bhopal-मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह को भोपाल सीट पर घेरने के लिए भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा पर दांव खेला है। टिकट मिलने के बाद उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं।कार्य में लग गई हूं। साध्वी प्रज्ञा के नाम पर राष्ट्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश स्तर तक सहमति के बाद यह फैसला लिया गया है। बुधवार सुबह ही साध्वी प्रज्ञा भोपाल स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय भी पहुंचीं थीं।
कौन हैं प्रज्ञा ठाकुर--साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव धमाकों के बाद सुर्खियों में आई थीं। जिसके बाद उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। साल 2017 में सबूतों के अभाव में एनआईए ने अदालत से उन्हें जमानत देने पर एतराज न होने की बात कही जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया। वो 9 साल जेल में रहने के बाद बाहर आईं।
हिंदुत्व का परचम लहराने की शपथ से लेकर जेल तक पहुंचने में साध्वी ने हिचकोलों भरा सफर तय किया है। मध्यप्रदेश के भिंड में जन्मी साध्वी प्रज्ञा के पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर थे और संघ से जुड़े थे। जिसकी वजह से प्रज्ञा ठाकुर का झुकाव बचपन से ही संघ की ओर हो गया। इतिहास विषय से परास्नातक प्रज्ञा ने संघ के संपर्क में आने के बाद संन्यास ले लिया।
इससे पहले वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य भी रहीं। अपनी भाषण शैली की वजह से उन्हें जल्द हिंदी भाषी प्रदेशों में लोकप्रियता मिलने लगी। उन्होंने सूरत में एक आश्रम भी बनाया और वहीं से वो देश भर में घूमने लगीं। कहा जाता है कि भाजपा के पूर्व विधायक सुनील जोशी ने साध्वी के सामने विवाह का प्रस्ताव भी रखा जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
साध्वी अपने तीखे बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहीं। उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम पर 'भगवा आतंकवाद' शब्द गढ़ने का भी आरोप लगाया। 2018 में गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को 'इटली वाली बाई' कह दिया।
मालेगांव बम धमाका
29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इसमें 7 लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग जख्मी हो गए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को अक्तूबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था। प्रज्ञा पर मकोका अधिनियम की विभिन्न धाराएं भी लगाई गई थीं। साध्वी पर मालेगांव ब्लास्ट के साथ ही साथ सुनील जोशी की हत्या का भी आरोप है।
एनाईए की जांच में भी ये बात सामने आई कि सुनील का प्रज्ञा के प्रति आकर्षण ही उनकी हत्या का कारण बना। 2017 में जांच के बाद एनआईए ने अदालत से कहा कि उसे प्रज्ञा ठाकुर को जमानत पर छोड़ने में दिक्कत नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ अभियोजन लायक सुबूत नहीं हैं।
जिसके बाद 25 अप्रैल 2017 को उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। अब साध्वी, भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ ताल ठोकने के सीधे संकेत देकर सियासत में एंट्री लेने को तैयार हैं।
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