प्रमोद श्रीवास्तव
लखनऊ- उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम द्वारा नवम्बर 2018 मे आयोडीनयुक्त नमक की आपूर्ति के लिये निकाले गये एक हजार करोड के टेन्डर की जाॅच मुख्यमन्त्री से शिकायत के बाद शुरू हो गयी है। ज्ञात हो कि एक्सप्रेस न्यूज 7 द्वारा लिखे गये खबर का संज्ञान लेते हुये इस एक हजार करोड के टेन्डर को 7 मार्च को रदद कर दिया गया था। अब इस मामले मे मुख्यमन्त्री से शिकायत के बाद इस पत्रावली की जाॅच करायी जा रही है। शिकायत मे इस बात पर बल दिया गया है कि बिना किसी अधिकारी और समबन्धित विभागिय मन्त्री के जानकारी के प्रदेश मे बटने के लिये आयोडिन युक्त नमक के 1हजार करोड के टेन्डर किसके आदेश से जारी हुये थे।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम 65 जिलो मे आयोडीनयुक्त नमक की आपूर्ति के लिये एक टेन्डर 7 नवम्बर को 2018 को निकाला था। गुपचुप तरीके से निकाले गये इस टेन्डर की जानकारी नमक उधोग के किसी कम्पनी को नही थी उसका कारण यह था कि यह टेन्डर गुजरात की एक खास कम्पनी को देने के लिये निकाला गया था। खास बात एक और थी कि इस नमक के टेन्डर के बारे मे विभागिय मन्त्री तक को जानकारी नही दी गयी थी।
कर्मचारी कल्याण निगम ने टेन्डर कानून को गुजरात की कम्पनी के मनमुताबिक ड्राफट किया था एैसा इसलिये कि अगर किसी अन्य कम्पनी को जानकारी भी हो जाये तो वह टेन्डर नियमो को पढकर ही उसे न भरे।
कर्मचारी कल्याण निगम ने आयोडिन युक्त नमक के लिये बाजार भाव जाने बगैर 9 रूपये प्रति किलो रेट तय कर दिया था। रेट फिक्स करके कर्मचारी कल्याण निगम ने टेन्डर कानून की भी धज्जिया उडाई। क्योकि टेन्डर नियमो के सरलीकरण हो जाने से जैसा कि पहले कर्मचारी कल्याण निगम का टेन्डर कानून था वैसा होता तो आयोडिन युक्त नमक के लिये ज्यादा से ज्यादा कम्पनिया इस टेन्डर मे भाग लेती और भाग लेने पर कम्पटिशन होता जिसका फायदा सरकार को होता पर एैसा नही किया गया।
इस धपले धोटाले की खबर जब एक्सपे्रस न्यूज7 पर 3 दिसम्बर 2018 को लिखा गया उसके बाद विभागिय मन्त्री ने इस बाबत जानकारी लेते हुये कर्मचारी कल्याण निगम के ईडी अशोक श्रीवास्तव को टेन्डर के नियमो को सरल करने को कहा। टेन्डर नियम के सरल होते ही गुजरात और राजस्थान की दर्जनो कम्पनियो ने इसमे हिस्सा लिया।
इसके बाऊजूद गुजरात की वह कम्पनी जिसके लिये यह सारा ड्रामा रचा गया था उसी के इशारे पर अन्य कम्पनियो मे कोई ना कोई कमी निकालकर उन कम्पनियो को बाहर का रास्ता दिखाकर दूसरी उन कम्पनियो को टेन्डर मे भाग लेने दिया गया जो गुजरात की कम्पनी की जानने वाली थी। फिर गुजरात की कम्पनी के इशारे पर बन्दरबाट करते हुये टेन्डर बाटने का सारा खेल उसी कम्पनियो के बीच हो गया जो गुजरात वाले की जानने वालो की थी। जिसकी जानकारी उच्चस्तर पर होने के बाद इस पूरे टेन्डर को 7 मार्च को रदद कर दिया गया था।
अब इस पूरे मामले मे कर्मचारी कल्याण निगम के ईडी अशोक श्रीवास्तव की भूमिका की जाॅच की शिकायत एक एनजीओ द्वारा मुख्यमन्त्री से की गयी है जिस पर जाॅच शुरू हो गयी है। शिकायत मे यह भी कहा गया है कि विभागिय मन्त्री के जानकारी के बगैर किस अधिकारी के आदेश पर इस 1 हजार करोड के टेन्डर की रूपरेखा तैयार की गयी थी।
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