लखनऊ-खाद्य एवं औषधि अधिनियम के तहत जिन सैम्पिलों की टेस्टिंग राज्य की प्रयोगशालाओं में होती है, उनमें से अनेक प्रकरण रीटेस्टिंग हेतु अपील में केन्द्रीय प्रयोगशालाओं को प्रेषित किये जाते हैं। यह जानकारी अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, डा0 अनिता भटनागर जैन ने दी।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि वर्ष-2017-18 में कुल 42 नमूनें जो कि केन्द्रीय रेफरल लैब को प्रेषित किये गये थे, उनमें से 21 नमूनों में भारत सरकार की लैब में राज्य सरकार की लैब की विश्लेषण रिपोर्ट की तुलना में, रिपोर्ट को बेहतर माना गया है। यह नमूने विभिन्न खाद्य पदार्थो के हैं जैसे कि- हल्दी पाउडर, सौफ, किशमिश, विजिटेबिल साॅस, बर्फी, रसगुल्ला, लड्डू, पनीर, सरसों का तेल, देशी घी, रिफाइण्ड, पामोलीन तेल, मिश्रित दूध आदि।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की प्रयोगशालाओं में इन सभी 21 प्रकरणों को असुरक्षित पाया गया था, परन्तु केन्द्रीय प्रयोगशालाओं में इनमें 3 को मिथ्याछाप, 10 को अधोमानक, 1 को मानक अनुसार व 1 को अस्वीकृत किया गया है। 12 प्रकरण केन्द्रीय प्रयोगशाला गाजियाबाद के हैं और 9 प्रकरण केन्द्रीय प्रयोगशाला कोलकाता के हैं। असुरक्षित श्रेणी के खाद्य पदार्थ के प्रकरण में आजीवन कारावास और न्यूनतम 10 लाख के जुर्माने की सजा का प्राविधान है। अधोमानक, मिथ्याछाप श्रेणी में क्रमशः 5 लाख तक व 3 लाख तक के जुर्माने का प्राविधान है ।
डा0 अनिता भटनागर जैन ने कहा कि इन सभी 21 नमूनों की सैम्पिल संख्या व तिथि आदि का उल्लेख करते हुए अर्द्धशासकीय पत्र द्वारा अध्यक्ष एफ0एस0एस0ए0आई0, मुख्य कार्यपालक अधिकारी एफ0एस0एस0ए0आई0 तथा सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय को अवगत कराते हुए परीक्षण हेतु अनुरोध किया गया है ।
अपर मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि राज्य व केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के सैम्पल रिपोर्ट में भिन्नता की सूचना के संबंध में अब जनपदवार मासिक रूप से व नियमित रूप से इसकी समीक्षा कर अग्रिम कार्यवाही की जाये।
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