जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में कायरतापूर्ण ढंग से सीआरपीएफ के जवानों पर आत्मघाती आतंकी हमला हुआ जिसमें हमारे देश के 42 जाँबाज जवानों को अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी । हमारे युवा सेना में भर्ती होकर सरहद पर इस जज्बे व सोच के साथ जाते हैं कि वह अपने देश की रक्षा के लिए लड़कर अपने प्राणों की बाजी लगाने में पीछे नहीं हटेंगे लेकिन दुर्भाग्य देखिये वो बैठे-बैठे आतंकी हमले का शिकार बन जाते हैं उन पलों को सोचकर एक बारगी रूह कांप जाती हैं कि हमारे जवान उस वक्त अपनी मौत को इस तरह देखकर कितने बेबस हो गये होंगे? भारत माता की माटी में ये विशेषता हैं कि देश मे सामाजिक, राजनैतिक, जातीय असमानता कैसी भी हो लेकिन देश के लोगों के रग-रग में (चन्द फिरकापरस्त लोगों को छोड़कर) देश प्रेम कूट-कूट कर भरा हुआ हैं ।
इस तरह का आतंकी हमला कोई पहली बार नहीं हुआ हैं और भी तमाम हमले हमारे जवानों पर पहले भी हुये हैं समय और स्थितियां अवश्य अलग-अलग रहीं होगी लेकिन तरीका सदैव कायरों वाला ही रहा हैं । सरहद पर लड़कर शहीद होना जवानों के लिए फक्र की बात होती हैं । आतंकी स्थानीय युवाओं को गुमराह कर उनकी मिलीभगत से इस तरह के हमले करवाने में सफल हो जाते हैं । इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सरकार को चौकसी रखनी होगी ताकि हमारे देश के बेरोजगार युवाओं को धर्म, भाषा व जाति के नाम पर कोई बरगलाने की जुर्रत न कर सके ।
अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड का रक्षा बजट बहुत कम होता हैं जबकि भारत और पाकिस्तान का रक्षा बजट उक्त विकसित देशों से बहुत ज्यादा होता हैं बस अंतर इतना हैं कि इन विकसित और खुली सोच के देशों में शिक्षित व वैज्ञानिक सोच वाले नागरिक और भारत-पाकिस्तान में धार्मिक उन्मादयुक्त विचारधारा को बढ़ावा देने वालो की संख्या ज्यादा मात्रा में हैं। भारत का रक्षा बजट लगभग 4 लाख करोड़ रुपये हैं और दुर्भाग्य देखिए एक धार्मिक उन्मादयुक्त आतंकी हमारे 42 जवान हमसे छीन लेता हैं और हम बेबस लाचार गली मोहल्लों में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए घूम रहे हैं। देश के 42 सपूतो को हमसे छिनने वाला आत्मघाती आतंकी पुलवामा में इतनी बड़ी मात्रा में आरडीएक्स लेकर घूम रहा था और हमारी खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी? आतंकी ने पांचवे नंबर की उसी बस से अपनी गाड़ी टकराई जो बुलेट प्रूफ नहीं थी यानी ये जानकारी भी उसे पहले से ही थी? हमला होने वाला हैं ऐसी जानकारी सरकार के पास थी फिर भी सुरक्षा में चूक कैसे हुई?
इतना सारा आरडीएक्स कैसे और कहाँ से आया ? वह कार वहाँ कैसे पहुँची? कोई चेकिंग क्यो नही हुई? ऐसे तमाम प्रश्न हैं जिन पर सोचना शुरू करेंगे तो ये गुत्थी उतनी ही उलझती जायेगी । जवानों की इतनी बड़ी क्षति से देश का सभी वर्ग आहत और आक्रोशित हैं । हमारे देश को जो अपूर्णीय क्षति हुई हैं उसका घाव इतनी जल्दी भरना बहुत कठिन हैं उन माँओ पर क्या बीत रही होगी जिनके लाल कभी न उठने वाली नींद की आगोश में हमेशा के लिये सो गये? यह समय हम सबके लिए बहुत कठिन हैं परंतु फिर भी ऐसी स्थिति में हम सबको धैर्य, संयम रखना होगा और होश के साथ सबसे पहले घर मे छुपे तमाम उन भेड़ियों को बेनकाब करना होगा जो हमारे देश को खोखला करने का कार्य कर रहे हैं यही हमारे वीर जवानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
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