36 कम्पनियों द्वारा प्रदेश में 12400 करोड़ रूपये का होगा निवेश-ब्रजेश पाठक
lucknow-प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए आज इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में आयोजित दूसरी ग्राउण्ड ब्रेकिंग सरमनी के 6वें सत्र ‘पावर एण्ड रीन्यूएवल एनर्जी’ को संबोधित करते हुए प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि निवेशकों को बेहतर सुविधाएं व सुरक्षा उपलब्ध करायी जायेगी। उनकी समस्याओं का समुचित समाधान किया जायेगा। बिजली उद्योग की बैकबोन है। उद्योगपतियों को 24 घण्टे निर्बाध बिजली आपूर्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पहचान अब अंधेरा नही, उजाला है। प्रदेश सरकार वर्ष 2032 की मांग को ध्यान में रखकर योजनाओं पर कार्य कर रही है। सभी कार्यो को शीघ्रता व पारदर्शिता के साथ तय लक्ष्य के अनुरूप पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिना निवेशकों के कोई भी प्रदेश या देश आगे नहीं बढ़ सकता। जैसे दुनिया में भारत एक बड़ा बाजार है उसी प्रकार भारत में उत्तर प्रदेश है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं को निर्वाध बिजली आपूर्ति मिले इसलिए सरकार बिजली के उत्पादन, पारेषण एवं वितरण क्षेत्र में विशेष कार्य कर रही है। बिजली उत्पादन इकाइयों की क्षमता बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को घटाने पर कार्य किया जा रहा है। आज उत्पादन इकाइयों का प्लाण्ट लोड फैक्टर 2017 के सापेक्ष 13.8 प्रतिशत से बढ़कर 78.83 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2016 में ग्रिड की क्षमता 18000 मेगावाट थी, जो कि अब बढ़कर 24000 मेगावाट से ऊपर हो चुकी है। इसी प्रकार वर्ष 2017 में ग्रिड की आयात क्षमता 8700 मेगावाट थी, जो कि अब बढ़कर 12850 मेगावाट हो गयी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 तक ग्रामीण क्षेत्रों के सभी उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड मीटर तथा शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लग जायेगा। बिजली चोरी रोकने के 31 अगस्त, 2019 तक हर जिले में एक बिजली थाना स्थापित हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अब तक 60 हजार करोड़ लागत की 81 विद्युत परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा चुका है। प्रदेश में दो साल के भीतर सौभाग्य योजना के तहत 1.08 करोड़ घरों को रोशन किया गया तथा 1,78,168 मजरों को बिजली पहुंचायी गयी। 2 वर्षों में पारेषण क्षमता को 15,000 एमवीए से बढ़ाकर 24,000 एमवीए की गयी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2016 में जहां बिजली की पीक मांग 16500 मेगावाट थी अब बढ़कर 22000 मेगावाट हो गयी है, जोकि वर्ष 2024 में 30,000 मेगावाट तक पहुंच सकती है। प्रदेश में अगले 5 वर्षों में विद्युत पारेषण परियोजनाओं में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।
इस अवसर पर अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री, ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश में अब तक 894 मेगावाट की यूटिलिटी स्केल सौर विद्युत परियेाजनायें स्थापित की गयी। सौर ऊर्जा नीति 2017 के अन्तर्गत प्रदेश में बिडिंग के माध्यम से 1050 मेगावाट की तथा ओपेन एक्सेस के तहत 485 मेगावाट की सौर विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु आबंटन किया जा चुका है, जिसमें 36 निवेशकों द्वारा लगभग रू. 12400 करोड़ का प्रदेश में निवेश आयेगा। अब तक प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लगभग रू. 7000 करेाड़ का निवेश निजी क्षेत्र मंे आ चुका है।
श्री पाठक ने कहा कि जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम के अन्तर्गत औद्यौगिक इकाइयों के वर्गीकरण के आधार पर 25 प्रतिशत तक वित्तीय उपादान, 10 वर्षो तक जीएसटी की प्रतिपूर्ति एवं स्टाम्प ड्यूटी मंे छूट का प्राविधान किया गया है। नीति के अन्तर्गत जैव ऊर्जा की 12 परियोजनाओं में कुल रू. 2500 करोड के निवेश की स्वीकृति प्रदान की गयी है।
अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री ने कहा है कि सोलर पावर प्लांट लगाने से बिजली के बिलों में भारी कमी आयेगी। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अधिक से अधिक सोलर पावर प्लाण्ट लगायें और कार्बन उत्सर्जन को रोककर अपने बच्चों को प्रदूषण रहित वातावरण देकर उनके भविष्य को सुरक्षित करें। उन्होंने कहा कि घर में एक सोलर पावर प्लाण्ट लगाना 1000 पेड़ लगाने के बराबर है। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के ग्रीन कारिडोर में 5500 करोड़ का निवेश वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में आयेगा।
द्वितीय ग्राउण्ड बै्रकिंग सेरेमनी में विभिन्न उद्योगों, संस्थानों एवं निवेशकर्ताओं का स्वागत करते हुए प्रमुख सचिव, ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत श्री आलोक कुमार ने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा एवं बायोऊर्जा से विद्युत उत्पादन की अपार सम्भावनायंे हैं। ”ईज आफ डूइंग बिजनेस“ संबंधी प्राविधान के अंतर्गत ”एकल विण्डो क्लियरेंस“ प्रणाली तथा ऊर्जा बैंकिंग की अनुमति प्रदान किये जाने का प्राविधान है। सोलर पावर परियेाजनाओं की स्थापना हेतु भूमि पर 100 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी में छूट प्रदान किये जाने तथा इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 10 वर्षो के लिए शत-प्रतिशत छूट भी दी जायेगी। उन्होने बताया कि प्रदेश में निजी सहभागिता के आधार पर पारेषण क्षेत्र में लगभग 20,000 करोड़ रूपए के निवेश की योजना है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को दी जा रही बिजली की लागत भी समय से मिले, बिजली चोरी रूके इसके प्रयास किये जा रहे हैं। एबी लाइन को बढ़ाया जा रहा है। बिजली उद्योग के लिए मदर इन्फ्रास्ट्रक्चर है। अब तक 1.20 करोड़ लागत की विद्युत परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया है। उन्होंने बताया कि अब 400 किलोवाट के ऊपर की सभी विद्युत परियोजनाओं को पीपीपी मोड पर विकसित किया जायेगा।
इस अवसर पर एमप्लस एनर्जी के गुरू इन्दर मोहन सिंह, रिन्यूपावर के श्री शशांक अदलखा, आनन्द मंगल इन्फ्राडेवलपर्स के अमित प्रकाश तथा इरेडा के निदेशक चिन्तन शाह ने सोलर पावर जनरेशन क्षेत्र की नई तकनीकियों में निवेश, बायोऊर्जा क्षेत्र में निवेश तथा परियोजनाओं हेतु वित्तीय सहायता आदि विषयों पर सम्बोधित किया। अडानी ट्रांसमिशन के विवेक सिंहला ने पावर सेक्टर में सार्वजनिक निजी प्रतिभागिता के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर सचिव ऊर्जा व प्रबन्ध निदेशक उ0प्र0 पाॅवर कारपोरेशन श्रीमती अपर्णा यू0, प्रबन्ध निदेशक बिजली उत्पादन निगम, यूपीनेडा के निदेशक सुशील कुमार पटेल, सचिव यूपीनेडा अनिल कुमार के साथ भारी संख्या में उद्योगपति उपस्थित थे।
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