लखनऊ-तालाब और नदियां ही हमारी वास्तविक धरोहर और सम्पदा हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण से हमारी ये धरोहरें धीरे-धीरे नष्ट हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूजल स्तर में निरन्तर कमी होती जा रही है। राज्य सरकार वर्षा जल संचयन एवं भूजल संवर्द्धन की आवश्यकता पर विशेष बल दे रही है। प्रदेश में राज्य ‘‘भूजल संरक्षण मिशन’’ एवं ‘‘भूजल सप्ताह’’ जैसे कार्यक्रम, भूगर्भ जल संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबन्धन की दिशा में उम्मीद की किरण है। भूजल स्तर के सुधार में मात्र किसी नीति विशेष या योजना की नहीं, बल्कि हम सबकी सहभागिता और जागरूकता मात्र की आवश्यकता है। इसके साथ ही जल संचयन के प्रति जागरूकता एक सप्ताह ही नहीं बल्कि वर्ष भर की सतत् प्रक्रिया होनी चाहिए।
यह विचार आज प्रदेश के सिंचाई एवं लघु सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने ‘‘भूजल सप्ताह’’ के समापन अवसर पर यहां गोमतीनगर स्थित इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भूजल संरक्षण के प्रति अत्यधिक गम्भीर है और प्रदेश में नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवीकरण सेल का गठन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि बूंद-बूंद पानी भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और हमें पानी की महत्ता से स्वयं भी जागरूक होकर एकजुट होना होगा।
लघु सिंचाई मंत्री ने भूगर्भ जल के अन्धाधुन्ध दोहन को नियंत्रित करने के साथ-साथ वर्षा जल संरक्षण हेतु स्टोरेज टैंक का व्यक्तिगत व सामुदायिक स्तर पर निर्माण, कुएं व तालाबों का निर्माण व सफाई, खेतों की मेड़ बंदी, कृषि एवं बागवानी के लिए स्प्रिंक्लर सिंचाई प्रणाली को प्रोत्साहन किए जाने पर बल दिया। उन्हांेने भूगर्भ जल विभाग द्वारा प्रदेश में भूजल संरक्षण हेतु किए जा रहे कार्यक्रमों एवं प्रयासों की सराहना की।
समारोह में प्रमुख सचिव लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग श्रीमती अनीता सिंह ने कहा कि भूजल स्तर में सुधार के साथ-साथ भूजल प्रदूषण को भी रोकना होगा तभी भूगर्भ जल भंडार सुरक्षित और उपयोगी हो सकेंगे। भूगर्भ जल संरक्षण के लिए स्वयंसेवी संगठनों, सलाहकारों और वैज्ञानिकों को भी जोड़ना होगा। बोरिंग वाली जगहों पर स्प्रिंगलर, ड्रिप इरीग्रेशन के तहत सिंचन व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
समारोह के दौरान विशिष्ट विशेषज्ञ अतिथियों द्वारा समारोह के मुख्य बिन्दु ’’जल बचाएं-जीवन बचाएं’’ के सन्दर्भ में भूजल संकट एवं भूजल संरक्षण के विभिन्न पहलुओ पर प्रकाश डाला गया। साथ ही आम-जनमानस से भूजलसंकट के सम्बन्ध में जागरूक हो भूजल संरक्षण हेतु प्रयास करने का अनुरोध भी किया गया।
समारोह के समापन के समय अतिथियों द्वारा ग्राउण्ड वाटर ज़ोन मैप्स-एटलस का विमोचन किया गया। भूजल सप्ताह की अवधि दिनांक 16 से 22 जुलाई, 2019 के मध्य भूगर्भ जल विभाग एवं आंचलिक विज्ञान केन्द्र के द्वारा संयुक्त रूप से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लघु सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंहएवं प्रमुख सचिव, श्रीमती अनीता सिंह द्वारा विद्यालयों के छात्र/छात्राओं को भूजल संरक्षण से सम्बन्धित उक्त प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत भी किया गया।
समारोह में वेंकटेश दत्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, बाबा साहब अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, प्रोफेसर आलोक धवन, निदेशक, सी०एस०आई०आर०, भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, डाॅ०के०ए०एस०मनी, भूजल विशेषज्ञ, विश्वबैंक, श्रीसंजय सिंह, अध्यक्ष, परमार्थसंस्था, बुन्देलखण्ड, डाॅ०पी०के०श्रीवास्तव, वरिष्ठ वैज्ञानिक, पूर्व उपनिदेशक, सी०डी०आर०आई०, लखनऊ, उमाशंकर पाण्डेय, सर्वाेदय कार्यकर्ता, जनपद-बांदा, डी०एन० शुक्ला, मुख्य अभियन्ता, लघु सिंचाईं विभाग, उ०प्र०, वाई०बी० कौशिक, क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय भूजल बोर्ड, अलीगंज, ने अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही समारोह में विभिन्न विभागों के कार्मिकों एवं विभिन्न विद्यालयों के छात्र/छात्राओं/शिक्षकों/अभिभावकों तथा आम-जनमानस की भी उपस्थिति रही।
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