1-अंकुर के लिये अधिकारियो ने खेला खेल,टेन्डर मे कुछ बोला,अनुबन्ध मे कुछ
2-अंकुर को फायदा पहुचाने के लिये अनुबन्ध संख्या 15 पर शब्दो मे की गयी हेरा-फेरी
लखनऊ- उत्तर प्रदेश मे नियम कानून ताक पर रख कर काम करने की प्रथा चल पडी है यही कारण है कि जिस कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड करके उसके 6 करोड सिक्यूरिटी मनी को जब्त करना चाहिये था कर्मचारी कल्याण निगम ने उसे बिना टेन्डर 100 करोड का ठेका बैक डोर से दे दिया।
ज्ञात हो कि एनीमिया पीडित लोगो के लिये डबल फोर्टिफाइड नमक के वितरण के लिये समाजवादी पार्टी सरकार ने नवम्बर 2016 मे अंकूर केम फूड को सिद्धार्थनगर सन्तकबीरनगर फैजाबाद मऊ मेरठ फॅरूखाबाद मुरादाबाद हमीपुर इटावा और औरेया का ठेका दिया था।
उपरोक्त सप्लाई को एक साल तक करना था मगर अंकुर नमक वालो ने तीन महीने दिसम्बर 2016 जनवरी 2017 और फरवरी 2017 मे सप्लाई करने के बाद सरकार को बिना कोई वजह बताये नमक की सप्लाई बन्द कर दी।
अंकूर केम फूड को एनिमिया पीडित लोगो को पूरे एक साल बिना नागा DFS को प्रदेश के 10 जिलो मे सप्लाई करना था। फिर एक साल बाद बनायी गयी कमेटी यह पता करती कि उपरोक्त डबल फोर्टिफाइड नमक के खाने से एनिमिया पीडित लोगो फायदा हुआ या नही।
मगर सरकार के इस अहम प्रोजेक्ट पर पलीता लगाते हुये अंकूर केम फूड ने डबल फोर्टिफाइड नमक तीन महीने की सप्लाई कर करोडो का भुगतान लेकर फरार हो गयी। नियमतः अंकूर केम फूड के इस कृत्य के लिये ब्लैक लिस्टेड कर उसकी सिक्योरिटी मनी को विभाग द्वारा जब्त करना चाहिये था लेकिन अधिकारियो की मेहरबानी से एैसा नही हुआ। जबकि टेन्डर की धारा 10:18 मे यह प्रावधान है कि आपूर्ति न करने पर सिक्योरिटी मनी जब्त कर कम्पनी को काली सूची मे डाल दिया जायेगा।
मगर अंकुर केम फूड को काली सूची और सिक्योरिटी मनी जब्त करने के बजाय जनवरी 2018 मे बिना टेन्डर 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड साल्ट यानि DFS का ठेका कर्मचारी कल्याण निगम ने दे दिया।
अंकुर को फायदा पहुचाने के लिये कर्मचारी कल्याण निगम के अधिकारियो ने अनुबन्ध संख्या 15 पर शब्दो मे हेरा-फेरी करते हुये उसमे बाद मे एक लाइन जोडकर इस बार बैकडोर से अंकुर नमक को काम दिया गया। जबकि टेन्डर मे किसी प्रकार का छेडछाड नही होने की बात कर्मचारी कल्याण निगम ने अपने ही अनुबन्ध के अनुबन्ध संख्या 32 पर लिखता है।
इसके बाऊजूद टेन्डर के सारे नियम कानून को ताक पर रखकर लगभग 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड नमक का ठेका अंकुर नमक को कर्मचारी कल्याण निगम दे देता है। एैसा कर कर्मचारी कल्याण निगम प्रदेश की योगी सरकार को खुलेआम चुनौती दे रहा है।
इस मामले पर गहराई से अध्ययन करने वाले लोग मानते है कि अंकुर केम फूड को 100 करोड का काम देने के लिये अधिकारियो ने सारे नियम कानून ताक पर रख दिये है।
देखने योग्य बात यह है कि एक तरफ आम इन्सान सरकारी ठेकेदारी जब करने जाता है तो उसे 10 लाख का काम लेने के लिये टेन्डर प्रक्रिया से गुजरना पडता है वही अंकूर केम फूड को ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय लगभग 100 करोड का काम बिना टेन्डर के कैसे दे दिया गया यह अहम सवाल है।
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