j&k-नेशनल कांफ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि चुनाव के बाद यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो 2015 से जम्मू कश्मीर के युवाओं के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा की जाएगी और उन पर एफआईआर रद्द होगी। दरअसल, राज्य में पीडीपी - भाजपा गठबंधन के सत्ता में आने के बाद ये मामले दर्ज किए गए थे।
उत्तर कश्मीर में बारामुला जिले के छिजमा गांव में यहां एक जन सभा को संबोधित करते हुए उमर ने कहा कि वह राज्य में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जहां लोग मुक्त रूप से बात कर सकें। उन्होंने अपना यह वादा भी दोहराया कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में लौटती है तो विवादित जन सुरक्षा कानून (पीएसए) को रद्द कर दिया जाएगा।
नेकां ने राज्य के लोगों से पीएसए हटाने का वादा किया है क्योंकि इस कानून के तहत हमारे युवाओं को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, ''यदि ईश्वर ने चाहा और नेकां ने सरकार बनाई तो मैं आपसे वादा करता हूं कि हम इस कानून को हटा देंगे।"
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) उपाध्यक्ष ने कहा, ''हमारे युवाओं के खिलाफ मामले दर्ज हैं जिनके चलते उन्हें आज भी पुलिस थानों में बुलाया जाता है। नेकां सरकार 2015 के बाद और खासतौर पर 2016 (अशांति) के बाद हमारे युवाओं के खिलाफ दर्ज हर मामले की एक - एक कर समीक्षा करेगी तथा उनके एफआईआर रद्द करेगी, ताकि हमारे युवा आजाद हो सकें।"
गौरतलब है कि जुलाई 2016 में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पैदा हुई अशांति के दौरान कश्मीर घाटी में कई युवाओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
नेकां नेता ने कहा, ''मैं वह दिन देखना चाहता हूं जब हम एक दूसरे से मिलने आएं तो हमें ये कंटीले तार और रस्सियों की जरूरत नहीं पड़े, जब हमें पुलिसकर्मियों और सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़े।" उमर ने कहा, ''मैं वह दिन देखना चाहता हूं जब मैं कोई गलती करूं तो आप आगे आएं और मेरा कॉलर पकड़ कर मुझसे पूछे कि 'उमर, हमने आपको हमारी सेवा और प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया था, लेकिन आपने नहीं किया। हम उस कश्मीर को देखना चाहते हैं जो हमसे छीन लिया गया है।"
उन्होंने राज्य के भारत में विलय के विषय पर कहा, ''हम उन शक्तियों को बहाल होते देखना चाहते हैं जिनके आधार पर हमारा विलय हुआ था और जिन्हें हमसे क्रमश: छीन लिया गया तथा जिनके खिलाफ आज भी साजिशें चल रही हैं।" उमर ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग राज्य के विशेष दर्जे की हिफाजत के लिए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर भरोसा नहीं कर सकते।
पीडीपी प्रमुख पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि जुलाई 2008 में संसद में विश्वासमत पर चर्चा के दौरान मुझे और महबूबा को भी बोलने का मौका मिला था। उन्होंने बताया, ''मैंने करीब पांच मिनट बोला था लेकिन जब स्पीकर ने महबूबा को बोलने को कहा तब उन्होंने कहा था, 'मैं क्या कह सकती हूं? और बैठ गईं। क्या हमें ऐसे प्रतिनिधियों की जरूरत है जो वहां जाएं और चुप रहें।"
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