड़ी थी लखनऊ। पावर कॉर्पोरेशन व बिजली कंपनियां 4जी तकनीक के प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगवाने की तैयारी में तो जुटी हैं, लेकिन इसमें कई पेंच भी आड़े आ रहे हैं। बिजली कंपनियों के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि कनेक्शन जारी करते समय उपभोक्ताओं से जमा कराई गई जमानत राशि का समायोजन कैसे होगा? दूसरा संकट यह है कि जिन उपभोक्ताओं पर बिजली बिल बकाया है उनके यहां मीटर कैसे लगाए जाएंगे क्योंकि इससे बकाया राशि के फंसने का अंदेशा है। इस तरह की दिक्कतों को दूर करने के लिए शीर्ष स्तर पर मंथन चल रहा है।
जल्द ही रास्ता निकालकर स्मार्ट मीटर लगाने की पूरी प्रक्रिया निर्धारित की जाएगी। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने के साथ ही बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं की जमानत राशि के समायोजन की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही जो बकायेदार एक साथ पूरा बकाया जमा करने में सक्षम नहीं हैं उनसे 10 किस्तों में वसूली की व्यवस्था बनाई जा सकती है। वर्मा ने सरकार व पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन से मांग की है कि चाहे जिस कंपनी के प्री-पेड स्मार्ट प्रीपेड लगवाए जाएं, लेकिन वह ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड प्रमाणपत्र का मानक पूरा करने वाला होना चाहिए।
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