जल ही जीवन है,जल का कोई विकल्प नहीं है,यह प्रकृति से प्राप्त निःशुल्क उपहार है- शिशिर
भूजल सप्ताह के तीसरे दिन ‘‘प्रदर्शनी का उदघाटन तथा पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र वितरित किये गये
लखनऊ-भूजल सप्ताह (16 जुलाई से 22 जुलाई, 2019) के अवसर पर जल संरक्षण के महत्व के सम्बन्ध में आम जनमानस को जागरूक करने के लिये जल बचाएं-जीवन बचाएं विषय पर राज्य सग्रहालय, लखनऊ द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित जिये गये। इसी श्रृंखला में आज 18 जुलाई को राज्य की अस्थायी वीथिका में डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, कला एवं शिल्प महाविद्यालय और गोयल ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट के चित्रकारों द्वारा बनाये गये कैनवास चित्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी, जिसका उदघाटन शिशिर, विशेष सचिव संस्कृति एवं निदेशक सूचना द्वारा किया गया। प्रदर्शनी में भूजल संरक्षण पर आधारित 32 चित्रों के माध्यम से जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण एवं भूजल संरक्षण के सम्बन्ध में संदेश दिये।
शिशिर ने चित्रकला प्रतियोगिता के प्रतिभागियों में से डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास यूनिवर्सिटी के विनोद सिंह को प्रथम पुरस्कार से, गोयल ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट की पूजा यादव को द्वितीय पुरस्कार से, कला एवं शिल्प महाविद्यालय के वैभव पटेल को तृतीय पुरस्कार से और डा0 शकुंन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास यूनिवर्सिटी के सुमित कुमार एवं गोयल ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट के केशा रजा को प्रोत्साहन पुरस्कार से पुरस्कृत किया ।
समारोह के मुख्य अतिथि शिशिर ने कहा कि जल ही जीवन है और वास्तव में इस ग्रह के समस्त प्राणियों को आपस से जोड़ने वाला साधन भी यही है तथा जल का कोई विकल्प भी नहीं है। यह प्रकृति से प्राप्त निःशुल्क उपहार है। यदि वक्त रहते जल संरक्षण पर ध्यान न दिया तो हो सकता है कि जल के अभाव में अगला विश्वयुद्ध जल के लिए ही हो। इसमें आश्चर्य नहीं और सम्पूर्ण मानव समाज इसके लिए जिम्मेदार होगा ।
राज्य संग्रहालय के निदेशक डॉ0 आनन्द कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के भूगर्भ जल संपदा के महत्व के प्रति जन जागरूकता सृजित करने के उददेश्य से वर्ष 2012 से प्रत्येक वर्ष दिनाक 16 से 22 जुलाई के मध्य भूजल सप्ताह का निरंतर आयोजन किया जा रहा है इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के क्रम में अन्य विभागों की भाँति इस वर्ष राज्य संग्रहालय लखनऊ (संस्कृति विभाग) द्वारा यह आयोजन कराया गया है।
इस अवसर पर राज्य संग्रहालय के डा0 चन्द्रमोहन वर्मा डा० मीनाक्षी खेमका, डा० विनय सिंह, प्रमोद कुमार, शारदा त्रिपाठी,लेखपाल, श्रीमती शालिनी तथा उ०प्र० राज्य पुरातत्व विभाग के डा० राजीव त्रिवेदी, ज्ञानेन्द्र रस्तोगी एवं नरसिंह त्यागी के अतिरिक्त अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे । संग्रहालय के निदेशक ने बताया कि यह प्रदर्शनी दर्शकों के अवलोकनार्थ इस माह के अन्त तक प्रदर्शित रहेगी।
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