महाराष्ट्र के पुणे में दीवार ढहने से जिन 15 लोगों की मौत हुई है, उनमें से ज़्यादातर बिहार के कटिहार ज़िले के रहने वाले थे. हादसे के बाद से कटिहार के बाइसबीघी गांव में मातम पसरा है. मरने वालों के परिजन लगातार रो रहे हैं. प्रशासन एयर एंबुलेंस के जरिए मृतकों के शव उनके घरों तक पहुंचाने की तैयारी में है.
हादसे के बाद पुणे में एनडीआरएफ़ के अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों में 10 पुरुष, एक महिला और चार बच्चे शामिल हैं. ये हादसा पुणे के पास कोंढवा इलाक़े में हुआ है. यहां शुक्रवार सुबह शुरू हुई बारिश देर रात तक होती रही. आधी रात के बाद दीवार ढह गई और 15 लोगों की मौत हो गई.
घटनास्थल पर निर्माण कार्य चल रहा था और मृतक वहीं रह रहे थे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले पर दुख जताया है. ज़िला कलेक्टर नवल किशोर राम ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा "मूसलाधार बारिश के कारण दीवार गिरी है और हादसा कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही से हुआ है. 15 लोगों की मौत सामान्य बात नहीं है." पुणे के पुलिस कमिश्नर के वेकेंटेशम का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
उम्मीद जताई जा रही है कि मृतकों के शव रविवार को बिहार पहुंच जाएंगे.
इस ख़बर से बिहार के कटिहार में मातम छा गया है. स्थानीय पत्रकार नीरज झा ने उन परिवारों से मुलाक़ात की जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खो दिया. मारे गए लोगों में से एक भीमादास भी थे. पूरा परिवार दब गया
भीमादास अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पुणे में रहते थे.
भीमादास के पिता ने बताया कि विमल नाम के शख़्स उनके बेटे को काम के लिए पुणे लेकर गए थे. भीमादास के पिता ने इस हादसे में सिर्फ़ बेटे को नहीं खोया है उनका पूरा परिवार इस हादसे का शिकार हो गया.
वो बताते हैं "मेरे घर के चार लोग मारे गए हैं इस हादसे में. मेरा बेटा, उसकी पत्नी. मेरा पोता और पोती सब उस दीवार में दबकर मर गए."
हादसे में मारे गए मोहन शर्मा के परिजन ने हमारे सहयोगी से बताया "मोहन कई सालों से पुणे में बिल्डिंग बनाने का काम करते थे. वो अभी कुछ दिन पहले ही छुट्टियों पर घर आए थे. छुट्टियां बिताकर वो बीते मंगलवार ही पुणे वापस गए थे और अब ये ख़बर आ गई." मोहन शर्मा की पत्नी और डेढ़ साल का बच्चा उनके पीछे छूट गए हैं. मोहन के सिवा उनका कोई नहीं है. लेकिन अब वो क्या चाहते हैं?
इस सवाल के जवाब में मोहन के परिजन ने कहा, "किसी की जान तो वापस कोई ला नहीं सकता लेकिन जो ज़िंदा हैं उनके लिए तो सोचना होगा. हमारी मांग है कि मोहन की बीवी को नौकरी मिल जाए."
उम्मीद की जा रही है कि रविवार को परिजन को उनके अपनों के शव सुपुर्द कर दिए जाएंगे.रंजय साहनी ने भी इस हादसे में अपने भाई को खोया है. बीबीसी मराठी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मेरा भाई लोग वहाँ काम करता था. एक बजे रात को हमें दीवार गिरने की ख़बर मिली. हम गाड़ी लेकर यहाँ आए तो पता चला कि सब कुछ खत्म हो गया है." रंजय साहनी ख़ुद भी यहां काम करते थे.
दीवार ने कई परिवारों को ऐसा दर्द दिया है, जिसे लंबे वक़्त तक भुलाना आसान नहीं होगा.
मरने वाले --आलोक शर्मा (28)
मोहन शर्मा (24)
अमन शर्मा (19)
रवि शर्मा (19)
लक्ष्मीकांत साहनी (33)
सुनील सिंह (35)
ओवी दास (2)
सोनाली दास (6)
भीमा दास (38)
संगीता देवी (26)
अजित कुमार शर्मा (7)
रेखाल कुमार शर्मा (5)
नीवा देवी (30)
दीपरंजन शर्मा
अवधेश सिंह
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